शेख हसीना के भारत में रहने से दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ेगा असर और क्या CAA कारगर साबित होगा ?

Will Sheikh Hasina's stay in India affect the relations between the two countries and will CAA prove effective?

प्रदीप शर्मा

भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय मुश्किल वक्त से गुजर रहा है. हाल ही में हुए तख्तापलट से देश में अराजकता की स्थिति बनी हुई है. बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना अपना देश छोड़कर भारत आ गई हैं। उन्होंने फिलहाल भारत में शरण ले रखा है. 84 साल के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूसुफ को फिल्हाल अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया गया है।

इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच बांग्लादेश एक बार फिर से हिंसा के दौर से गुजर रहा है. हालिया रिपोर्ट्स में वहां रह रहे अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें आई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता और वहां हो रहे अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर चिंता व्यक्त की थी।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूसुफ भी देश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की और हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर आश्वासन दिया है. इसके अलावा यूनाइटेड नेशंस और अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भी बांग्लादेश की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं।

इस संकट से बांग्लादेश से सटे भारत के राज्यों पर शरणार्थी पलायन को लेकर दबाव की स्थिति बनी हुई है. बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग भारत की तरफ आ रहे है।

भारत और बांग्लादेश के संबंध उनकी साझा सांस्कृतिक धरोहर, भाषाई और ऐतिहासिक तौर पर जुड़े हुए हैं. बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध वर्ष 1971 में बांग्लादेश की स्थापना के साथ ही शुरू हो गए थे। भारत ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान स्वतंत्र बांग्लादेश के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाला भारत पहला देश बना. बांग्लादेश का मुक्ति दिवस 16 दिसंबर भारत में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित हुए G-20 समेल्लन में भारत ने बांग्लादेश को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था. उस समय शेख हसीना के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता हुई थी. इसके बाद पीएम मोदी ने बांग्लादेश को क्षेत्र के विकास में एक ‘सोहो जात्री’ या सह-यात्री बताया था. तब बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. अब्दुल मोमन ने भारत-बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों का ‘सोनाली अध्याय’ (स्वर्णिम युग) कहा था।

भारत की चिंताएं मूलतः यह सुनिश्चित करने की हैं कि बांग्लादेश की स्थिति का हमारे पड़ोसी राज्यों और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. और साथ ही साथ दोनों देशों के बीच आर्थिक गतिविधियां सामान्य रूप से जारी रहे।

भारत और बांग्लादेश के रिश्ते के बीच शेख हसीना एक अहम किरदार हैं. शेख हसीना भारत के लिए दशकों से सबसे खास मित्रों में से एक रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनके रिश्ते मधुर रहे हैं. भारत बांग्लादेश के बीच 2013 से प्रत्यर्पण संधि है। हालांकि, जानकर बताते हैं कि इस संधि का प्रभाव शेख हसीना के मामले में नहीं पड़ेगा।

लेकिन इन सबके बीच कुछ परेशान करने वाले संकेत हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं. अल्पसंख्यकों को प्रोफेसरों, शिक्षकों, कर्मचारियों अपने पद से हटाया जा रहा है. जो भी अवामी लीग से जुड़े हैं, उनपर सुनयोजित तरीके से हमले हो रहे है।

बांग्लादेश संकट के बीच CAA कानून की चर्चा भी हो रही है. सवाल उठ रहे हैं कि भारत में आ रहे बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों को क्या CAA भारतीय नागरिकता दिला पाएगी? भारत ने साल 2019 में अपने नागरिकता कानून में बदलाव किया था. इसमें भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदाय के लोगो को नागरिकता देने की बात कही गई थी।

अभी बांग्लादेश में पर्सीक्यूशन हो रहा है. वहां धर्म के आधार पर हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. उसके लिए जरूरी है कि भारत सरकार तय की गई तारीख को बढ़ाए, ताकि बांग्लादेश से भाग कर आ रहे हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन कानून का लाभ मिल सके। चूंकि, 2019 में जो संशोधन हुआ था उसका आधार इन तीन देशों के अल्पसंख्यक को धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के लिए हुआ था. अगर भारत सरकार तय तारीख को बढ़ाती है, तो यह कारगर उचित और प्रभावी कदम होगा।