बिहार की सियासत को साधने चाहती है भाजपा। चिराग के जरिए नीतीश पर और अधिक हमलावर होने की योजना।
सुभाष चन्द्र
नई दिल्ली : बिहार की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सत्ता में भले ही जदयू और राजद मिलकर गहलबहियां कर रहे हों, लेकिन दोनों के विधायक और नेता एक दूसरे पर यकीन नहीं कर रहे हैं। लिहाजा, रामचरितमानस पर जिस प्रकार से सियासी रार उठा, वह चल ही रहा है। इसके बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ नेताओं की छुट्टी करके कुछ नए चेहरों को शामिल करने जा रहे हैं। लुटियंस जोन में जारी चर्चाओं के अनुसार, यह तय माना जा रहा है कि लोकजनशक्ति पार्टी रामविलास के केंद्रीय अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी टीम में शामिल करना चाहते हैं।
भाजपा कार्यसमिति की बैठक में जिस प्रकार से पार्टी ने इस साल होने वाले सभी विधानसभा चुनावों को जीतने का संकल्प लिया है और उसके आधार पर ही लोकसभा 2024 को लेकर कंफर्ट जोन में आना चाहती है, उसके लिए कई नेताओं को ताश के पत्तों की तरह फेंटना चाहती है। इसमें एक पत्ते चिराग पासवान के खेमे में भी आ सकती है। असल में, चिराग के चाचा पशुपति पारस को बीते समय में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया। केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया, लेकिन बिहार की राजनीति में भाजपा के हितों का साधने में वो असरदार नहीं दिख रहे हैं।
जिस प्रकार से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर चिराग पासवान ने मोर्चा खोला हुआ है, उसको लेकर भाजपा को यह लग रहा है कि चिराग को अपने साथ लाकर वो नीतीश कुमार की छवि को धूमिल कर सकती है। भाजपा से हटने के बाद राजद के खेमे में जाने के बाद नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि को भाजपा कम करना चाहती है। इसके लिए पार्टी को चिराग पासवान एक बेहतर व्यक्ति दिख रहे हैं। इसलिए चिराग पासवान को लेकर चर्चा हो रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि बीते दिनों भाजपा के रणनीतिकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से चिराग पासवान की कई सियासी मुलाकातें हो चुकी है।
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में दूसरी बार केंद्र में सरकार बनने के बाद से अब तक मोदी मंत्रिमंडल में केवल एक बार मंत्रिमंडल विस्तार किया गया था। 7 जुलाई 2021 को बड़े पैमाने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया था, जिसमें कई मंत्रियों के विभाग में या तो परिवर्तन कर दिया था या फिर उनका कद कम कर दिया था। कई अप्रत्याशित नामों को मंत्रिमंडल में शामिल कर नरेंद्र मोदी ने सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश की। जिसका पिछले विधानसभा चुनाव में लाभ भी देखने को मिला था।
भाजपा ने 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, गुजरात और मणिपुर का विधानसभा चुनाव जीतकर जबरदस्त वापसी की। अब इसी साल यानी 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलांगना प्रमुख हैं। आशंका जताई जा रही हैं कि इन चुनावी राज्यों के सांसदों का मंत्रिमंडल में कोटा बढ़ाया जा सकता है। साथ ही कुछ पुराने मंत्रियों की छुट्टी करने की भी तैयारी है।