8 मार्च- महिलाओं के आत्मबल एवं नेतृत्व की शक्ति को जागृत करने का दिवस

8 March - Day to awaken women's self-confidence and leadership power

डॉ. बी. आर. नलवाया

आज के इस युग में नारी शक्ति के नेतृत्व में विकास की नई-नई गाथाएं लिखी जा रही है। इस विकास में पिता का रोल बेहद अहम माना जा सकता है क्योंकि जिन परिवारों में पिता अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं और प्रेरित करते हैं, उन घरों की बेटियां बुलंदियों को छुती है। कुछ बेटियों की जिंदगी में आज भी अनेकों पाबंदिया लगाई जाती है इन पाबंदियों से सभी वाकिफ़ भी है लेकिन जिन बेटियों की जिंदगी में बेवजह की पाबंदिया नहीं होती है उन घरों की बेटियां आजाद ख्यालों की होती है जिससे वे आगे बढ़ने में सफल भी होती है। वर्तमान में बेटियों या महिलाओं के लिए कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। महिलाएं आगे बढे, इसके लिए भारत सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी चला रखी है।

यदि देखा जाए तो 1930 में पहली बार भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में महिला साक्षरता में 10.5 फ़ीसदी की बढ़त आई एवं आज महिला साक्षरता 75 फ़ीसदी के लगभग पहुंच गई है। महिलाओं के बढ़ते कदमों को देखे तो 33 देशो में महिलाएं राष्ट्राध्यक्ष रही है, वही स्वीडन की संसद में 45 फ़ीसदी महिलाएं है। विश्व के 1826 अरबपतियों में 200 से अधिक महिलाएं है। इसराइल दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां सेना में महिलाओं को भी लिया गया था। महिला उद्यमियों की ओर देखा जाए तो भारत सरकार ने देश की 75 श्रेष्ठ स्टार्टअप कंपनियों में नवाचार करने वाली महिलाओं को चयनित किया है। विगत वर्षों में स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत महिला उद्यमियों को 10 लाख से 1 करोड रुपए तक के ऋण की मंजूरी दी गई है। कौशल विकास योजना में लगभग 375 उद्यमियो में से करीब आधी महिलाएं ही है। वर्तमान में महिला उद्यमी देश के विकास में उल्लेखनीय सहयोग कर रही है। इनके आत्मा बल का दुनिया में अन्य पुरुष लोहा ले रहे हैं। देखा गया है दुनिया के कई उद्यमी महिलाओं उद्यमियों के कार्यों का अनुसरण भी करते हुए देखा गया।

इस समय जहां महिलाओं की दुनिया बदल रही है वही उनके सामने कुछ चुनौतियां भी खड़ी है। जहां महिलाएं खुदमुख्तार बनने के लिए घर से बाहर निकल रही है वहीं उनकी सुरक्षा उनके परिवार और पूरे समाज के लिए एक चुनौती बनती जा रही है। दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं यह बहुत ही चिंता का विषय है। अब इसके लिए कड़ा कानून बनाने की आवश्यकता है, जिसमें कोई रहम की जरूरत नहीं है तभी जाकर कुछ अनुशासन सुधार महसूस होगा । विगत वर्ष में ही 2 मार्च को झारखंड के दुमका जिले में विश्व भ्रमण पर निकली स्पेन की 28 वर्षीय महिला से सामूहिक दुष्कर्म की शर्मनाक घटना सामने आई है, यह विश्व पटल पर भारत देश के लिए बहुत ही निंदनीय है,और यह संसार की एक शर्मसार घटना हुई है। मेरे भारत में विदेशी पर्यटक के साथ एसी घटना का भारतीय पर्यटन पर बहुत ही बुरा असर हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की इज्जत करना सीख लो भाई, किसी के साथ गलत होता देख चुप्पी तोड़ना सीख लेंगे तभी इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता हैं। वैसे तो ज्यादातर महिलाएं अपने उपर होने वाले ज़ुल्मो के खिलाफ आवाज उठाने लगी है। अब महिला अत्याचार के खिलाफ पहले जैसी सहनशील नहीं रही है वे अन्याय और नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाने लगी है। कुछ महिलाएं आज भी उतनी मुखर होकर अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पाती है, वैसे तो वक्त के साथ कदम ताल करते हुए महिलाओं ने अपनी जिंदगी को बदला है। अब वे जुल्म के खिलाफ आवाज भी उठाती है एवं अपनी जिंदगी के अहम फैसले भी खुद ही करती है। महिलाएं पुरुषों से हर क्षेत्र में आगे निकल रही है। हँसी के साथ ही यह वास्तविकता है कि अब तो महिला उम्र के पड़ाव में भी आगे निकल गई है। मैड्रिड के स्पेन में इस समय की दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला मारिया प्रेनयस मोरेरा ने 4,मार्च 2024 को अपना 117 वां जन्मदिन मनाया, इनका जन्म 4 मार्च 1907 को अमेरिका में हुआ था। इससे यह स्पष्ट है कि महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक होती है वे तनाव कम लेती हैं।

8 मार्च को विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने वाली प्रमुख महिला कार्यकर्ता क्लारा जेटकिन ने वर्ष 1910 में कामकाजी महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रखा था। वर्ष 1970 के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सिलसिला पूरी दुनिया मे शुरू हो गया। हाल ही में मन की बात कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान को सलाम करने का अवसर है। प्रधानमंत्री स्वयं महिलाओं के नेतृत्व में विकास की बात करते हैं। वे कहते हैं की भारतीय महिलाएं अपने आत्मबल की सशक्त कहानियां दुनिया के समक्ष लाएं। अतः महिलाएं अपने कदम बढ़ाए, मार्ग में अंधेरा भले ही हो लेकिन अपने जज्बों से उन्हें आगे की रोशनी अवश्य मिलेगी।