देश की सत्ता पर फिर से काबिज हाेने काे लेकर बीजेपी गंभीर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंथन शुरू

संदीप ठाकुर

2023 और 2024 भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह कहना है भाजपा के
राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का। यह कथन उन्होंने नई दिल्ली के
एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आज से शुरू हुई दो दिवसीय कार्यकारिणी की
बैठक में कही। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित मोदी सरकार के
सभी मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, प्रदेश
भाजपा अध्यक्ष, प्रदेश संगठन महासचिव एवं प्रदेश संगठन सचिव,भाजपा के
पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व उप-मुख्यमंत्री, विभिन्न राज्यों के नेता
प्रतिपक्ष सहित राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य मौजूद थे।। दो दिवसीय
कार्यकारिणी की बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के साथ ही 2024 में होने
वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों की रणनीतियों को लेकर मंथन हाे रहा है।
इसके साथ साथ बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर
पार्टी के लिए कमजोर माने जाने वाली लोक सभा की 160 सीटों पर प्रवास और
विस्तारक योजना पर विस्तार से चर्चा होनी है। इन सीटों पर पार्टी के
संगठन को ज्यादा से ज्यादा मजबूत करने के उपायों के साथ ही अब तक किए गए
कामकाज की प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी।इस साल 9 राज्यों में विधानसभा
चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश, कर्नाटक त्रिपुरा जैसे राज्यों में पार्टी
की सरकार है। वहीं मेघालय और मिजोरम में भगवा दल गठबंधन के साथ सरकार में
है।

2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे
बड़े राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और
मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं, जिस तरह से जम्मू-कश्मीर
में सरकार तैयारियां कर रही हैं उससे हो सकता है कि यहां भी साल के अंत
तक विधानसभा के चुनाव हो जाएं। ऐसे में इस साल कुल 10 राज्यों में
विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। सभी चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में
ही लड़े जाएंगे इसमें कोई शक नहीं है। कार्यकारिणी में इस बिंदु पर
प्रमुखता से चर्चा हाे रही है कि पार्टी काे राज्यों और राष्ट्रीय स्तर
पर नए नेतृत्व तैयार करने की जरूरत है। हालांकि, ब्रैंड मोदी अभी भी बना
हुआ है और ये राज्यों में बीजेपी के जीत का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है।
बीजेपी को नुकसान वहीं हुआ है जहां स्थानीय मुद्दे हावी हुए हैं या
पार्टी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चली है । झारखंड और हिमाचल प्रदेश इसका
उदाहरण है, जहां पार्टी को सत्ता विरोधी लहर और स्थानीय मुद्दे के कारण
हार का सामना करना पड़ा है। राज्य में नए नेतृत्व को मौका दिया जा रहा
है। पीएम मोदी का ये जीत का फॉर्म्युला है। जब वो गुजरात के सीएम थे तब
भी वे 30-40 प्रतिशत नए चेहरों को चुनाव में मौका देते थे।

पार्टी छत्तीसगढ़ और राजस्थान को लेकर बेहद चिंतित है। इन राज्यों में
कांग्रेस की सरकार है। वहीं, तेलंगाना में टीआरएस से दो-दो हाथ करने लिए
बीजेपी बड़ी रणनीति बनाने में जुटी है। 2024 के आम चुनाव से पहले होने
वाले इलेक्शन केंद्र की लड़ाई का सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है।
इसमें हार-जीत का 24 के चुनाव पर असर हो सकता है। पार्टी काे मध्य प्रदेश
और कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। उधर, त्रिपुरा
जहां पार्टी काे टीएमसी और कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलेगी वहीं, गठबंधन
वाले राज्यों में भी सरकार बचाने की चुनौती होगी। इन चुनावों के नतीजों
का असर 2024 के आम चुनाव पर पड़ना तय है। पार्टी का ऐसा मानना है। इसलिए
इस साल राज्यों में हाेने वाले चुनाव में पार्टी का जीतना बेहद अहम् माना
जा रहा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राज्यों में जीत दर्ज करने का
फार्मूला तलाश किया जा रहा है। पार्टी के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव
काफी चुनौती भरा रहने वाला है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने
बीजेपी को मात दे दी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में बगावत के
कारण भगवा दल राज्य में फिर से सरकार बनाने में सफल हो गई थी। पार्टी
पिछले करीब दो दशक से लगातार सत्ता में है ऐसे में सत्ता विरोधी लहर से
उसे रू-ब-रू होना होगा,यह नेताओं काे अच्छी तरह पता है। ऐसे में राज्य
चुनाव में पार्टी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे के साथ उतरेगी या फिर
सामूहिक नेतृत्व में पीएम मोदी का चेहरा होगा,यह इस कार्यकारिणी में तय
हाेगा। कर्नाटक में फिलहाल बीजेपी की सरकार है। लेकिन बासवराज बोम्मई के
नेतृत्व वाली सरकार के लिए राज्य में दोबारा वापसी की राह आसान नहीं है।
2018 के चुनाव में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी। बाद में बीजेपी
ने राज्य में सरकार बनाने में कामयाबी पाई और बीएस येदियुरप्पा फिर सीएम
बने। 2021 में पार्टी ने येदियुरप्पा को हटाकर बोम्मई को सीएम बनाया था।
पर सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे बोम्मई के लिए बीजेपी का दक्षिण का
किला बचाना इतना आसान नहीं होगा। बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में कर्नाटक
के लिए भी रणनीति बनेगी। इसी तरह राजस्थान, छत्तीसगढ़ के लिए भी रणनीति
बनेगी।त्रिपुरा में चूंकि बीजेपी अपने दम पर सरकार में है, इसलिए यहां
उसकी साख दांव पर है। कुछ दिन पहले त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देव को बदलकर
उनकी जगह माणिक साहा को राज्य की कमान सौंपी है। पार्टी को यहां भी सत्ता
विरोधी लहर का सामना का डर है। ऐसे में सीएम का चेहरा बदल पार्टी यहां भी
गुजरात वाला दांव चली है। राज्य में बीजेपी के खिलाफ टीएमसी, कांग्रेस
पूरी तैयारी कर रही है। इसके अलावा पार्टी गठबंधन वाले राज्यों में भी
खुद को मजबूत करने के लिए रणनीति बनाएगी। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी
की इस दो दिवसीय बैठक का समापन मंगलवार, 17 जनवरी को होगा।