हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आगामी सीजन को देखते हुए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अभी से कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने एक्स सीटू प्रबंधन हेतु वर्तमान प्रौद्योगीकियों के अलावा नई प्रौद्योगीकियों और परियोजनाओं की संभावनाएं तलाशने के भी निर्देश दिए। मुख्य सचिव शुक्रवार को आगामी सीजन के लिए एक्स सीटू प्रबंधन के संबंध में बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा की गत वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है और इस वर्ष भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए अभी से कार्य योजना तैयार की जाए। इसके लिए ग्राम स्तर पर भी कमेटियां बनाई जाएं ताकि जमीनी स्तर पर पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा सके और किसानों को भी पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में इन-सीटू प्रबंधन व्यापक स्तर पर किया जा रहा है और इसके साथ ही एक्स सीटू प्रबंधन पर अधिक जोर देने की जरूरत है। इसके लिए वर्तमान प्रौद्योगीकियों के अलावा नई नई प्रौद्योगीकियों और नई परियोजनाओं की संभावनाएं भी तलाशी जाएं।
संजीव कौशल ने निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश में बायोमास एनर्जी प्लांट, एथेनॉल प्लांट, और कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट को और अधिक व्यवहार्य बनाने और इनकी संख्या बढ़ाने के लिए सहकारी चीनी मिलों की लागत का अध्ययन (कॉस्टिंग स्टडी) करवाया जाए, ताकि अधिक मात्रा में पराली की खपत को बढ़ावा मिले।
बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक हरदीप सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा एक्स सीटू प्रबंधन के लिए किसानों को विभिन्न उपकरण जैसे स्ट्रॉ स्लैशर, शरेडर, हे-रेक और स्ट्रॉ बेलेर के लिए सब्सिडी प्रदान की जा रही है ताकि किसान पराली को न जलाएं।
बैठक में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए के सिंह, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।