3 IAS प्रार्थी की जलसमाधि का जिम्मेदार कौन? कोचिंग सेंटर, MCD, Police या सरकार

3 Who is responsible for the water samadhi of the IAS candidate? Coaching Centre, MCD, Police or Government

प्रदीप शर्मा

राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं में सुनहरे सपनों के लिये कोचिंग ले रहे तीन प्रतिभागियों की डूबने से हुई मौत ने पूरे देश को झकझोरा है। अवैध रूप से बेसमेंट में चलाये जा रहे एक कोचिंग संस्थान में बरसात का पानी भर जाने से एक छात्र व दो छात्राओं की दर्दनाक मृत्यु हो गई थी। इस घटना को लेकर सड़क से संसद तक हंगामा हुआ है। जानलेवा परिस्थितियों में कोचिंग व संचालकों की मनमानी के खिलाफ प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश की तैयारी कर रहे छात्र सड़कों पर आंदोलन करते रहे हैं। निस्संदेह, यह कोई दुर्घटना नहीं बल्कि मोटे मुनाफे के प्रलोभन में मानव जनित त्रासदी है।

विडंबना देखिये ये घटना देश की राजधानी में घटी है। यदि दिल्ली में कोचिंग संस्थानों में आपराधिक लापरवाही की यह स्थिति है तो शेष देश में प्रतिभावान छात्र किन अमानवीय परिस्थितियों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होंगे? सवाल है कि जब दिल्ली के इन इलाकों के बेसमेंट में किसी तरह की व्यावसायिक गतिविधि चलाना गैरकानूनी है तो फिर कैसे दर्जनों कोचिंग सेंटर बेसमेंट में चल रहे थे? क्यों एमसीडी व दिल्ली प्रशासन के अधिकारियों ने अवैध रूप से चलाए जा रहे इन कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की? अब जब जनाक्रोश बढ़ने लगा तो एमसीडी के एक छोटे अधिकारी को बर्खास्त व एक अधिकारी को निलंबित किया गया है।

शनिवार को जिस कोचिंग सेंटर में हादसा हुआ उनके प्रबंधकों की गिरफ्तारी के अलावा कुछ अन्य कोचिंग संस्थानों को सील किया गया है। आखिर किसी न्यायोचित कार्रवाई के लिये हम किसी हादसे का इंतजार क्यों करते हैं? विडंबना देखिए कि छह माह पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के कोचिंग सेंटरों के नियमन के लिये दिशा-निर्देश जारी किये थे। जिसमें बुनियादी ढांचे की आवश्यकता,अग्नि सुरक्षा कोड, भवन सुरक्षा कोड और छात्रों के हित में अन्य मानकों का पालन करने के सख्त निर्देश दिए थे। जिसका मकसद यही था कि शनिवार को हुए दिल्ली हादसे जैसी दुर्घटनाओं से छात्रों की जीवन रक्षा की जा सके।

महत्वपूर्ण सवाल यह कि क्या देश के विभिन्न राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में इन निर्देशों का गंभीरता से पालन किया गया? यह भी कि क्रियान्वयन की निगरानी के लिये केंद्र सरकार ने कोई तंत्र विकसित किया है? दरअसल, कोचिंग संस्थानों की मुनाफाखोरी का खमियाजा अच्छी नौकरी के सपने देखने वाली प्रतिभाओं को उठाना पड़ रहा है। यही वजह है घटना पर सांसदों की चिंता के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सोमवार को राज्य सभा में कहना पड़ा कि सुरक्षा पर लाभ को प्राथमिकता देने वाले कोचिंग सेंटर गैस चैंबर से कम नहीं हैं।

निस्संदेह, नियामक तंत्र के अभाव में कोचिंग उद्योग महज मुनाफे का धंधा बन गया है। वर्ष 2022 के एक अनुमान के अनुसार देश का कोचिंग उद्योग 58 हजार करोड़ रुपये का था। वर्ष 2028 तक इसके 1.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोचिंग सेंटरों के संचालक मुनाफा बढ़ाने के लिए लागत कम करने से गुरेज नहीं करते। इसके बावजूद दिल्ली सरकार व एमसीडी शनिवार के हादसे की जवाबदेही से नहीं बच सकते। इस घटना का सबक यह है कि ऐसे हादसे देश के किसी भी क्षेत्र में न हों, इसके लिये समय-समय पर देशभर के कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण किया जाना चाहिए।

नीति-नियंताओं को आग लगने पर कुंआ खोदने की प्रवृत्ति से बचना होगा। राजनेताओं को भी राजनीतिक मतभेदों से इतर इस तरह के हादसे रोकने के लिये गंभीर पहल करनी चाहिए। इन संस्थानों को पंजीकरण के समय से समयबद्ध निगरानी के दायरे में लाना चाहिए। इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि इन कोचिंग संस्थानों के आसपास कमरे किराये पर लेकर रहने वाले छात्रों के रहने की उचित व्यवस्था की जाए। दिल्ली में छात्रों ने मकान मालिकों द्वारा मनमाने किराये वसूलने तथा व्यावसायिक दरों पर बिजली-पानी बिल वसूलने के आरोप लगाये हैं। यहां तक कि कुछ छात्रों ने देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर नारकीय परिस्थितियों से मुक्ति दिलाने की गुहार की है। निश्चित रूप से सामान्य मध्यवर्गीय परिवारों से आने वाली इन प्रतिभाओं को पढ़ने-रहने का उचित वातावरण मिलना चाहिए।

प्रदर्शन कर रहे UPSC को शायद अभी तक अपने गुरुओं का साथ नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि छात्र अब सोशल मीडिया पर गुरुओं को खोज रहे हैं. कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपने टीचर्स का नाम लिखकर पोस्‍ट किया है. एक छात्र ने टीचर का नाम लिखते हुए पोस्‍ट किया, “कहां हैं? राजेंद्र और मुखर्जी नगर के सभी टीचर… जिन माता-पिता के बच्‍चों की फीस से आपका घर चला है, क्‍या आप उन बच्‍चों के लिए इतना भी नहीं कर सकते?”