- पदक जीतना है तो भारत को खुद पर भरोसा कायम रखना होगा
- भारत की निगाहें स्पेन के खिलाफ जीत से आगाज पर
- भारत की रक्षापंक्ति को स्पेन के स्ट्राइकरों को डी से बाहर रोकना होगा
- भारत का पहला लक्ष्य पूल में शीर्ष पर रह क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचना
- ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत और गोलरक्षक श्रीजेश हैं भारत की ताकत
सत्येन्द्र पाल सिंह
- 2023 पुरुष हॉकी विश्व कप, कुल 16 टीमें, चार पूल
पूल ए : अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, द अफ्रीका
पूल बी: बेल्जियम , जर्मनी, जापान, द. कोरिया
पूल सी: चिली, मलयेशिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड
पूल डी: इंग्लैंड, भारत, स्पेन, वेल्सहॉकी विश्व कप शुक्रवार :13 जनवरी के मैच
भुवनेश्वर , कलिंगा स्टेडियम
पूल ए : अर्जेंटीना वि. द. अफ्रीका, दोपहर 1 बजे।
पूल ए : ऑस्ट्रेलिया वि. फ्रांस, दोपहर 3 बजे।
राउरकेला, बिरसामुंडा स्टेडियम
पूल डी : इंग्लैंड वि. वेल्स, शाम 5 बजे।
पूल डी: भारत वि. स्पेन शाम 7 बजे से।
भारत ने शुरू के तीन एफआईएच हॉकी पुरुष विश्व कपों में कदम ब कदम आगे बढ़ते हुए अंतत:1975 में क्वालालंपुर मेंं पहली बार खिताब जीता। सेंटर हाफ अजित पाल की अगुआई में भारत ने 1971 में बार्सीलोना में पहले हॉकी विश्व कप में कांसा, 1973 में दूसरे संस्करण में एम.पी. गणेश की कप्तानी में एम्सटर्डम में रजत और 1975 में अजित पाल सिंह की अगुआई में दद्दा ध्यानचंद के सुपुत्र ‘कलाकारÓ अशोक कुमार सिंह के पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में निर्णायक गोल से 2-1 से जीत से अंतत: हॉकी विश्व कप जीतने की हसरत पूरी कर ली। यूरोप मुल्कों की मनमानी के चलते हॉकी के घास की बजाय इसके बाद से एस्ट्रो टर्फ पर खेले जाने और नियमों में एफआईएच द्वारा आमूलचूल बदलाव से हॉकी की सूरत ऐसी बदली कि भारत शिखर से फिसलता ही चला गया। भारत इसके बाद अगले सभी 11 हॉकी विश्व कपों में शिरकत करने के बावजूद पदक को तरस गया। भारत ने1982 में इसके छठे संस्करण में अपने घर बॉम्बे (अब मुंबई)में महानतम फु लबैक स्वर्गीय सुरजीत सिंह की कप्तानी में तथा 1994 में सिडनी में जूड फेलिक्स की कप्तानी में पांचवां स्थान पाया। 1978 में वीजे फिलिप्स की कप्तानी में ब्यूनर्स आयर्स और 2018 में सबसे काबिल देशी हॉकी उस्ताद हरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन और मनप्रीत सिंह की कप्तानी में भुवनेश्वर में 14 वे हॉकी विश्व कप में बेहद करीबी विवादास्पद क्वॉर्टर फाइनल में नीदरलैंड से 1-2 से हार सेमीफााइनल से चूक छठे स्थान पर रहा।
मौजूदा ओलंपिक व विश्व कप चैंपियन एफआईएच हॉकी प्रो लीग की उपविजेता दुनिया की दूसरे नंबर की टीम बेल्जियम, तीन बार की चैंपियन दुनिया की नंबर एक टीम ओलंपिक उपविजेता ऑस्ट्रेेलिया, दुनिया की तीसरे नंबर की पिछली उपविजेता, प्रो लीग चैंपियन व तीन बार चैंपियन रही नीदरलैंड, दुनिया की चौथे की नंबर की टीम दो बार की विजेता जर्मनी इस बार खिताब की मजबूत दावेदार के रूप में उतरेंगी। अब तक सबसे ज्यादा चार बार खिताब जीतने वाली पाकिस्तान विश्व कप के लिए ओलंपिक की तरह इस बार क्वॉलिफाई नहीं कर पाई।
