सादगी की प्रतिमूर्ति थी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां ‘हीराबेन’

दीपक कुमार त्यागी

‘हीराबेन’ ने जीवन पर्यन्त सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांतों पर अमल करते हुए एक तपस्वी की तरह सादगी से जीवन व्यतीत करने का कार्य किया।

‘हीराबेन’ ने अपने पुत्र नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से लेकर के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी दिखावे व सत्ता की ताकत के तामझाम से दूर रहकर, देश व दुनिया के सभी वर्ग के लोगों के सामने बेहद सादगी के साथ जीवन व्यतीत करने की अनुकरणीय नज़ीर पेश करने का कार्य किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपनी मां ‘हीराबेन’ से विशेष लगाव था। वह कभी भी मां से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहते थे, मोदी अपनी सफलता में मां के आशीर्वाद की विशेष कृपा मानते हैं।

देश व दुनिया का आम हो या कोई खास व्यक्ति मां का हर एक व्यक्ति के जीवन में बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान होता है, जिस व्यक्ति की मां जीवित ना रही हो उस व्यक्ति को मां की कमी जीवन भर पल-पल बहुत ज्यादा खलती रहती है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माताजी ‘हीराबेन’ का निधन हो गया है। ‘हीराबेन’ ने 30 दिसंबर 2022 शुक्रवार की सुबह 3.30 बजे अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में 100 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। यहां आपको बता दें कि ‘हीराबेन’ को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते बुधवार की सुबह को अहमदाबाद के ‘यू एन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर’ में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी तत्काल अपनी मां ‘हीराबेन’ से मिलने अस्पताल पहुंच गए थे, उस वक्त डॉक्टरों के अनुसार उनकी स्थिति स्थिर बनी हुई थी, लेकिन सर्वशक्तिमान ईश्वर की इच्छा के आगे किसी भी व्यक्ति का कोई बस नहीं चलता है, तपस्या व सादगी की प्रतिमूर्ति ‘हीराबेन’ भी 100 वर्ष की आयु में ईश्वर के श्रीचरणों में विलीन हो गयी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माताजी के निधन से देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मां को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि, ‘‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा श्रद्धांजलि के इन शब्दों में मां ‘हीराबेन’ के प्रति अगाध प्रेम व विश्वास झलकता है, मां ‘हीराबेन’ बेशक पंचतत्व में विलीन हो गयी हैं, लेकिन उनके ओजस्वी विचारों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चलने के दृढ़संकल्प को दर्शाता है। मां ‘हीराबेन’ के बारे में खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया था कि उनकी मां ने दूसरे के घरों में बर्तन मांज कर व पानी भर करके परिवार का जीवन यापन करती थी। ‘हीराबेन’ का जन्म 18 जून 1923 को गुजरात के मेहसाणा में हुआ था और उनकी शादी दामोदरदास मूलचंद मोदी के साथ हुई थी, उनके छह बच्चे हैं, पांच भाई और एक बहन में नरेन्द्र मोदी तीसरे नंबर के हैं।

आज देश में लोग ‘हीराबेन’ को एक ऐसी सादगी की प्रतिमूर्ति व तपस्वी महिला के रूप में याद कर रहे हैं, जिन्होंने नरेन्द्र मोदी जैसे पुत्र को जन्म दिया। ‘हीराबेन’ ने सादगी की एक ऐसी कहानी लिखी कि बेटा बेशक प्रधानमंत्री बन गया हो, लेकिन ‘हीराबेन’ के सादगीपूर्ण रहन-सहन पर कभी भी कोई फर्क नहीं पड़ा। वह एक सामान्य महिला की तरह जीवन व्यतीत करती रही।