एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर दक्षिण- पूर्व एशिया के संगठन (आसियांन) का 47 वाँ संस्करण, 26 से 28 अक्टूबर 2025 तक मलेशिया की राजधानी क़ुआलालम्पुर में आयोजित होने जा रहा है।मलेशिया इस वर्ष आसियान की अध्यक्षता कर रहा है,और उन्होंने इस सम्मेलन के लिए थीम तय की है, समावेशिता एवं स्थिरता, इस थीम के अंतर्गत दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में समावेशी विकास, सामाजिक,आर्थिक पक्षों का समुचित समन्वय, और पर्यावरणीय तथा स्थिरता संबंधी चिंताओं को प्रमुखता दी जा रही है।
इस आयोजन की विशेषता यह है कि इस बार आसियांन के दस सदस्य देशों के साथ-साथ अनेक संवाद साझेदार और वैश्विक शक्तियों के शीर्ष नेताओं की भागीदारी अपेक्षित है, जिससे यह सम्मेलन सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बता दें, भारतीय पीएम इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे,पीएम अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण संबंधित बैठकों में भाग लेने के लिए संभवत: मलेशिया नहीं जाएंगे, मीडिया की मानें तो भारत की ओर से विदेश मंत्री इस बैठक में हिस्सा लेंगे और भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे यहां बताना जरूरी है कि इस आसियान बैठक में डोनाल्ड ट्रंप भी आ रहे हैं,ऐसे में संभावना थी कि अगर मोदी जाते हैं तो ट्रंप संग उनकी मुलाकात हो सकती थी, मगर अब मुलाकात का इंतजार बढ़ गया है।
साथियों बात अगर हम इस सम्मेलन की पृष्ठभूमि और भू-राजनीतिक महत्व को समझने की करें तोआसियान का मूल उद्देश्य है दक्षिण-पूर्व एशिया के दस सदस्य देशों ब्रुनेई, कंबोडिया,इंडोनेशिया,लाओस,मलेशिया,म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर ,थाईलैंड तथा वियतनाम, में राजनीतिक -सुरक्षा,आर्थिक और सामाजिक- सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाना। वर्ष 2025 में मलेशियाअध्यक्षत्व संभाले हुए है, जो आसियान के लिए एक अवसर भी है और चुनौती भी। अवसर इसलिए क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-रणनीति के बदलते केंद्रों में तेजी से उठा है, और चुनौती इसलिए क्योंकि इस क्षेत्र में अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा,रसद व आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान, जलवायु परिवर्तन, और मानवीय व राजनीतिक तनावों का दबाव लगातार बढ़ रहा है।इस सम्मेलन में न सिर्फ आसियान के दस सदस्य देश उपस्थित होंगे, बल्कि उनकी निगाहें उन डायलॉग पार्टनर देशों पर भी हैं जिनके साथ आसियान का व्यापक सामरिक-आर्थिक नेटवर्क बना हुआ है।उदाहरणस्वरूप, डोनाल्ड ट्रम्प की उपस्थिति की पुष्टि हो चुकी है,इसके अतिरिक्त, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस जैसे बड़े बाहरी देश भी चर्चा के दायरे में हैं।यह व्यापक भागीदारी इस बात का संकेत है कि आसियान अब केवल क्षेत्रीय मंच नहीं बल्कि एक वैश्विक संवाद केंद्र बनने की प्रक्रिया में है।
साथियों बात अगर हम एजेंडा, विषय औरप्राथमिकताओं अवसरों व चुनौतियों को समझने की करें तो,थीम क़ा उद्देश्य है कि विकास का लाभ समस्त सदस्य देशों- समुदायों तक पहुँच सके और सहयोग की संरचना सतत हो।मुख्य एजेंडा में शामिल होंनें की संभावना है, दक्षिण- चीन सागर में समुद्री एवं सुरक्षा विवाद, म्याँमार में नागरिक संकट, आपूर्ति श्रृंखला व आर्थिक निर्भरताएं, डिजिटल अर्थव्यवस्था व जुड़ाव, जलवायु परिवर्तन व सतत विकास, और निस्संदेह बाहरी शक्तियों के साथ रणनीतिक संवाद। इसके अलावा, व्यापार और निवेश को तत्परता से आगे बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना इस शिखर सम्मेलन की बड़ी प्राथमिकता होगी क्योंकि वैश्विक आर्थिक माहौल अस्थिर हो रहा है।अवसर और चुनौतियाँ -इस सम्मेलन के माध्यम से आसियान को अनेक अवसर मिल रहे हैं। जैसे-(1) वैश्विक संपर्क बढ़ाना,(2) बहुपक्षीय साझेदारी को गहरा करना, (3) क्षेत्रीय आवाज को सशक्त बनाना, और (4)आर्थिक तथा डिजिटल संक्रमण में नेतृत्व करना।उदाहरण स्वरूप, मलेशिया ने वर्ष 2025 में आसियान अध्यक्ष रहते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था ढाँचे पर जोर दिया है। चुनौतियाँ कम नहीं हैं,अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा, रूस-यूक्रेन-मध्यस्थता, म्याँमार की अंदरूनी स्थिति, दक्षिण-चीन सागर में तनाव, बढ़ती आर्थिक असममिताएँ और सदस्य देशों के बीच विकास की खाई ) जैसी समस्याएं आसियान के समक्ष खड़ी हैं।
