एमपी में जनता के आंगन में सरकारी विकास यात्राओं की आमद

नरेंद्र तिवारी

मध्यप्रदेश में वर्ष 2023 राजनैतिक हलचल से भरपूर रहने वाला है। चुनावी साल होने से जनता को अपना भगवान बताने वाले राजनैतिक दल जिनमे सत्ताधारी भाजपा और सत्ता पाने की जुगत में लगी कांग्रेस सहित नई नवेली आमआदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जनता के दरबार मे जाकर अपने दल को जनता का सबसे बड़ा हितैषी बताने का प्रयास करेंगे। आमजन भी यह सोच रहा है कि 4 साल अपने छोटे से काम के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने होते है। उस दौरान अफसर मिलते नही, नेता गायब रहते है। अब जबकि चुनावी साल है। सत्ताधारी ओर विपक्षी नेताओं द्वारा पूछपरख की जा रहीं है। मध्यप्रदेश की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी काबिज है। प्रदेश में 15 महीनों की कमलनाथ सरकार के शासनकॉल को छोड़ दें तो करीब 20 साल से एमपी में भारतीय जनता पार्टी का शासन रहा है। इन 20 सालों में अधिकांश समय प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान काबिज रहें है। प्रदेश सरकार फरवरी की 5 तारीख से 25 तारीख तक मध्यप्रदेश के 55 जिलों, 16 नगर निगमों, 100 नगरपालिकाओं, 264 नगर पंचायतों, 313 विकासखण्डों की 23 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में विकास यात्रा निकाल रहीं है। यानी सरकार जनता के आंगन में आमद देकर यह बताने की कोशिश कर रही है कि हम आपके सबसे बड़े हितैषी है। हमारी सरकार ने आपका पूरा ध्यान रखा है। प्रदेश में चारों ओर खुशहाली का वातावरण व्याप्त है, जनता को घर बैठे सरकारी सुविधाएं मिल रही है। प्रदेश का कृषक खुशहाल है, उसे आसानी से खाद, बीज, यूरिया उपलब्ध हो रहा है। किसान को उसकी फसल का उचित दाम मिल रहा है। सरकार की नीतियों से व्यवसायी वर्ग में भी प्रसन्नता व्याप्त है। वह बड़े अच्छे माहौल में अपना व्यवसाय कर रहा है। प्रदेश के उद्योग धंधे फलफूल रहें है। सरकार की नीतियों से व्यवसायिक वर्ग भी गदगद है। प्रदेश के बेरोजगार भी प्रदेश की शिवराज सरकार से हर्षित है। युवा बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने में सरकार ने काफी प्रयास किये है। शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन, सड़क ,पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता से आमनागरिक के जीवन में शिवराज सिंह की वर्तमान सरकार ने बंसत बाहर ला दी है। कुल मिलाकर जनता को सरकार द्वारा प्रायोजित विकास यात्राओं के माध्यम से यह बताने की कोशिश की जाएगी कि शिवराज की सरकार ने बेहतर काम किया है। जनता को आगे भी इस सरकार को मौका देना चाहिए। सरकारी प्रयास से प्रदेश की सम्पूर्ण मशीनरी आमआदमी के दिमाग में यह बिठाने की पूरी कोशिश करेगी की एमपी की शिवराज सरकार के राज में प्रदेश तरक्की कर रहा है। जनता के आंगन में विकास का यह रथ जनता की तरक्की की असली तस्वीर है। विकास के शोर मचाते इन रथों से सरकारी भोंपू प्रदेश को खुशहाल बताने के हर सम्भव जतन करेंगे। इसके विपरीत प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 5 फरवरी को ग्वालियर में एक जनसभा को सम्बोधित करतें हुए भाजपा सरकार की विकास यात्रा को नौटंकी करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की कुछ उपलब्धि तो है, नही सिर्फ सरकार के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है। विकास होता तो विकास यात्रा निकालने की आवश्यकता ही नही पड़ती। कमलनाथ अपने 15 महीने की उपलब्धियां गिनाना भी नही भूलते। दरअसल मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार की उपलब्धियों को ढाई या तीन साल की सरकार की उपलब्धि विकास या तरक्की के बजाय 20 वर्षो के विकास के रूप में देखें जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 16 बरसो से अधिक कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहें है। इस लिहाज से सरकार औऱ मुख्यमंत्री को पर्याप्त समय काम करने का अवसर मिला है। एक सरकार और व्यक्ति को जब इतना लंबा समय कार्य करने का अवसर मिला हो तो प्रदेश की तस्वीर बेहद उजली दिखाई