1975 के चैंपियन भारत में ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में शुक्रवार से शुरू हो रहे 15 वें एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप में 48 बरस के लंबे सूखे को खत्म कर फिर पदक जीतने का दम है। भारत लगातार दूसरी और कुल चौथी बार हॉकी विश्व कप की मेजबानी कर रहा है। भारत की मौजूदा फॉर्म से उसके इस बार अपने घर में पदक जीतने का पूरा भरोसा जरूर जगता है, भले ही इसका रंग कोई भी रहे। भारत को पदक जीतना है तो खुद पर भरोसा कायम रखना होगा। आठ बार ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता भारत ने मनप्रीत सिंह की अगुआई में 2020 के टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी को 5-4 से हरा कर 41 बरस कांसे के रूप में पदक के सूखे को खुद पर भरोसे के बूते ही खत्म किया। आज की जमाने की हॉकी में दुनिया की शीर्ष पांच टीमों में कोई भी टीम किसी भी बड़े टूर्नामेंट में अपने दिन किसी दूसरी टीम को हरा सकती हैं। भारत का पहला लक्ष्य बिरसामुंडा स्टेडियम,राउरकेला में स्पेन और पिछले लगातार तीन विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली इंग्लैंड की टीम से पूल डी के अपने शुरूआती दोनों मैच जीत कर शीर्ष पर सीधे क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने की होगी। हालांकि इसके बाद पूल में दूसरे व तीसरे स्थान पर रहने पर भी क्रॉस ओवर के जरिए अंतिम आठ में पहुंचने का मौका होगा लेकिन भारत इससे बचना ही चाहेगा। अनुभवी कप्तान हरमनप्रीत सिंह, सदाबहार गोलरक्षक पीआर श्रीजेश और आकाशदीप सिंह पर खुद बढिय़ा खेलने के साथ टीम के नौजवान खिलाडिय़ों का मार्गदर्शन कर उनसे भी बढिय़ा प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी होगी।
भारत अपना अभियान स्पेन के खिलाफ शुक्रवार को जीत के साथ करने को बेताब है। भारत की टीम स्पेन से एफआईएच प्रो लीग 2022-23 में पहले मैच में 2-3 से हारी और दूसरे में 2-2 की बराबरी के बाद गोलरक्षक कृष्ण पाठक की मुस्तैदी से शूटआउट में 3-1 से जीता। स्पेन के कोच इस बार अर्जेंटीना के वही मैक्स कालडा हैं, जो कि 2018 विश्वकप में उस नीदरलैंड के कोच थे, जिससे भारत विवादास्पद क्वॉर्टर फाइनल में 1-2 से हार गया था। कप्तान मार्क मिरालेस, नौजवान पाउ कुनिल और 2016 ओलंपिक में अर्जेंटीना की स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य रहे अब स्पेन से खेलने वाले जोकिम मेनिनी सहित टीम के जवाबी हमलों से भारत को चौकस रहना होगा। स्पेन के हमले तेज तर्रार स्ट्राइकर एनरिक गोंजालेज, अनुभवी मिडफील्डर मार्क मिरालेज और कप्तान अलवारो इगलेशियस पर निर्भर करेगी। भारत की रक्षापंक्ति में सुरेन्दर कुमार, खुद कप्तान हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार को अपनी डी से बाहर ही स्पेन के स्ट्राइकरों को रोकने की कोशिश करनी होगी। भारत की मध्यपंक्ति में सबसे अनुभवी खिलाडिय़ों में से अब लिंकमैन के रूप में खेल रहे आकाशदीप सिंह व शमशेर के साथ आक्रामक सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह, विवेक सागर प्रसाद के साथ डिफेंसिव मिडफील्डर हार्दिक सिंह के साथ किसी भी रक्षापंक्ति को भ्रमित करने वाले नीलकांत शर्मा को चतुराई से गेंद को स्पेन के गोंजालेज, इग्लेशियस व मेनिनी पहुंच से दूर रखना होगा।
