
इंद्र वशिष्ठ
नई दिल्ली, आतंकियों के नापाक मंसूबों पर पानी फेरने के लिए श्री अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 581 कंपनियों को सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात किया जाएगा। तीर्थ यात्रियों के काफिले की सुरक्षा के लिए जैमर और ड्रोन का इस्तेमाल भी किया जाएगा।
नेशनल हाईवे पर यात्रियों के काफिले के गुजरने के दौरान, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाईवे से जुड़ने वाली सभी संपर्क सड़कों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा।
इन उपायों के अलावा, यात्रा मार्गों को सुरक्षित और साफ करने के लिए रोड ओपनिंग पार्टी, खतरों पर तत्काल प्रतिक्रिया के लिए त्वरित कार्रवाई दल, विस्फोटकों का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए बम निष्क्रिय करने वाले दस्ते, विशेष रूप से प्रशिक्षित खोजी कुत्ते और हवाई निगरानी के लिए ड्रोन शामिल होंगे। ये सुरक्षा व्यवस्थाएं पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर होंगी। अधिकारियों ने बताया कि पहली बार अमरनाथ यात्रा के काफिले की सुरक्षा के लिए जैमर लगाए जाएंगे। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई, 2025 को शुरू होगी और 38 दिनों तक चलेगी। पिछले साल की 52 दिवसीय तीर्थयात्रा की तुलना में इस साल यात्रा अवधि 14 दिन कम है।
अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षित, निर्बाध और सुव्यवस्थित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए तैयारियाँ जोरों पर हैं। सुरक्षा, रसद और प्रशासन से संबंधित व्यवस्थाओं की समीक्षा और उन्हें सुव्यवस्थित करने के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड, स्थानीय प्रशासन, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बलों के साथ नियमित उच्च-स्तरीय समन्वय बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
सीआरपीएफ के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने हाल ही में एक समीक्षा यात्रा में जमीनी तैयारियों की निगरानी करने और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक उपाय सुनिश्चित करने के लिए पहलगाम, जम्मू, आधार शिविरों और यात्री निवास सहित प्रमुख स्थलों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया।
केंद्रीय सशस्त्र बलों में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ), बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी), सेंट्रल इंडस्ट्री सिक्योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) शामिल रहती है।
अमरनाथ यात्रा भगवान शिव को समर्पित पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर की एक वार्षिक हिंदू तीर्थयात्रा है, जो जम्मू और कश्मीर के हिमालय में लगभग 3,888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। गुफा में प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ का शिवलिंग है, जिसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, और हर साल लाखों भक्त इसे देखने आते हैं।
यह यात्रा आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) के दौरान श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की देखरेख में और सुरक्षा और नागरिक प्रशासन के समन्वित समर्थन के साथ आयोजित की जाती है।