गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली ।भाजपा के स्वच्छ भारत मिशन राजस्थान के संयोजक और डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति के.के.गुप्ता ने कहा है कि राजस्थान में डूंगरपुर ऐसी प्रथम निकाय है जिसने इस ऐतिहासिक नगर को अपना हेरिटेज स्वरूप लौटाया है।
वे यूनेस्को द्वारा जयपुर में आयोजित दो दिवसीय वर्कशाप के समापन पर बैठक की अध्यक्षता कर रहें थे।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के सबसे पुराने नगरों में शामिल डूंगरपुर के चांदपोल का दरवाजा, जज साहब का दरवाजा, कनेरा पोल, सारणेश्वर मंदिर का दरवाजा, बादल महल, गेपसागर पाल की सीढ़ियों, उदय वाव एवं अन्य स्थानों को उनका वास्तविक हेरिटेज लुक देकर पुनः जीवन्त किया गया हैं। नगर में जज साहब का दरवाज़ा जो कि पूरी तरह से जर्जर हो चुका था उसका जीर्णोद्धार कराया गया और आज उसमें म्यूजियम संचालित है। राजस्थान में यह पहली बार हुआ है कि किसी न्यायालय की बिल्डिंग को नगर परिषद द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर उसका जीर्णोधार किया गया । साथ ही शहर के अन्य तीनों दरवाजे जो लंबे समय से जर्जर हालत में थे और उनसे कभी भी कोई बड़ी क्षति का हो सकती थी उन्हें भी उनके मूल स्वरूप में लाया गया है । नगर परिषद ने अपने कोष से इन चारों दरवाजों को उनका मौलिक रूप दिया और हेरिटेज विशेषज्ञों की देखरेख में बनवाया गया। शहर के उपेक्षित पड़े ऐतिहासिक स्थल बादल महल जो कि देखरेख के अभाव में असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका था, आज पर्यटकों के भ्रमण का मुख्य केंद्र बन गया हैं। जहां से नगर की ऐतिहासिक झील गेप सागर में नौका विहार किया जाता है ।
हिल नगरी के रुप में प्रसिद्ध डूंगरपुर नगर में पुराने और नए बाग बगीचे बनवा कर और उनमें म्यूजिकल फाउंटेन तथा शिवजी का विशाल मंदिर बनाकर उनका सौन्दर्य करण कराया गया है।आज इन सुंदर स्थानों की गाथा दूर-दूर तक गाई जाती है। गैप सागर झील की पाल और उनकी सीढ़िया को बलवाड़ा पत्थर से बनाकर नयनाभिराम हेरिटेज लुक दिया गया है तथा शहर की ऐतिहासिक बाव उदय बाव जो कि गंदगी का अड्डा बन गई थी उसकी साफ सफाई कर उसे उसके मूल रूप में लाया गया है ।आज यह बावड़ी न केवल एक पर्यटक स्थल का रूप ले चुकी है वरन पुराने शहर में करीब 2000 घरों की प्यास भी बुझा रही है ।आज नगर के हेरिटेज स्वरूप का बाहर से आने वाले पर्यटक प्रशंसा करते नहीं थकते हैं।
बैठक में बताया गया कि के.के.गुप्ता के अध्यक्ष कार्यकाल में यह प्रयास किया गया था कि जो भी पर्यटक स्थल अपना पुरातत्व स्वरूप खो चुके थे उन्हें वापस अपने मूल रूप में लाने का प्रयास किया जायें तथा उनके आसपास साफ सफाई की भी व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जायें। जिससे पर्यटकों को भ्रमण में किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होवें।
उन्होने स्वच्छ भारत अभियान को अपना जूनून मानते हुए शहर को स्वच्छता की नई राह दिखाई जिससे शहर की आबोहवा ही बदल गई ।कल तक पिछड़ी श्रेणी आने वाला शहर स्वच्छता में प्रदेश के साथ देश में अपनी महक की छाप छोड़ने में सफल रहा। स्वच्छता के महाआंदोलन ने शहर के बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति ने स्वच्छता को अपना धर्म और कर्म मानकर इस अभियान को आंदोलन बना दिया और सात समुंदर पार तक स्वच्छता के मामले में शहर की ख्याति हुई । चार बार ओडीएफ का ताज अपने नाम हासिल करने वाली इस निकाय के असली नायक के.के.