
सुनील कुमार महला
भारत ने ग़रीबी की लड़ाई जीत ली है।यह प्रशंसनीय है कि भारत में गरीबों की संख्या में गिरावट आई है। कहना ग़लत नहीं होगा कि गरीबी किसी भी देश के लिए एक अभिशाप होता है, क्यों कि रोजगार से आय का स्तर इतना कम होता है कि बुनियादी मानवीय ज़रूरतें ही पूरी नहीं हो पाती हैं और जब व्यक्ति विशेष की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं हैं तो इससे देश और समाज में खुशहाली में कमी आती है। बहरहाल , यहां पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में यह सामने आया है कि पिछले 11 साल में 26.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं। वास्तव में यह दर्शाता है कि भारत ने पिछले दशक में अपनी अत्यधिक गरीबी दर को कम करने में अभूतपूर्व प्रगति की है। यह काबिले-तारीफ है कि गरीबी दर साल 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से घटकर साल 2022-23 में 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई है। हालांकि यह बात अलग है कि विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित कर अब तीन डॉलर प्रति दिन(2021 की कीमतों के आधार पर) कर दिया है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि यह पहले की 2.15 डॉलर की सीमा से 15% अधिक है तथा इस नए मानक के आधार पर 2024 में भारत में 5.44 करोड़ लोग तीन डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन कर रहे थे। दूसरे शब्दों में कहें तो विश्व बैंक के अनुसार अत्यंत गरीबी उन लोगों को संदर्भित करती है जो प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन करते हैं। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति जो हर रोज 2.15 डॉलर से कम आमदनी पर जीवन यापन करता है उसे अत्यधिक गरीबों में रहने वाला माना जाएगा।सरल शब्दों में कहें तो गरीबी से तात्पर्य ऐसी परिस्थिति से है, जिसमें लोगों या समुदायों के पास न्यूनतम जीवन स्तर के लिये वित्तीय संसाधन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध नहीं होती हैं। अब यहां प्रश्न यह उठ सकता है कि आखिर देश में ग़रीबी के प्रमुख कारण क्या हैं ? तो यहां पाठकों को बताता चलूं कि गरीबी के प्रमुख कारणों में क्रमशः जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की कमी, और सामाजिक भेदभाव को शामिल किया जा सकता है। कम कृषि उत्पादकता भी गरीबी का एक प्रमुख कारण है। संसाधनों का अकुशल उपयोग, आर्थिक विकास की निम्न दर, मूल्य वृद्धि, पूंजी और उद्यमिता की कमी व विभिन्न जलवायु कारक जैसे कि बाढ़, आपदाएं, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी गरीबी का कारण बनकर सामने आते हैं।बहरहाल, यहां यह उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार महामारी के कारण भारत में वर्ष 2020 में 56 मिलियन गरीब लोगों की वृद्धि (2.15 अमेरिकी डॉलर) हुई। हाल फिलहाल, रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 से 2022-23 के बीच अत्यधिक गरीबी की दर 16.2% से घटकर 2.3% हो गई, जिसके परिणामस्वरूप 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% और शहरी क्षेत्रों में 10.7% से 1.1% हो गई, जिससे ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 7.7% से घटकर 1.7% रह गया।यह 16% की वार्षिक कमी दर्शाता है। गौरतलब है कि विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2017 और 2021 के बीच भारत की महंगाई दर को देखते हुए, तीन डॉलर की संशोधित अत्यधिक गरीबी रेखा 2021 की कीमतों में व्यक्त 2.15 डॉलर की सीमा से 15 प्रतिशत अधिक होगी और इसके परिणामस्वरूप 2022-23 में गरीबी दर 5.3 प्रतिशत होगी। सामने आया है कि मुफ्त राशन योजना से गरीबी की यह तस्वीर बदली है। जानकारी के अनुसार मुफ्त और रियायती खाद्यान्न हस्तांतरण से गरीबी में कमी आई और ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर कम हुआ। यहां पाठकों को बताता चलूं कि कोरोना काल में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरू की थी। इस योजना के तहत गरीब जरूरतमंदों हर महीने प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलो ग्राम तक मुफ्त राशन दिया जाता है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 1 जनवरी 2024 से अगले पांच सालों तक के लिए बढ़ा दिया और इससे देश के 80 करोड़ लोगों को फायदा मिल रहा है। बहरहाल, रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में 54 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते हैं। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत की वास्तविक जीडीपी महामारी-पूर्व प्रवृत्ति स्तर से लगभग पांच प्रतिशत कम थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं को व्यवस्थित तरीके से हल किए जाने की स्थिति में 2027-28 तक वृद्धि धीरे-धीरे संभावित स्तर पर वापस आ जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, परिदृश्य में महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर नीतिगत बदलाव जारी रह सकते हैं। बढ़ते व्यापार तनाव से भारत के निर्यात की मांग कम होगी और निवेश में सुधार में और देरी होगी। बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि भारत में 2011-12 के दौरान कुल 344.47 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे, जो कि 2022-23 के दौरान घटकर लगभग 75.24 लाख लोग रह गए हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में लगभग 11 वर्षों में 269 लाख व्यक्तियों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश पांच राज्यों में साल 2011-12 के दौरान भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते थे। वहीं, इन राज्यों ने 2022-23 तक अत्यधिक गरीबी में होने वाली कुल गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया। बहरहाल, अच्छी बात यह है कि अब महज 33.66 लाख लोग अत्यधिक गरीब रेखा के नीचे हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 2.15 डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 33.66 लाख दर्ज की गई है, जो 2011 में 205.93 लाख दर्ज की गई थी। आंकड़ों से यह भी पता चला कि यह तीव्र गिरावट समान रूप से देखी गई, जिसमें ग्रामीण अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत हो गई और शहरी अत्यधिक गरीबी पिछले 11 वर्षों में 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई। इसके अलावा, भारत ने बहुआयामी गरीबी को कम करने में भी शानदार प्रगति की है। कहना ग़लत नहीं होगा कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने विभिन्न योजनाओं, महत्वपूर्ण कदमों, इंफ्रास्ट्रक्चर और समावेशन पर फोकस कर ग़रीबी को मात दी है। पिछले कुछ सालों से देश के आर्थिक विकास में अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिली है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस संबंध में नीति आयोग के सीइओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने 24 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि भारत ने यह उपलब्धि अपनी इकोनॉमिक पॉलिसी के कारण हासिल की है। गौरतलब है कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी(आइएमएफ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम ने यह बात कही थी कि, ‘हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं। आज भारत जापान से बड़ा है। अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से बड़े हैं।’ बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि पिछले कुछ सालों से हमारे देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, हमारे देश की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुईं हैं, और सामाजिक सुरक्षा जाल स्थापित हुआ है। सच तो यह है कि पिछले कुछ सालों में पीएम आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, जन धन योजना और आयुष्मान भारत जैसी पहलों ने आवास, स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बढ़ाया है और शायद यही कारण है कि देश से गरीबी कम हुई है।