देना चाहिए। इसके विपरीत जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है। प्रदेश में सरकारी शिक्षा और स्वास्थ की स्थिति बेहद कमजोर है। सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य का उपयोग जनता बहुत मजबूरी में ही करती है। व्यापम जैसे घोटाले मध्यप्रदेश के माथे पर दागनुमा चस्बा है। जिसमें नेताओं, अफसरों के भ्रष्ट तंत्र ने प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों के हक पर ढाका डालकर अयोग्य लोगो को धन की लालच में भर्ती कर लिया था। प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार रहतें हुए आदिवासी जिलों में भ्रष्टाचार चरम पर पहुच गया था। जिसकी बानगी आदिवासी बाहुल्य जिले बड़वानी में देखने को मिली यहां की जनपद सेंधवा ओर निवाली में हुई आर्थिक अनियमितता पर दिसम्बर 2022 में न्यायालय ने निर्णय सुनाते हुए तात्कालिन अधिकारियों, इंजीनियरों, सरपंचों, सचिवों को सजा सुनाई है। जनपद सेंधवा के वरला थाने में दर्ज एफआईआर अनुसार 23 मई 2012 को 23 ग्राम पंचायतों द्वारा फर्जी खाते खोलने जिसमे मनरेगा की 5 करोड़ 21 लाख 50 हजार रु की राशि फर्जी फर्मो के माध्यम से ट्रांसफर कर घोटाले को अंजाम दिया था। इस मामले में बड़वानी जिले के एक न्यायालय ने 23 आरोपियों को दोषी मानतें हुए 7-7 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसी जिले की निवाली जनपद में मनरेगा के 6 करोड़ रुपये के घोटाले में तीन सीईओ सहित 12 अफसरों को आर्थिक अनियमितता का दोषी मानते हुए कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया गया है। ऐसा नहीं है कि घोटालों के यह घटनाक्रम आदिवासी अंचल के ही हो, यह किस्से प्रदेश की राजधानी भोपाल के भी है, जहाँ गरीबो को वितरित किये जाने वाले राशन में ही घोटाले को अंजाम दे दिया गया। इस राशन घोटाले को दबाने के कारण खाद्य विभाग के 15 अफसरों को निलंबित भी किया गया है। इस मामले में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबो को दिए राशन में हेरफेर की गई थी। सरकारी राशन में भोपाल में ही नही सम्पूर्ण प्रदेश में हेरफर का सिलसिला लगातार चल रहा है। यह सफेदपोश नेताओं, भष्ट्र अफसरों ओर कालाबाजारियों की मिलीभगत का नतीजा है। यूरिया, खाद और बीज के लिए हर बार किसान परेशान होता है। खाद बीज व्यवसायी इन किसानों को निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत में बेचते है। प्रदेश की खनिज संपदा का दोहन भी लगातार जारी है। इसमे भी नेता अफसर ओर व्यापारी का गठजोड़ काम कर रहा है। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा नेता उमा भारती शराब बंदी के खिलाफ मुखर है। किंतु शहर-शहर, गांव-गांव शराब की बड़ी बड़ी दुकानें संचालित हो रही है। शराब के इन ठेकों के माध्यम से शराब की तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है। इन्ही कारणों से प्रदेश की जनता ने वर्ष 2018 में शिवराज सरकार को नकार दिया था। किंतु राजनीति में बहुत से किरदारों की किस्मत बहुत तेज रहती है। शायद शिवराज भी किस्मत के धनी है। 15 महीने चली कांग्रेस सरकार में फूट पड़ गयी। कांग्रेस के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी उपेक्षा महसूस हुई वें अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए और शिवराज के वनवास को महज 15 माह में ही खत्म कर दिया। शिवराज सरकार में तो आ गए किंतु अपनी सरकार की बागडौर जनप्रतिनिधियों के स्थान पर जिले के कलेक्टरों के सुपुर्द कर दी। मध्यप्रदेश में सरकारी तंत्र कोरोनाकाल से हावी है। विधायक, मंत्री, महापौर, नपाध्यक्ष पर जिला कलेक्टर ऐसे हावी हुए की राजनीति का सारा परिदृश्य ही बदल गया। राजनीति अब कलेक्टरों के भरोसे होने लगी और सरकारी तंत्र हावी हो गया है। भाजपा संगठन के नेता, पदाधिकारी भी इस बात को सार्वजनिक रुप से स्वीकार करने लगे है। इन हालातो में एमपी की सरकार का विकास यात्राओं के माध्यम से जनता के आंगन में जाकर सरकारी उपलब्धियों का बखान कितना प्रभावी होगा। यह सब वक्त के गर्त में छुपा हैं। फिलहाल तो एमपी में जनता के आंगन में विकास यात्रा खुशनुमा एहसास करा रही है।