गुप्ता ही रहें जिन्होंने शहरी स्वच्छता को सिर्फ सड़क तक सीमित नही रख,शहर के प्रत्येक वार्ड और शहर की एक-एक गली और स्कूलों में स्वच्छता की ऐसी बयार चलायी की शहर का जर्रा जर्रा स्वच्छता के नाम से जाना जाने लगा। रात को नियमित सफाई,सार्वजानिक शौचालय की सफाई,सार्वजानिक बस स्टेण्ड की सफाई,प्रत्येक वार्ड में अपने कर्मचारी द्वारा मॉनटरिंग और नित नए नवाचारों से शहर को स्वच्छता में अग्रणी रखने में डूंगरपुर निकाय कामयाब रहा। शहर के मध्य स्थित डूंगरपुर की हदय स्थली गेपसागर झील आज प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुकी है कोई भी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम इसके बिना अधूरे है। शहरी सरकार के मुखिया ने सर्वप्रथम गेपसागर के सौन्दर्य को लेकर अविस्मरणीय कार्य करते हुए गेपसागर पर स्थित सारी सीढ़ियों का जीर्णोद्धार कराया । साथ ही आधुनिक रेलिंग और फव्वारों से गेपसागर की सूरत ही बदल दी। के.के.गुप्ता ने झील को भरने को लेकर गंगा आरती की साथ झील को साफ़ और सुन्दर रखने की नागरिकों को शपथ भी दिलाई एवं झील के सभी आवक मार्गो को खुलवाया और नतीजा ये निकला की यह झील अब हर साल मानसून में पूरी भरकर छलकती भी है। झील को और अधिक सुन्दर बनाने के लिए झील के मध्य शिव की विशाल प्रतिमा का विराजित किया गया है जो आज शहरवासियों के आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। गेपसागर में बोटिंग का आनंद एक अलग ही अनुभूति दिलाता है।सच मायने में गेपसागर झील शहर में पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गई है। गुप्ता ने राज्य सरकार की महत्वकांशी योजना जल स्वालंबन में भी ऐतिहासिक कार्य कर बरसो की समस्या का हल केवल दो साल में कर दिखाया।
नगरपरिषद डूंगरपुर ने जल स्वालंबन में पुरानी बाव,कुओं और हेंड पंप की को गहरा और साफ़ कर शहरी जनता को पानी पहुंचाने का काम किया और आज भी इन बाव और कुओं के माध्यम से शहर जनता को प्रतिदिन आठ लाख लीटर पानी पहुंचाया जा रहा है वही वर्षा के जल को भू जल तक पहुंचाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य शहर की समस्त सरकारी इमारतों और किया गया और जल स्तर को बढ़ाया गया । वही शहर की जनता की पीने के पानी की समस्या को हल करते हुए एक रूपये में एक लीटर और 5 रूपये में 20 लीटर शुद्ध आरओ का पानी पहुंचाने का नवाचार भी किया। डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति के के गुप्ता ने नगर में राज्य का सबसे बड़ा बायोगैस प्लांट भी स्थापित किया। साथ ही गायो के लिए शहर के प्रत्येक घर से एक एक रोटी का संग्रहण और गंदगी करने पर स्पॉट फाइन भी शुरू किया। नगर के खाली पड़े भूखंडो की सफ़ाई एवं गंदे भूखंडो को सीज किया गया।शहर को पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित करने के लिए पर्यटन स्थलों का जीर्णोद्वार,शहर के सभी जीर्ण शीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्वार कराया। साथ ही शहर के विध्यालयों में पढ़ने वाले 22 हजार 373 बच्चो को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया ।
बैठक में यूनेस्को के पदाधिकारियों ने के के गुप्ता के नेतृत्व में डूंगरपुर नगर परिषद द्वारा किए गए कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि डूंगरपुर मौडल और गुप्ता के सुझावों से जयपुर को भी स्वच्छता के मामले में सिरमौर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
इस दौरान नगर निगम जयपुर हेरिटेज आयुक्त अवधेश मीणा, यूनेस्को दल के सदस्य मिशेल जूई हॉन, प्रोफेसर निंजा यंग एवं मिस्टर पॉल समेत अन्य पदाधिकारियों ने भी अपने विचार और सुझाव रखें।