कौशाम्बी में भगवान बुद्ध की 51 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा होगी स्थापित, योगी सरकार ने शुरू की तैयारियां

51 feet high bronze statue of Lord Buddha will be installed in Kaushambi, Yogi government started preparations

रविवार दिल्ली नेटवर्क

लखनऊ : उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने और राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार कई प्रकार के प्रयास कर रही है। एक ओर, काशी-अयोध्या समेत प्रदेश के विभिन्न पर्यटन केंद्रों में पर्यटक सुविधाओं में विकास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बौद्ध सर्किट (बौद्ध तीर्थक्षेत्रों) के विकास व उन्हें नए टूरिस्ट अट्रैक्शंस से पूर्ण करने की प्रक्रिया पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में, सीएम योगी के विजन अनुसार कौशाम्बी में भगवान बुद्ध की 51 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा को स्थापित करने के कार्य को गति दी जा रही है। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के अंतर्गत राज्य ललित कला अकादमी ने इस परिपेक्ष्य में शॉर्ट टर्म नोटिस के माध्यम से ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। इससे मूर्ति के निर्माण व स्थापना के लिए एजेंसी के निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया पूरी होगी। निर्धारित एजेंसी द्वारा कार्यावंटन के बाद 7 महीने की समयावधि में मूर्ति स्थापना के कार्य को पूरा करना होगा। इसके लिए पहले 1 महीने में मूर्ति के प्रोटोटाइप का निर्माण किया जाएगा जिसको स्वीकृति मिलने के बाद मुख्य मूर्ति को 6 माह की समयावधि में पूर्ण कर स्थापित किया जाएगा।

लॉस्ट वैक्स प्रॉसेस के जरिए होगी मूर्ति की ढलाई
कौशाम्बी में स्थापित की जाने वाली महात्मा बुद्ध की मूर्ति को हॉलो कास्ट पद्धति के जरिए पूरा किया जाएगा। खास बात ये है कि मूर्ति ब्रॉन्ज शीट्स को जोड़कर नहीं बनेगी बल्कि उसकी लॉस्ट वैक्स प्रॉसेस के जरिए ढलाई की जाएगी। मूर्ति के लिए जिस कांस्य धातु का प्रयोग होगा उसमे 85 प्रतिशत कॉपर, 5 प्रतिशत लेड, 5 प्रतिशत टिन व 5 प्रतिशत जिंक का अलॉय के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। इस दौरान मूर्ति में कांस्य का वजन 52 टन होगा जबकि 20 टन लोहे का भी इसकी स्थापना में उपयोग किया जाएगा। मूर्ति अंदर से हॉलो होगी जिसकी मेटल थिकनेस कास्टिंग 7 से 8 मिलीमीटर होगी। उल्लेखनीय है कि महात्मा गौतम बुद्ध ने कौशांबी में ही चार्तुमास व्यतीत करने के साथ लोगों को सत्य, अहिंसा का संदेश दिया था। इसकी वजह से पूरी दुनिया से बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां पर बौद्ध स्थल के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं।