क्या भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश जोशी अपने नाम के अनुकूल राजस्थान में भाजपा के पक्ष में पूनम के चाँद जैसी सुनहरी रोशनी फैलाने में सफल होगे?
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने चितौडगढ़ के युवा सांसद चंद्र प्रकाश जोशी (प्रचलित नाम सी पी जोशी) को जाट नेता डॉ सतीश पुनिया के स्थान पर राजस्थान प्रदेश भाजपा का नया मुखिया बना चुनावी साल में देशके सबसे बड़े भूभाग वाले रेतीले प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया है ।
हमने पिछलें कुछ समय से सी पी जोशी को कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की सम्भावना व्यक्त की थी और जोशीकी केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के अन्य नेताओं से हो रही मुलाक़ातों को इसी कड़ीका महत्वपूर्ण हिस्सा बताया था। वे सभी तथ्य सही साबित हुए है।
सी पी जोशी दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ इलाक़े से है और एक युवा लोकप्रिय ब्राह्मण चेहरा माने जाते है।कहा जाता है कि राज्य विधान सभा में जो पार्टी मेवाड़ को फ़तह करती है राजस्थान में सरकार उसी पार्टी कीबनती है। राज्य विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता और मेवाड़ के क़द्दावर नेता आरएसएस पृष्ठ भूमि के गुलाबचन्द कटारिया को असम का राज्यपाल बना कर प्रदेश की सक्रिय राजनीति से दूर भेज देने के बाद मेवाड़ कीराजनीति में एक अपाट शून्यता पैदा हो गई थी जिसको भरना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती थी। युवा जोशीको अध्यक्ष बना भाजपा ने इस कमी की भरपाई करने का अनुपम प्रयास किया है।47 वर्षीय जोशी भारतीययुवा मोर्चे में रहे है और प्रदेश में पार्टी संगठन का अध्यक्ष नियुक्त होने से पूर्व वे प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारीभी सम्भाल रहे थे । वे सांसद के रूप में अपनी सक्रियता निभाने के साथ साथ प्रदेश में पार्टी की प्रत्येक मीटिंगमें भी सक्रिय रहते आए है।इस तरह सारे प्रदेश में उनकी सरलता विनम्रता पूर्वक व्यवहार सौम्यता और निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में एक अलग ही छवि है। हाल ही जयपुर में आयोजित ब्राह्मणमहाकुंभ के विशाल समागम के बाद उभरे परिदृश्य में जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना प्रासंगिक लगता है ।इधर जगदीप धनखड को उपराष्ट्रपति बनाने के बाद पार्टी में डॉ सतीश पुनिया की वह प्रासंगिकता नही रही किउन्हें हटाने से जाट वोट नाराज़ हो जायेंगे।
पुनिया को जब प्रदेश में भाजपा का मुखिया बनाया गया था तब पार्टी ने उनसे काफ़ी अपेक्षायें की थी हालाँकिउन्होंने एक हद तक उन्हें दिए गए काम को अंजाम दिया लेकिन कालान्तर में वे केवल एक गुट के नेता बन कररह गए। जिसके कारण वे पूर्व मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे और केन्द्रीय नेताओं के निशाने पर आ गए । उनकीकार्यावधि में जितने भी उप चुनाव हुए उनमें एकाध को छोड़ सभी चुनाव भाजपा हार गई। हालाँकि उन्होंने बूथस्तर पर पन्ना प्रमुख बनाने में सक्रियता दिखाई आक्रोश रैलियाँ भी निकाली लेकिन उनके कई फैसलेविवादास्पद भी रहें। पार्टी कार्यालय और पोस्टरों से दो बार मुख्यमंत्री रही और भाजपा का चेहरा मानी जानेवाली तथा पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुन्धरा राजे के चित्र हटाना, जन आक्रोश रेलियों को रोकने को लेकरकेंद्र से जुदा बयान और जिस दिन सालासर में वसुन्धरा राजे के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में विशाल आयोजनका पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था उसी दिन जयपुर में मुख्यमंत्री के घर का घेराव करने का कार्यक्रम रखना आदिनिर्णय पार्टी कार्यकर्ताओं के गले नही उतरे । अब देखना होगा कि शीर्ष नेतृत्व पूनिया की सेवाएँ राज्य विधानसभा में उन्हें प्रतिपक्ष का नेता बना या केन्द्रीय संगठन में कोई पद देकर सन्तुलन बनाने का प्रयास करेगा अथवानही?
राजस्थान में इस वर्ष नवम्बर-दिसंबर में विधान सभा के चुनाव होने है और अब चूँकि चुनाव में कुछ महीने ही बचेहै। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को राजस्थान को लेकर फटाफट फ़ैसलों को धरातल पर लाना था। इसकी शुरुआतपार्टी ने संसद में पार्टी सांसदों की ओर से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करने कीजिम्मेदारी सी पी जोशी को देकर की , फिर हाल ही पाँच अशोक रोड पर सी पी जोशी की ओर से दिए गएमिलेट्स डीनर में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित पार्टी के सत्ता औरसंगठन से जुड़े हर छोटे से बड़े नेता शामिल हुए । नई दिल्ली में एक केन्द्रीय राज्य मंत्री के वहाँ प्रतिदिन खेल केबहाने होने वाली मुलाक़ातों में भी सी पी जोशी शामिल रहें। इस तरह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान मेंगुटबाज़ी को निष्प्रभावी करने के लिए निर्विवाद सी पी जोशी को लेकर अपना मन बना लिया। राजस्थानविधान सभा के चुनाव के कुछ माह पूर्व ही भाजपा में हुए इस बदलाव के अपने गहरे मायने है। एक प्रकार सेशीर्ष कमान ने राजस्थान की बागदौर अपने हाथ में ले ली है। वैसे सी पी जोशी के सामने चुनौतियाँ भी कम नहीहै। एक तरफ़ उनके सामने वसुन्धरा राजे का विराट व्यक्तित्व और उनकी लोकप्रियता को पार्टी के पक्ष मेंभुनाने और वसुन्धरा राजे से सामन्यजस्ता बढ़ा कर काम करने की अग्नि परीक्षा है वहीं पार्टी में गुट बाजी कोदूर कर एकजुटता और सभी गुटों के साथ समन्वय स्थापित करना के साथ-साथ अशोक गहलोत की अगुवाईवाली कांग्रेस की सरकार के प्रति एंटी इनकम्बेसी नही होने के वातावरण को तोड़ना एवं बजट की अनेकलोकप्रिय घोषणाओं तथा हाल ही अपने तरकश से नए जिले बनाने का तीर छोडने आदि की काट निकाल करचुनावी रणभेरी में विजयी बिगुल बजाने के साथ ही दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के वक्त से हिमाचल प्रदेश कीतर्ज पर प्रदेश में बारी-बारी से एक टर्म कांग्रेस तों एक टर्म बीजेपी की सरकार बनने की परम्परा को बदस्तूरजारी रखने आदि कसौटियों पर खरा उतरना है। हालाँकि आज उन्हें बधाई देने वालों में वसुन्धरा गुट के कई नेताभी शामिल थे।इसलिए कह सकते है कि आग़ाज़ अच्छा हुआ है अब देखना होगा अपने नाम के अनुकूल चंद्रप्रकाश जोशी प्रदेश में भाजपा को पूर्णिमा के चन्द्रमा की रात जैसी आभा प्रदान करने और पूनम के चाँद जैसीसुनहरी रोशनी फैलाने में कितने सफल हो पाएँगे..?