12वीं में नंबर 99 हाें या 39,सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कॉलेज में दाखिला कॉमन एंट्रेंस टेस्ट क्वालीफाई करने के बाद ही मिलेगा

संदीप ठाकुर

12वीं की परीक्षा के परिणाम आने वाले हैं। इसमें छात्राें काे नंबर 99 आए
या 39 कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय सहित सेंट्रल
यूनिवर्सिटी से जुड़े तमाम कॉलेजों में स्नातक कक्षाओं में दाखिले के लिए
अब छात्र छात्राओं काे सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) से
गुजरना हाेगा। टेस्ट अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु और
कन्नड़ सहित 13 भाषाओं में आयोजित किया जाएगा। 12 वीं बोर्ड के अंकों में
अब कोई वेटेज नहीं मिलेगा। दाखिले की ऑनलाइन प्रक्रिया 5 अप्रैल से शुरू
हो गई है। पहली नजर में देखने पर ऐसा लग रहा है कि यह बहुत अच्छी पहल है।
लेकिन विशेषज्ञों का समूह व शिक्षा समुदाय इस पर दाे फाड़ है। एक बड़े
वर्ग का मानना है कि यूजीसी की यह पहल आने वाले समय में छात्रों और
अभिभावकों की परेशानी का सबब बन जाएगी,जबकि दूसरे समूह का मानना है कि इस
नियम के कारण दाखिले की चाहत रखने वाले सभी छात्रों को बराबरी का मैदान
मिलेगा। इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में आसमानी कट-ऑफ अंक अब
इतिहास बन गए हैं।

जिस तरह जेईई की परीक्षा के जरिए इंजीनियरिंग और नीट की परीक्षा के जरिए
मेडिकल में दाखिले मिलते हैं ठीक उसी तरह नए शैक्षणिक सत्र 2022-23 में
सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों के स्नातक कक्षाओं यानी
बीए/बीकॉम/ बीएससी में दाखिले के लिए एक साझा दाखिला परीक्षा उत्तीर्ण
करने के बाद ही दाखिला मिलेगा। टेस्ट में पाठ्यपुस्तकों पर आधारित
बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे और गलत उत्तरों के लिए छात्रों को नंबर भी काटे
जाएंगे। ऐसा नई शिक्षा नीति के तहत के तहत किया गया है। विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी
सीयूईटी 2022 की आवेदन प्रक्रिया और परीक्षा का फॉर्मेट आदि जारी कर दिया
है। दिल्ली विश्वविद्यालय में इस नई नीति के तहत दाखिले की प्रक्रिया
शुरू हो चुकी है। मोटे तौर पर यूजीसी के इस फैसले की वाहवाही हो रही है।
लेकिन यह सिक्के का एक पहलू है। इसके नीति के समर्थन में तर्क देने वालों
का मानना है कि इसके चलते केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले की चाहत
रखने वाले सभी छात्रों को बराबरी का मैदान मिलेगा। केंद्रीय माध्यमिक
शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई या किसी अन्य बोर्ड की परीक्षाओं में चाहे
किसी काे 99 प्रतिशत अंक हों या फिर 39 प्रतिशत,कोई फर्क नहीं पड़ता।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में दाखिला तभी मिलेगा जब
छात्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट क्वालीफाई करेगा। ध्यान रहे कि पिछले कुछ समय
से सीबीएसई व कई राज्यों की बोर्ड परीक्षाओं में सौ फीसदी अंक लाने वाले
छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई
और विश्वविद्यालयों में दाखिले का कटऑफ सौ फीसदी तक जा रहा है। इससे कम
अंक लाने वालाें काे परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन कॉमन
एंट्रेंस टेस्ट हाेने से यह गला काट प्रतियोगिता पर विराम लग जाएगा।

दूसरी ओर दाखिला के इस नई नीति का विरोध करने वालों का मानना है कि कॉमन
एंट्रेंस टेस्ट किसी समस्या का समाधान नहीं है। इससे नई समस्याएं पैदा
होगीं। सबसे पहली समस्या यह आएगी कि 12वीं के अंकों का महत्व खत्म हो
जाएगा। बोर्ड की परीक्षा के लिए अभी छात्र समग्रता में पढ़ाई करते हैं।
लेकिन अब नहीं करेंगे। क्योंकि उन्हें पता है कि इस अंक के आधार पर उनको
अच्छे विश्वविद्यालय और मनपसंद कोर्स में दाखिला नहीं मिलेगा। अगर अच्छे
विश्वविद्यालय और मनपसंद कोर्स के लिए 12वीं के अंकों का महत्व खत्म हो
जाएगा तब छात्र क्लासरूम की पढ़ाई पर कम ध्यान देंगे। फिर उनकी पढ़ाई
सीधे दाखिला परीक्षा की तैयारियों पर केंद्रित हो जाएगी। यानी दूसरे
शब्दों में पढ़ाई का पूरा पैटर्न बदल जाएगा। जिस तरह इंजीनियरिंग और
मेडिकल में दाखिले की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान देश भर में
कुकुरमुत्ते की तरह उगे हैं ,छात्राें का दोहन कर रहे हैं ठीक उसी तरह
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी कराने
वाले कोचिंग संस्थान उग आएंगे।

एक बड़ी समस्या विस्थापन की भी आ सकती है। देश के सभी 45 केंद्रीय
विश्वविद्यालयों में दाखिले की एक केंद्रीकृत परीक्षा होगी तो उससे देश
भर के युवा छात्रों में बड़ा विस्थापन होगा। किशोर उम्र के बच्चों को
अपना घर और परिवार छोड़ कर दूसरी जगह जाना पड़ सकता है। क्योंकि कॉलेज
कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आधार पर आवंटित होंगे और ऐसे में हो सकता है कि साउथ
इंडिया के छात्र काे नॉर्थ इंडिया का कोई कॉलेज अलॉट हाे जाए ताे ऐसे में
उसे अपना घर द्वार छोड़ना ही पड़ेगा। (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार
के मुताबिक मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2022-23 से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी
स्नातक एवं परास्नातक कोर्स के लिए सीयूईटी का आयोजन करेगी। सभी केंद्रीय
विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए सीयूईटी में
प्राप्त अंकों काे ही आधार मानना हाेगा। उल्लेखनीय है कि 45 केंद्रीय
विश्वविद्यालयों को यूजीसी से आर्थिक सहायता मिलती है। दिल्ली
विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल इस नए कॉमन
एंट्रेंस टेस्ट का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एग्जीक्यूटिव
काउंसिल की बैठक में भी इसका पुरजोर विरोध किया। अग्रवाल के मुताबिक इस
तरह का कॉमन एंट्रेंस टेस्ट बिना तैयारी के लाया जा रहा है। इसमें कई
खामियां हैं जिसके कारण गरीब बच्चों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठाना
पड़ेगा।