- विश्व कप में खेलने को लेकर रोमांचित तो हूं, पर बैचेनी भी है
- हमारी टीम भारत को पदक जिता देश का गौरव बढ़ाने को बेताब
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : २3 बरस के नवोदित छरहरे लंबे कद के स्ट्राइकर अभिषेक में 13 जनवरी से शुरू हो रहे ओडिशा पुरुष हॉकी विश्व कप में 2023 में छा जाने और 1975 में भारत के स्वर्ण पदक के रूप में अंतिम बार पदक जीतने के बाद 47 बरस बाद उसे फिर से पदक जिताने का माद्दा है। अभिषेक में लंबे कद के होने के बावजूद भारतीय हॉकी की परंपरागत कलाकारी के साथ दुनिया की मजबूत से मजबूत रक्षापंक्ति को भेदने की क्षमता है। 2021-22 में एफआईएच प्रो हॉकी से सीनियर टीम में जगह बनाने के बाद अभिषेक अब भारत की अग्रिम पंक्ति की जान बन चुके हैं और राउरकेला में टीम के पहले मैच से अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। अभिषेक उसी सोनीपत(हरियाणा) के हैं, जहां भारत की पूर्व हॉकी कप्तान प्रीतम सिवाच आने वाले समय की नई खिलाडिय़ों को तराशने में जुटी हैं।
अभिषेक को खुद गोल करने के साथ गोल के अभियान और पेनल्टी कॉर्नर बनाना खूब आता है। अभिषेक भारत को इस बार हॉकी विश्व कप मे पदक जिताने वही भूमिका निभा सकते हैं जो कि टोक्यो ओलंपिक में बतौर स्ट्राइकर अभी भी चोट से उबरने में जुटे सिमरनजीत सिंह ने निभाई थी। भारत के लिए पहली बार हॉकी विश्व कप में शिरकत करने जा रहे अभिषेक कहते हैं, ‘भारत की हॉकी विश्व कप टीम में जगह बनाना वाकई मेरे जीवन की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अब मेरा लक्ष्य भारत को हॉकी विश्व कप जिताने में मदद करना है। विश्व कप में खेलने को लेकर बहुत रोमाचित हूं लेकिन साथ ही एक तरह की बैचेनी भी है। भारत के लिए अपने घर में हॉकी विश्व कप में खेलना मेरे लिए सपने का सच होना है। मेरे लिए यह पहला विश्व कप तो होगा ही साथ ही हॉकी के जुनून में डूबे बड़ी तादाद में मैदान पर आने वाले हॉकी प्रशंसकों के सामने खेलने का पहला मौका होगा।’
अषिषेक ने छह गोल गोल पंजाब नैशनल बैंक को पहली हॉकी इंडिया सीनियर अंतर विभागीय राष्टï्रीय चैंपियनशिप 2021 में तीसरा स्थान दिलाने के बाद लगभग तीन बरस उन्हें सीनियर राष्टï्रीय शिविर के लिए बुलावा आया। वह भारत की एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2021-22 में तीसरे व बीते बरस बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में उपविजेता रही टीम का अहम हिस्सा रहे। अभिषेक बताते हैं, ‘मेरे लिए ये तीन बरस खासे चुनौतीपूर्ण रहे। इस दौरान मेरे विभाग और मेरे कोच ने मेरा बहुत साथ निभाया। 2021 में बढिय़ा प्रदर्शन के बाद मुझे भारत के सीनियर कोर ग्रुप के लिए चुने जाने का भरोसा था। हमारी भारतीय टीम के बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने के बाद अब मेरे परिवार को हमारी टीम से विश्व कप में पदक जीतने की उम्मीद है। पूरा भारत भी हमारी हॉकी टीम से विश्व कप में पदक जीतने की आस संजोए है। मेरा मानना है कि हम भारत को विश्व कप में पदक जिता उसकां गौरव बढ़ाने को बेताब हैं।’
फौजी के बेटे अभिषेक ने मात्र 11 बरस की उम्र में अपने स्कूल में दोस्तों को अपने हॉकी खेलते देख कर हॉकी खेलना शुरू किया और वहीं अपने शिक्षक और उस्ताद शमशेर के मार्गदर्शन में अपने हॉकी कौशल को निखारा। अभिषेक 2016 में बांग्लादेश में मेजबान टीम को अंडर-18 एशियन कप फाइनल में निर्णायक गोल करने 5-4 से हरा खिताब जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का भी हिस्सा रहे। अभिषेक बताते हैं, ‘स्कूल में हॉकी खेलना शुरू करने के बाद मेरा नैशनल हॉकी अकेडमी(एनएचए) दिल्ली के लिए और 2013 -15 तक हरियाणा के लिए राष्टï्रीय चैंपियनशिप में खेलने के लिए मुझे जूनियर राष्टï्रीय शिविर के लिए बुलावा आ गया। मैं 2016 में लखनउ में जूनियर राष्टï्रीय हॉकी विश्व कप की टीम में इसलिए जगह नहीं पा सका क्योंकि मेरी उम्र बहुत कम थी। मुझे जूनियर राष्टï्रीय शिविर से बाहर कर दिया और मेरे लिए यह बेहद निराशाजनक था।’