
प्रो. नीलम महाजन सिंह
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने के कार्यकारी आदेश हस्ताक्षरित किए हैं। यह 31 जुलाई 2025 को घोषित 25% टैरिफ के अतिरिक्त है। इसका एक हिस्सा 7 अगस्त से व बाकी 21 दिन बाद लागू होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ कहा है।’ आर्थिक पत्रकार टी.सी.ए. शरद राघवन ने कहा ट्रम्प ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर टैरिफ 50% किया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर अप्रिय प्रभाव होंगे। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश के तहत भारत से आयात पर 50% टैरिफ लगाया जाएगा। यह टैरिफ भारत द्वारा रूस से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तेल आयात करने के जवाब में लगाया गया है। “ट्रंप का 50% टैरिफ आर्थिक ब्लैकमेल है”; लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने कहा। डॉ. एस.जयशंकर, विदेश मंत्री ने इन ताज़ा घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्रंप द्वारा अतिरिक्त शुल्क लगाना, “अनुचित व अविवेकपूर्ण” है। विक्रम मिस्री, विदेश सचिव ने अमेरिका द्वारा लगाए टैक्स को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कदम” कहा है। रूस के साथ तेल और हथियारों के व्यापार के लिए डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत की आलोचना तथ्यात्मक लेकिन अतार्किक है। भारत सभी व्यापार अमेरिका के साथ ही तो नहीं कर सकता? ट्रम्प का ये व्यावहार रूसी तेल आयात का भारत पर ‘जुरमाना’ है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “मैं यह निर्धारित करता हूं कि भारत से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त मूल्यानुसार शुल्क लगाना आवश्यक व उचित है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूसी संघ से तेल आयात कर रहा है।” पिछले कुछ दिनों में ट्रम्प ने रूस से तेल आयात के लिए दंड के रूप में भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बार-बार धमकी दी थी। लेखिका ने अपने पूर्व लेख में चेतावनी दी थी कि भारत-अमेरिका के बिगड़ते संबंधों को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, सचिव और विदेश मंत्री को अमेरिकी डिप्लोमैट्स और ट्रम्प सरकार से, संयम द्वारा बातचीत की जानी चाहिए। इसका सबसे घातक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। आम जनता, माध्यम वर्ग व किसानों के लिए यह अर्थिक वज्रपात है। पीएम नरेंद्र मोदी को विदेश मंत्रालय में अमेरिका डेस्क के अधिकारियों को पुनः स्थान्तरित कर, बातचीत के द्वारा इस समस्या को सुलझाना आवश्यक है। अमित कुमार गुप्ता व उत्पल सन्यासी, से यूएसए, का कार्यभार छीन लेना चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी को इसके घातक परिणामों का अंदेशा है, तभी उन्होंने कहा कि वे किसानों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ने देंगें, चाहे उन्हें व्यक्तिगत रूप से कुछ भी करना पड़े। भारत, अमेरिका के लिए एक बेहद अहम सप्लायर है, खासकर हेल्थ केयर, टेक्सटाइल, ऑटो व ‘जेम्स-आभूषण’ जैसे क्षेत्रों में। कुछ मुख्य आयातों इस में फार्मा उत्पाद, अमेरिका में सस्ती जेनेरिक दवाओं की एक बड़ी आपूर्ति भारत से होती है। इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिकल सामान: स्मार्टफोन, कंप्यूटर से लेकर सर्किट बोर्ड तक भारत से निर्यात होता है। वस्त्र व परिधान, खासकर कॉटन बेस्ड रेडीमेड गारमेंट्स की भारी मांग है। पेट्रोलियम उत्पाद में भारत एक प्रमुख ‘रिफाइनिंग हब’ है व अमेरिका को ‘जेट फ्यूल व डीजल सप्लाई’ करता है। इंजीनियरिंग मशीनरी, ऑटो पार्ट्स, इंडस्ट्रियल इक्विपमेंट आदि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बासमती चावल, हस्तशिल्प, होम डेकोर, चमड़ा फुटवियर, ये सब भी अमेरिकी घरों में ‘मेड इन इंडिया’ के तहत पहुंचते हैं। विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों की यह कड़ी असफ़लता है। अभी भी मौक़ा है कि पीएम नरेंद मोदी, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से संवाद कर सभी मुद्दों को नियंत्रित करने का प्रयास करें। डॉ शशि थरूर, पीयूष गोयल व अन्य सरकारी भोंपू, इसे ‘ इकनॉमिक टैररिज्म या आर्थिक ब्लैकमेल’ जैसे शब्दों का प्रयोग कर माहौल खराब कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि भारत, अमेरिका पर वापसी प्रहार करेगा। यह हास्यास्पद तो है ही, तर्कहीन और अव्यावहारिक भी है। भारत, अमेरिका के खिलाफ़ क्या कर सकता है? इस डिप्लोमैटिक अविफलता का प्रणाम भारतवासियों को झेलना होगा।
प्रो. नीलम महाजन सिंह (वरिष्ठ पत्रकार, विचारक, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर व परोपकारक)