कांग्रेस पार्टी का विपक्षी दलों की एकता का प्रयास कितनी दूर तलक जायेगा?
रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थितलाल चौक पर तिरंगा फहराने के साथ ही लगभग पूर्ण हो गई है।सोमवार 30 जनवरी को यात्रा का औपचारिकसमापन होगा ।
रविवार को राहुल गांधी ने श्रीनगर पहुँच कर कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की मौजूदगी में लाल चौक पर तिरंगाफहराया। इस दौरान उनकी बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद थी।
यात्रा के समापन समारोह के लिए कांग्रेस ने करीब 23 विपक्षी दलों के प्रमुखों को श्रीनगर आमन्त्रित किया है।कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने इसके लिए न्यौता भेजा है। राहुल गांधी सोमवार को श्रीनगर के एमएरोड स्थित पार्टी मुख्यालय में तिरंगा फहराएंगे और इसके बाद एस के स्टेडियम में एक जनसभा आयोजित कीजाएगी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया है कि, ”कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी ने 30 जनवरी को भारतजोड़ो यात्रा के समापन समारोह में समान विचारधारा वाले 21 दलों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर आमंत्रितकिया है।”
बताया जाता है कि कांग्रेस द्वारा अब तक जिन पार्टियों के नेताओं को न्यौता दिया गया है, उनमें तृणमूलकांग्रेस,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , जदयू, एसएस, तेदेपा, सपा,बसपा, द्रमुक,भाकपा,सीपीएम,झामुमो, रालोसपा, एचएएम, पीडीपी, एमडीएमके, वीसीके, आईयूएमएल, केएसएम, आरएसपी, नेशनल कांग्रेस आदि पार्टियों के नेता शामिल हैं। नेशनल कांग्रेस के नेता फारूक अब्दुल्ला औरउमर फारूक दोनों पिता पुत्र को आमंत्रित किया गया है।इसी तरह राजद के लालू यादव और उनके पुत्र तेजस्वीयादव दोनों को न्यौता भेजा गया है।
राहुल गाँधी ने अपनी 150 दिवसीय भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 4,080 किलोमीटर का पैदल सफर किया ।पिछलें वर्ष 7 सितंबर 2022 को दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा और देश के 12 राज्योंऔर दो केन्द्र शासित प्रदेशों के 75 जिलों में से होकर गुजरी और श्रीनगर पहुँची। सुरक्षा कारणों से यह यात्राएक दिन बाधित भी रही लेकिन उसने पुनः अपनी रफ़्तार पकड़ी।राहुल गाँधी के साथ विभिन्न प्रदेशों के 135 साथी यात्रियों ने भी यात्रा की।
भारत जोड़ो यात्रा के पूर्ण होने से पहलें गणतंत्र दिवस से कांग्रेस पार्टी का देश व्यापी “हाथ से हाथ जोड़ोंअभियान” भी शुरु हों गया है।
राहुल गाँधी से पहलें कांग्रेस के इतिहास में किसी नेता ने पहलें कभी इतनी लम्बी पैदल यात्रा नही की। हालाँकिआजादी से पहले महात्मा गाँधी सहित अन्य कई नेताओं ने लम्बी पथ यात्राएँ की तथा आजादी के बाद पूर्वप्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी चंद्र शेखर लाल कृष्ण आडवाणी सहित अन्य कई राष्ट्रीय नेताओं की यात्राएँ हुई है ।इसी तरह शंकराचार्य और बाबा आप्टे द्वारा भी कन्याकुमारी से श्रीनगर की यात्राओं का ज़िक्र मीडिया सुर्ख़ियोंमें आया है लेकिन उनकी यात्राएँ किसी राजनीतिक शख्स की यात्रा से इतर ही कही जा सकती है।
राहुल गांधी ने अपनी यात्रा का मुख्य मकसद देश तथा केन्द्र की मोदी सरकार का ध्यान वर्तमान में व्याप्तमहँगाई और बेरोज़गारी की मार की ओर आकर्षित करने के साथ ही देश में नफ़रत के बजाय प्यार और भाईचारा की भावना का संदेश देना बताया था और उन्होंने जगह जगह यह भी कहा कि भाजपा के लोग भले ही मुझपर कितने ही कटाक्ष क्यों न करते हों और वातावरण बनाते रहें हों लेकिन व्यक्तिगत रूप से मुझे भाजपा औरआरएसएस से जुड़े लोगों किसी भी व्यक्ति से कोई नफ़रत और दुश्मनी नही है। कांग्रेस पार्टी का दावा है किराहुल गाँधी अपनी यात्रा के उद्देश्यों को पाने में पूरी तरह सफल रहें है । राजनीतिक पण्डितों जा मानना है किराहुल गाँधी ने भारतीय सेना को लेकर अपने पार्टी के कतिपय नेताओं के बयानों की निन्दा कर यह साबित करनेका प्रयास भी किया है कि वे अब बहुत बदले हुए राहुल गाँधी है तथा उनकी राजनीतिक परिपक्वता भी परवानपर चढ़ रही हैं। इसलिए कोई ग़लतफ़हमी में नही रहे कि वे भारतीय मतदाताओं की नब्ज को समझने मेंकामयाब नही हों सकते।
राहुल गाँधी की इस मेराथन यात्रा की सफलता से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी जोश और उमंगहै।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस यात्रा ने जन मानस में कांग्रेस के प्रति विश्वास बहाली और आमजन की भावनाओं को छूने के साथ ही कांग्रेस का जन आधार बढ़ाने और पार्टी में एक नए प्राण फूंकने काप्रयास अवश्य किया है । इसमें हिमाचल प्रदेश में पार्टी को मिली विजय ने एक हद तक इसे साबित भी किया हैलेकिन अब क़रीब दस प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनावों और उसके बाद अगले साल 2024 में होने वालेलोकसभा के आम चुनावों से पहले क्या राहुल गाँधी की भारत जोड़ों यात्रा कांग्रेस पार्टी विशेष कर उसकेसंगठन के लिए संजीवनी बूटी साबित होंगी और मात्र तीन प्रदेशों में सिमटी इसकी सत्ता का विस्तार होगाअथवा नहीं तथा कांग्रेस पार्टी का विपक्षी दलों की एकता का प्रयास कितनी दूर तलक जायेगा,यह देखनादिलचस्प होगा?
इधर भाजपा ने अपने राष्ट्रवाद के नारे और बहु संख्यक वर्ग की धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं कोचरमोत्कर्ष पर ले जाकर तथा इससे जुड़ें कार्यों को मूर्त रूप में लाकर आने वाले अधिकांश प्रदेशों में विधानसभाचुनावों में विजयी रहने और अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी लगातार तीसरी जीत हैट्रिक को पूरीकरने की रणनीति बना ली है फिर भी जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी नेताओं की राहुल के साथहुई जुगल बंदी तथा समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को भारत जोड़ों यात्रा के समापन समारोह के अवसरपर श्रीनगर आमन्त्रित करने की खबरों ने भाजपा नेताओं के चेहरों पर सलवटें बढ़ा दी हैं।