बाजार नियामक सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को एक्सचेंज ट्रेडेड जिंस वायदा (ईटीसीडी) बाजार में शिरकत करने की मंजूरी देने का प्रस्ताव रखा है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परामर्श पत्र में यह प्रस्ताव रखा है कि एफपीआई को सभी गैर-कृषि जिंस डेरिवेटिव (वायदा और विकल्प) में कारोबार की मंजूरी दी जानी चाहिए। इसकी शुरुआत कुछ चुने हुए व्यापक कृषि जिंस डेरिवेटिव के साथ की जा सकती है।
सेबी के मुताबिक इस पहल का मकसद जिंस डेरिवेटिव बाजारों में तरलता एवं गहराई लाने का है। इस परामर्श पत्र के मुताबिक, ‘तरलता बढ़ने से क्रमिक रूप से भारतीय जिंस डेरिवेटिव बाजार विभिन्न जिंसों के लिए वैश्विक मानक के तौर पर काम कर सकते हैं। इससे भारत की भूमिका कीमत लेने वाले से बदलकर कीमत तय करने की हो जाएगी।’ इसके अलावा एफपीआई की भागीदारी बढ़ने से जिंस वायदा खंड में लेनदेन की लागत में भी कमी आ सकती है।
फिलहाल भारतीय जिंस बाजार तक पहुंच रखने वाली पात्र विदेशी इकाइयों (ईएफई) को ही भारतीय जिंस डेरिवेटिव बाजार में शामिल होने की मंजूरी मिली हुई है। तगड़ी खरीद क्षमता वाले वित्तीय निवेशक एफपीआई को अभी तक ईटीसीडी में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है।
सेबी ने यह परामर्श पत्र अपनी जिंस डेरिवेटिव सलाहकार समिति की नवंबर बैठक के बाद जारी किया है। उस बैठक में ईटीसीडी में ईएफई की तरफ से सक्रिय हिस्सेदारी नहीं किए जाने पर विचार करने के साथ ही एफपीआई को मंजूरी देने का सुझाव भी दिया गया था।