यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को फ्लाइट्स नहीं मिलने को लेकर शिकायत के बाद सरकार एक्टिव

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की तरफ से फ्लाइट्स नहीं मिलने को लेकर की जा रही शिकायत के बाद सरकार एक्टिव हो गई है। सरकार ने कोरोना वायरस के कारण एयर बबल एग्रीमेंट के तहत यूक्रेन आने-जाने के लिए सीमित फ्लाइट्स संचालित करने का प्रतिबंध हटा लिया है। इंडियन एविएशन मिनिस्ट्री ने कहा कि अब यूक्रेन के लिए एयरलाइंस कितनी भी फ्लाइट्स संचालित कर सकती हैं। साथ ही स्पेशल चार्टर्ड फ्लाइट्स भी ऑपरेट की जा सकती हैं। इससे पहले छात्रों की गुहार सुनते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को ही भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ ही यूक्रेन में मौजूद भारतीय दूतावास में भी स्पेशल कंट्रोल रूम बना दिए थे, जो यूक्रेन में मौजूद भारतीय नागरिकों की हर समस्या सुलझाने में मदद कर रहे हैं। यूक्रेन मसले को लेकर यूरोप में लगातार बेचैनी बढ़ती जा रही है। यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन स्थित दूतावास के गैर जरूरी कर्मचारियों को वापस देश लौटने के लिए कहा है। इटली के विदेश मंत्रालय ने अस्थायी तौर पर अपने नागरिकों को यूक्रेन छोडऩे के लिए कहा है। इसके अलावा डोनेट्सक, लुहान्सक और क्रीमिया क्षेत्र की यात्रा ना करने की सलाह भी दी है। तुर्की ने जरूरी ना होने पर नागरिकों को पूर्वी यूक्रेन ना जाने की सलाह दी है। नीदरलैंड्स और एस्टोनिया ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द यूक्रेन छोडऩे की सलाह दी है। आयरलैंड ने दूतावास के कर्मचारियों में कमी की है। विभिन्न देशों के यह अलर्ट बता रहे हैं कि रूस और यूक्रेन में तनाव कम होने की खबरें अभी पुख्ता नहीं हैं और कभी भी युद्ध भड़क सकता है। इस परिस्थिति में केंद्र सरकार का विमानों की आवाजाही पर लगा प्रतिबंध हटाना सही फैसला है। देखा जाए तो यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा गंभीर चिंता का विषय बन गई है। चिंता इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय दूतावास ने इस संकटग्रस्त देश में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों, खासतौर से छात्रों को वहां से चले जाने का परामर्श जारी कर दिया था। जाहिर है, भारतीय दूतावास हालात की गंभीरता को समझ रहा है। उसे भी लग रहा है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ गई तो भारतीय नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकाल पाना आसान नहीं होगा। दूतावास की सलाह से साफ है कि जब तक हालात शांत नहीं हो जाते, तब तक वहां रहना जान को जोखिम में डालना है। हालांकि स्थितियां तो पहले से संकेत दे रही हैं कि यूक्रेन के लिए आने वाले दिन मुश्किल भरे होंगे। ऐसे में भारत सरकार की अपने नागरिकों को वहां से निकालने की पहल बिल्कुल सही समय पर की गई है। इससे भारत में अपने लोगों के लिए चिंतित लोगों को भी राहत मिलेगी। हालांकि ऐसे ही मुश्किल हालात में भारत ने पहले भी अपने लोगों को बचाया है। कुछ महीने पहले तालिबान के सत्ता हथियाने के बाद अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया था। इराक में इस्लामिक स्टेट के हमलों के बाद वहां से भारतीय नागरिकों को बचाया गया था। तीन दशक पहले जब इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था, तब भी वहां फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि संकटग्रस्त हालात में दूसरे देशों में फंसे अपने नागरिकों को बचाने में भारत सरकार के पास खासा तजुर्बा और संसाधन हैं। यूक्रेन में 18 हजार से ज्यादा भारतीय छात्र हैं। वहां रह रहे भारतीय नागरिकों की संख्या भी कम नहीं है।