भारत की 2023 के हॉकी विश्व कप के चुनी गई 18 सदस्यीय टीम में पिछले संस्करण में शिरकत करने वाली टीम के 12 खिलाड़ी हैं। भारत की अग्रिम पंक्ति में इस इस बार पिछले विश्व कप में खेलने वाले चतुर सिमरनजीत सिंह फिट नहीं होने के कारण टीम में नहीं चुने गए। लंबे कद के गुरजंट सिंह और दिलप्रीत सिंह नहीं हैं। ऐसे में सिमरनजीत सिंह और गुरजंटए दिलप्रीत के विश्व कप टीम में जगह न पाने पर खुद गोल करने और पेनल्टी कॉर्नर बनाने की जिम्मेदारी नौजवान स्ट्राइकर अभिषेक, मनदीप, ललित उपाध्याय और नौजवान सुखजीत के साथ लिंकमैन आकाशदीप पर ही आ जाएगी।
भारत की खुशकिस्मती है कि पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने के लिए उसके पास बतौर ड्रैग फ्लिकर कप्तान हरमनप्रीत सिंह जैसे ब्रह्मïास्त्र के साथ वरुण कुमार भी हैं। भारत की ताकत बेशक उसके दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर में से कप्तान हरमनप्रीत सिंह और मुस्तैद गोलरक्षक पीआर श्रीजेश हैं। हरमनप्रीत सिंह बेशक पेनल्टी कॉर्नर पर भारत की इस विश्व कप में तुरुप के इक्के रहने वाले हैं। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि नौजवान वरुण कुमार के रूप में कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ बतौर ड्रैग फ्लिक किसी भी रक्षापंक्ति को बिखरने वाला ड्रैग फ्लिकर है। भारत ने एफआईएच प्रो लीग 2021-22 में तीसरे स्थान पर रहा उसमें उसके ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह ने सबसे ज्यादा 18 गोल किए थे। भारत की ओलंपिक में कांस्य पदक में जीत में भी हरमनप्रीत सिंह ने छह गोल किए थे। कप्तान हरमनप्रीत सहित भारत की मौजूदा टीम मे दर्जन भर से ज्यादा खिलाडिय़ों के ओलंपिक सहित पिछले इन तीनों बड़े टूर्नामेंट में साथ खेलने का अनुभव उन्हें दबाव को बेहतर ढंग से झेलने के लिए जेहनी तौर पर तैयार रखेगा।
- भारत का एफआईएच हाकी विश्व कप में अब तक का सफर
वर्ष स्थल कप्तान स्थान
1971 बार्सीलोना अजित पाल सिंह तीसरा
1973 एम्सर्टडम एमपी गणेेश दूसरा
1975 क्वालालंपुर अजित पाल सिंह पहला
1978 ब्यूनर्स आयर्स वीजे फिलिप्स छठा
1982 बॉम्बे (मुंबई) सुरजीत सिंह पांचवां
1986 लंदन मोहम्मद शाहिद 12वां व अंतिम
1990 लाहौर परगट सिंह दसवां
1994 सिडनी जूड फेलिक्स पांचवां
1998 उत्रेक्त धनराज पिल्ले नौंवा
2002 मॉॅन्शेनग्लाडबाख बलजीत ढिल्लों दसवां
2006 क्वालालंपुर दिलीप टिर्की 11 वां
2010 नई दिल्ली राजपाल सिंह आठवां
2014 हेग सरदार सिंह नौंवा
2018 भुवनेश्वर मनप्रीत सिंह छठाएफआईएच हॉकी विश्वकप में अब तक जीते पदकों की कहानी
रैंक देश स्वर्ण रजत कांस्य कुल पहला पदक आखिरी पदक
1 पाक 4 2 – 6 1971 1994
2. नीदरलैंड 3 4 2 9 1973 2018
3. ऑस्ट्रेलिया 3 2 5 10 1978 2018
4. जर्मनी 2 2 4 8 1973 2010
5. भारत 1 1 1 3 1971 1975
6. बेल्जियम 1 – – 1 2018 2018
7. स्पेन – 2 1 3 1971 2006
8. इंग्लैंड – 1 – 1 1986 1986
9. अर्जेंटीना – – 1 1 2014 2014
कुल पदक 14 14 14 42 1971 2018अब तक सबसे ज्यादा 4 बार खिताब पाकिस्तान ने जीता
- सबसे ज्यादा कुल 10 पदक ऑस्ट्रेलिया (तीन स्वर्ण, 2 रजत, 5 कांस्य) के नाम
- अब तक हुए 14 विश्व कपों में कुल 605 गोल, हर मैच औसतन 4 गोल
- विश्व कप में सबसे ज्यादा 100 मैच नीदरलैंड ने खेले
- सबसे ज्यादा जीत 69 मैच ऑस्ट्रेलिया ने जीते, जीत का प्रतिशत 75