साथियों बात अगर कर हम भारत-आसियान संबंध एवं भारत की भूमिका को समझने की करें तो भारत के लिए यह सम्मेलन विशेष महत्व रखता है क्योंकि भारत ने आसियान के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी स्थापित की है और पोस्ट-2025 दृष्टिकोण तैयार कर रहा है। उपरांत, भारत अपनी अर्थव्यवस्था,सामाजिक शक्ति व रणनीतिक प्रासंगिकता के चलते आसियान क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस सम्मेलन के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि भारत के पीएम ने इस सम्मेलन में वर्चुअल उपस्थिति की बात कही है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत आसियान मंच पर सक्रिय है, हालांकि सीधी उपस्थिति न हो पाने का तथ्य भी राजनीति- कूटनीति के आयाम को दर्शाता है।
साथियों बात अगर हम अमेरिका -आसियान तथा चीन- आसियान संबंधों का नए परिप्रेक्ष्य में पुनर्संयोजन को समझने की करें तो, अमेरिका की इस क्षेत्र में वापसी और चीन की गहरी दक्षिण-पूर्व एशिया में हिस्सेदारी दोनों ही आसियान की भूमिकाओं को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। उदाहरणस्वरूप, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की उपस्थिति और चीन-रूस-इंडिया समेत अन्य शक्तियों की संभावित उपस्थिति इस क्षेत्र को वैश्विक मुकाबले के केंद्र में ला रही है। इसके मद्देनज़र आसियान को चाहिए कि वह अपनी “आसियान-सेंट्रलिटी” को सुदृढ़ करे,अर्थात् सदस्य देशों का नेतृत्व एवं निर्णय-प्रक्रिया स्वयं आसियान के अंतर्गत रहे, न कि बाहरी शक्तियों द्वारा नियंत्रित हो जाए।आर्थिक एवं व्यापारिक आयाम-इस सम्मेलन के पूर्व 25-26 अक्टूबर को,एक दिन पहले, आसियान बिज़नेस एंड इन्वेस्टमेंट सम्मिट 2025 का आयोजन भी कुआलालम्पुर में होने जा रहा है, जिसमें वैश्विक सीईओ और व्यावसायिक नेतृत्व भाग लेगा।यह दर्शाता है कि सिर्फ राजनीतिगत मंच नहीं, बल्कि आर्थिक-वाणिज्यिक संवाद का भी एक प्रमुख अवसर इस सम्मेलन के दौरान मौजूद होगा। इस तरह, इस शिखर सम्मेलन को आर्थिक उन्नति, निवेश प्रवाह, डिजिटल अर्थव्यवस्था, आपूर्ति श्रृंखला पुनर्संरचना, हरित वित्त जैसे क्षेत्रों में ‘प्रेरणा बिंदु’ के रूप में देखा जा सकता है।
साथियों बात अगर हम सुरक्षा,समुद्री तथा मानवीय चुनौतियों को समझने की करें तो, नियोजन में इस क्षेत्र में विशेष रूप से ध्यान दिया गया है,जैसे पूर्वी एशिया में समुद्री सीमाओं की स्थिति,म्याँमार में राजनीतिक- सामाजिक संकट, दक्षिण-चीन सागर में तनाव, तथा जलवायु -प्रेरित आपदाएँ। उल्लेखनीय यह भी है कि रूस की उपस्थिति या उसकी प्रतिनिधि तैनाती पर अभी निश्चितता नहीं पुतिन के आने पर प्रश्न चिह्न है,इससे यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा-रणनीति, वैश्विक शक्ति-संतुलन, तथा मानवीय अवस्था-मध्यस्थता जैसे जटिल विषय इस सम्मेलन के एजेंडा में अहम भूमिका निभाएंगे।स्थिरता जलवायु परिवर्तन तथा डिजिटल संक्रमण- मलेशिया की अध्यक्षता के तहत, आसियान इस वर्ष “डिजिटल अर्थव्यवस्था फ्रेमवर्क एग्रीमेंट” को आगे बढ़ाने पर विचार कर रहा है। साथ ही, सदस्यों के बीच हरित वित्त, सतत निवेश व आपूर्ति श्रृंखला की लोच पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह दृष्टिकोण वैश्विक अर्थव्यवस्था की अस्थिरता, जलवायु आपदाओं तथा ऊर्जा-संकट की चुनौतियों के बीच आसियान को अगुआ बनाने का अवसर देता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 26-28 अक्टूबर 2025 को कुआलालम्पुर में आयोजित होने वाला 47वाँ आसियान शिखर सम्मेलन एक समय-सापेक्ष आयोजन है यह दक्षिण-पूर्व एशिया को वैश्विक मंच पर पुनःस्थापित करने का अवसर प्रस्तुत करता है,जबकि इसकी सफलता मुख्यतः इस बात पर निर्भर करेगी कि सदस्य देश एवं भागीदार देशों ने कितनी सक्रियता, सहयोग और साझा दृष्टिकोण दिखाया है।यदि सम्मेलन में स्पष्ट निर्णय, ठोस संवाद, निवेश व साझेदारी के नए मॉडल तथा रणनीतिक समझौते सामने आते हैं, तो यह आसियान के संदर्भ में एक ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित हो सकता है। दूसरी ओर, यदि सम्मेलन केवल बयानों तक सीमित रहा,तात्कालिक प्रभाव न दिखा पाया, या बाहरी शक्तियों द्वारा आसियान सेंट्रलिटी को चुनौती मिली, तो यह अवसर खो सकता है।





