दिल्ली के चिड़ियाघर में करीब ढाई साल में सात बाघ और शेरों जैसे बड़े शिकारी जानवरों की मौत हो गई। चिड़ियाघर एशियाई शेरों और बंगाल टाइगर्स के संरक्षित प्रजनन में भागीदार है। रिकॉर्ड के मुताबिक, सात में से कम से कम चार की मौत गुर्दे की बीमारी की वजह से हुई। चिड़ियाघर की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, कैद में रहने वाले शेर-बाघ जैसे बड़े शिकारी जानवरों में गुर्दे की बीमारी होने का बहुत खतरा रहता है, क्योंकि गतिविधियों और कसरत की कमी की वजह से वे मोटापे का शिकार हो जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस परेशानी का निदान करने के लिए उन्हें अलग अलग तरह का खाना दिया जाता है और शेर-बाघ जैसे बड़े शिकारी जानवरों के बाड़ों में गतिविधियों के लिए उपकरण रखे जाते हैं। साथ में समय समय पर उनके स्वास्थ्य की जांच भी की जाती है। दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक धर्मदेव राय ने कहा कि इस मामले का विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है। उन्होंने 21 फरवरी को ही पदभार संभाला है। उन्होंने कहा, “हम उनके वंश और संतति के बारे में अधिक जानने का प्रयास करेंगे और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उनकी मौत के कारणों को देखेंगे।” एक अधिकारी ने बताया कि दस जनवरी को आठ साल की शेरनी हेमा की मौत हो गई थी, क्योंकि उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। हेमा और शेर अमन को 2015 में छत्तीसगढ़ के छतबीर चिड़ियाघर से लाया गया था। अमन की पिछले साल नौ मई को दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौत हो गई थी। इससे पहले 14 दिसंबर को छह वर्षीय बाघिन निर्भया की मौत दिल के काम नहीं करने की वजह से हुई थी। फिलहाल दिल्ली के चिड़ियाघर में पांच सफेद बाघ हैं जिनमें से तीन नर और दो मादा हैं। वहीं चार बंगाल टाइगर्स हैं जिनमें से तीन मादाएं हैं और एक नर है। चिड़ियाघर में चार शेर हैं जिनमें से दो नर और दो मादाएं हैं।
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