पाक को अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में पहचान वापस पानी है तो उसे भारत से सबक लेना होगा: इकराम

  • चैंपियंस ट्रॉफी अच्छा टूर्नामेंट है लेकिन हम पहले से नेशंस कप कर रहे हैं
  • हॉकी इंडिया से एचआईएल के लिए विंडो तलाशने की बाबत चर्चा हुई

सत्येन्द्र पाल सिंह

राउरकेला : चार बार का चैंपियन पाकिस्तान (1971, 1975, 1982, 1994) इस बार यहां खेले जा 15 वें एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप के लिए क्वॉलिफाई नहीं कर पाया है। दूसरी बार विश्व कप के लिए क्वॉलिफाई न कर पाने वाला पाकिस्तान 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वॉलिफाई नहीं कर पाया था। पाकिस्तान हॉकी में अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है और इसका सबसे ज्यादा मलाल मूलत: पाकिस्तान के बाशिंदे लेकिन अब मकाउ की नागररिकता हासिल कर चुके अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ (एफआईएच) के अध्यक्ष तैयब इकरम को है।

एफआईएच अध्यक्ष तैयब इकराम ने कहा, ‘पाकिस्तान को अंतर्राष्टï्रीय हॉकी में फिर से अपनी पहचान वापस पानी है तो उसे भारत से सबक लेना होगा। भारत ने जिस तरह हॉकी हॉकी में फिर से अपनी पहचान वापस पाने के लिए लिए ढांचा बनाया और अंतत: टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीता। पाकिस्तान को भी भारत की हॉकी का ढांचा बना कर मेहनत करनी होगी और धीरे -धीरे नतीजे मिलेंगे। तारीख गवाह है कि भारत ने हॉकी में फिर से पहचान पाने के लिए ढांचा बनाया निरंतर मेहनत की और उसके नतीजे के रूप में टोक्यो ओलंपिक का पदक हासिल किया।। इसमें भारत को क वक्त लग गया है लेकिन हॉकी इंडिया ने इसके लिए अपनी टीम पर भरोसा किया। पाकिस्तान एफआईएच का बढिय़ा हितधारक है। आप हाल ही के टूर्नामेंट को देखे तो आज भी सबसे ज्यादा दर्शक भारत और पाकिस्तान के मैच को देखने के लिए आते हैं। मैंने ही हॉकी इंडिया का प्रोजेक्ट शुरु किया किया था। मैं पाकिस्तान की हॉकी के लिए प्रोजेक्ट शुरू कर खुश हूंगा कि लेकिन दोनों पक्षों की रूचि दिखानी होगी।’

उन्होंने कहा, ‘चैंपियंस ट्रॉफी अच्छा टूर्नामेंट है लेकिन हम पहले से ही नेशंस कप कर रहे हैैं, जो कि पहले जो कि उसी तरह है। नेशंस कप एफआईएच प्रो हॉकी लीग का क्वॉलिफाइंग टूर्नामेंट है। हॉकी इंडिया से हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) के लिए विंडो तलाशने की बाबत पहले ही कुछ चर्चा हुई। अभी इस बाबत मैं नया कुछ नहीं कर सकता है। यदि हॉकी इंडिया से हॉकी इंडिया के लिए कोई औपचारिता प्रस्ताव आता है तो हम फिर इसकी बाबत बताएंगे। भारत में हॉकी बहुत लोकप्रिय है। हॉकी इडिया लीग से हॉकी को बहुत बढ़ावा लिया। हम देखेंगे पहले ही चल रही हॉकी इंडिया प्रो लीग से कैसे इसका तालमेल बैठता है सबसे बड़ा सवाल रह रहेगा कि इसके लिए खिलाड़ी उपलब्ध रहे। पेनल्टी कॉर्नर को लेकर हमारी हॉकी की रफ्तार में कम करने की कोई योजना नहीं है।’

इकराम ने कहा, ‘भारत में खासतौर पर यहां नवनिर्मित स्टेडियम में 15 वें विश्व कप के मैचों का अब तक शानदार ढंग से आयोजन किया है। मैं इसके लिए मेजबान ओडिशा सरकार और उसके मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करता हूं। मैं यहां के बाशिंदों से भी बात की और उन्होंने बताया कि किस तरह हॉकी विश्व कप के आयोजन ने उनकी जिंदगी बदल दी। ओडिशा खासतौर पर भारत के मैचों के साथ बाकी मैचों के लिए भी बड़ी तादाद में दर्शक हॉकी देखने मैदान पर आए। यह हॉकी तरक्की और लोकप्रियता की कहानी खुद बयां करता है। मैं ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों में प्रबंधन समिति से कई तरह जुड़ा रहा हूं। मुझे यहां स्टेडियम में हॉकी गांव ओलंपिक गांव की सहज ही एक झलक दिखाता है। हॉकी विश्व कप यहां के लोगों के लिए उम्मीदों की नई रोशनी लाया है। मेरी एफआईएच अध्यक्ष के तौर पर अब तक करीब 80 दिन की यात्रा खासी बढिय़ा रही है। हमने हॉकी में महिला और पुरुष को बराबर का दर्जा दी है और किसी तरह की लैंगिंग की असमानता कतई नहीं है। मैं विश्व कप के बाद भी मैने जिस रणनीति का वादा किया था उसे आगे भी जारी रखूंगा। मुमकिन है इस विश्व कप और इसके बाद हम 2023 के लिए अपनी नई रणणीति पर काम करेंगे। काफी व्यस्त समय है। अब तक मैं स्थितियों से प्रसन्न है। अपने चुनाव अभियान के दौरान मैंने बहुत देशों से बातचीत की। नेशंस कप बहुत मौके दे रहा है। नेशंस कप मेरी बहुत चर्चा हुई और यह सही दिशा मे है। यह सही है कि एफआईएच का कार्यक्रम पहले से ही व्यस्त है । हॉकी इंडिया और ओडिशा सरकार से हमें नए टूर्नामेंट के लिए प्रस्ताव मिला है। एफआईएच प्रो लीग पहले ही कर रहा है।’