डॉ संतोष कुमार
भारत पहली बार 2023 में G-20 देशों के नेताओं की मेजबानी करेगा। आपको बता दें कि भारत ने 1 दिसंबर 2022 को इंडोनेशिया से G-20 की अध्यक्षता ग्रहण की हैं। भारत वैश्विक राजनीति के एक ऐसे मुकाम पर G-20 की अध्यक्षता ग्रहण की जब विश्व शीत युद्ध के तरह दो गुटों में बंटा हुआ नजर आता हैं। ऐसी अवस्था में G-20 नेताओं को एक मंच पर लाना भारतीय प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। जिसकी एक झलक हमें इंडोनेशिया के बाली में 16 नवंबर 2022 को संपन्न हुई 17th G-20 शिखर सम्मेलन में भी दिखाई दे चुकी हैं। जिसमें रूस के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के स्थान पर विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का शामिल होना, उसके बाद रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने G-20 पर आरोप लगाया कि G-20 अमेरिका और यूरोपियन हितों को साधता हैं कहते हुए सम्मेलन छोड़ कर वापस अपने देश रूस लौट गए।
भारत के लिए G-20 की अध्यक्षता कई मायनों में महत्वपूर्ण है। आज मानवता के सामने जो समस्याएं और चुनौतियां हैं, उनका चरित्र वैश्विक हैं। और उनके समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। यदि भारत वैश्विक राजनीति के इस मुकाम पर G-20 देशों के साथ इन समस्याओं पर सहमति बना पता है। तो यह भारतीय विदेश नीति की प्रमुख उपलब्धियों में शुमार की जाएगी।
आपको बतादें कि G-20 मुख्य रूप से 19 देश और यूरोपीय संघ का एक समूह है जिसकी स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद की गयी थी। जिसमें 7 विकसित देश और 12 विकासशील देशों के साथ साथ यूरोपीय संघ भी शामिल हैं। G-20 विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से मिलकर बना है। जिसका सकल विश्व उत्पाद (Gross World Product) का लगभग 90%, तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लगभग 75-80% हिस्सा साझा करते हैं। साथ ही साथ G-20 देशों में वैश्विक जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई हिस्सा निवास करता हैं।
इस साल भारत में होने जा रही 18th G-20 सम्मेलन की थीम “वसुधैव कुटुंबकम” (एक धरती एक परिवार एक भविष्य) रहेगी। भारत G-20 अध्यक्षता के दौरान जिन मुद्दों को प्राथमिकता देगा उनमें समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास; स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, वाणिज्य, महिला सशक्तिकरण; डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, संस्कृति और पर्यटन, जलवायु वित्तपोषण; वैश्विक खाद्य सुरक्षा; ऊर्जा सुरक्षा; और आर्थिक अपराधों के खिलाफ लड़ाई को शामिल किया गया हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह पहले से ही स्पष्ट कर दिया कि भारत की G-20 अध्यक्षता “समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णय और कार्रवाई उन्मुख” होगी। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, G-20 की अध्यक्षता भारत के लिए महिला सशक्तिकरण, लोकतंत्र और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में दुनिया के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने का एक अवसर भी हो सकती हैं। लोकतान्त्रिक मूल्यों और शांतिपूर्ण सह -अस्तित्व को समर्पित भारत दुनिया को दिखा सकता है कि लोकतंत्र के एक संस्कृति बन जाने पर संघर्ष की गुंजाइश कैसे कम हो सकती हैं। भारत अपनी G-20 अध्यक्षता के दौरान भारत इंडोनेशिया और ब्राजील के साथ मिलकर G-20 ट्रोइका का गठन भी करेगा।
यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि भारत ने G-20 को दिशा और दशा के बारे में एक जो स्पष्ट दृष्टिकोण, एजेंडा, थीम और सहयोग के क्षेत्र निर्धारित करे हैं उसमें अन्य देशों का समर्थन प्राप्त हो पाएगा या नहीं । इस में कोई दो मत नहीं है कि G-20 की भारत की अध्यक्षता बहुपक्षीय व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में संभवतः एक बहुत बड़ा कदम सावित होगी।
डॉ संतोष कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, बठिंडा के साउथ एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं ।