नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली : आचार्य तुलसी द्वारा सन 1949 में प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन के 75वें वर्ष में प्रवेश के अवसर परआयोजित विशेष कार्यक्रम में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने घोषणा की है कि आगामी एक वर्षतक वे अणुव्रत यात्रा के रूप में देश के विभिन्न भागों की पदयात्रा करेंगे।
मंगलवार को गुजरात के साबरकांठा जिले के खेरोज गाँव में सुंदरम विद्या भवन विद्यालय में अणुव्रत विश्वभारती सोसायटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आयें अणुव्रत कार्यकर्ताओं की उपस्थितिमें अणुव्रत अनुशास्ता ने अणुव्रत अमृत महोत्सव के शुभारम्भ की घोषणा की।
समारोह में जानकारी दी गई कि 21 फरवरी 2023 से 12 मार्च 2024 (फाल्गुन शुक्ल द्वितीया) तक चलनेवाले इस वार्षिक आयोजन में अहिंसक एवं शांतिपूर्ण समाज के निर्माण को लक्षित अनेक प्रकल्प संचालितहोंगे।
आचार्य महाश्रमण ने आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य तुलसी का स्मरण करते हुए उनकी दूरदर्शिता को नमन कियाकिया और कहा कि उन्होंने भारत की आजादी के बाद असली आजादी का आह्वान करते हुए स्वस्थ समाजसंरचना एवं मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठापना के लिए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया था। आचार्य श्री नेकहा कि राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में फाल्गुन शुक्ला द्वितीया विक्रम संवत 2005, 01 मार्च, 1949 सेप्रारम्भ हुए जाति, वर्ण, संप्रदाय से मुक्त इस नैतिकता के आंदोलन से प्रभावित होकर लाखों लोगों ने संयममयजीवन शैली की ओर अपने कदम बढ़ाए। उन्होंने मंगलकामना व्यक्त की कि अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष काआयोजन जन–जन में नैतिकता और मानवीय मूल्यों के उन्नयन का कार्य करेगा।
आचार्य ने कहा– आज अणुव्रत आंदोलन का पचहत्तरवां वर्ष प्रारम्भ हो रहा है। प्रारम्भिक काल में इसकेप्रचार–प्रसार के लिए आचार्य तुलसी ने कल्पनाशीलता से कितना चिंतन किया, योजनाएं बनाईऔर लम्बी–लम्बी यात्राओं द्वारा उन्होंने इस नैतिक आंदोलन आगे बढ़ाया। गरीब की झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक इसकीगूँज पहुँची। अणुव्रत का स्वरूप इतना व्यापक है कि बिना किसी जाति, धर्म व सम्प्रदाय के यह सबको मान्यहै। इसकी कोई सीमा नहीं है। बच्चा, जवान व बूढ़ा कोई भी इसकी अनुपालना कर सकता है। बल्कि मेरा तोयहाँ तक मानना है कि कोई नास्तिक भी इस मानव धर्म को अपनाने में संकोच अनुभव नहीं करेगा।
आचार्य ने कहा कि अणुव्रत एवं मानवता को हम शुद्ध साध्य माने तो उसकी प्राप्ति में आर्थिक शुचिता को एकशुद्ध साधन माना जा सकता है। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी इस दिशा में जागरूक है, यह अच्छी बात है।साध्य और साधन दोनों शुद्ध हों, यह कार्य की सफलता के लिए अपेक्षित है। हमारी अहिंसा यात्रा से जुड़ेसद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति के उद्देश्य अणुव्रत के सिद्धांतो का ही हिस्सा रहे हैं। अणुव्रत अमृत वर्ष केसन्दर्भ में हम आगामी एक वर्ष की यात्रा को अणुव्रत यात्रा के रूप में घोषित कर रहे हैं। अणुव्रत के क्षेत्र में औरकार्य हो, व्यापकता आए यह काम्य है। अपने उद्बोधन के पश्चात् अचार्य प्रवर ने अणुव्रत गीत का संगान स्वयंअपने मुखारविन्द से किया। उपस्थित अणुव्रत कार्यकर्ताओं एवं जनमेदिनी ने अपने स्वर मिला कर माहौल कोअणुव्रतमय बना दिया।
इस अवसर पर मुख्यमुनि महावीर कुमार ने अणुव्रत की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अपनेसुमधुर गीत से सबको सम्मोहित किया।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा ने अणुव्रत की आचार संहिता और उसके साथ समाज के विभिन्न वर्गों के लिए बनेवर्गीय अणुव्रतों को जन-जन के लिए उपयोगी बताते हुए जनजागरण के कार्य की आवश्यकता बताई।
साध्वीवर्या संबुद्धयशा ने अणुव्रत की सारगर्भित विवेचना की। अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मननकुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आंदोलन के प्रारम्भ में इसके नींव के पत्थर रहे संतों और कार्यकर्ताओंको याद किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष अविनाश नाहर ने अणुव्रत ध्वज फहराया औरअणुव्रत आचार संहिता का वाचन किया। नाहर ने अपने ओजस्वी वक्तव्य के साथ “अणुव्रत यात्रा” की अमृतउद्घोषणा हेतु अणुव्रत परिवार की ओर से आचार्यप्रवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। उन्होंने बताया की देश भरमें लगभग 160 अणुव्रत समितियों और अणुव्रत मंचों से जुड़े हजारों अणुव्रत कार्यकर्ता समर्पित भाव से इसमानवतावादी मिशन को जन-जन तक पहुँचाने में संलग्न हैं। इसी प्रकार नेपाल सहित विभिन्न देशों में भी श्रेष्ठव्यक्ति निर्माण इस इस अभियान को गति मिल रही है।
समारोह में खेड़ब्रम्हा के विधायक तुषार चौधरी ने कहा कि वे न केवल अणुव्रत विचारधारा के समर्थक हैं बल्किउन्होंने इसे अपने जीवन व्यवहार का भी हिस्सा बनाया है।
अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने कहा कि विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है उनकासमाधान अणुव्रत के संयम दर्शन में छिपा है। उन्होंने हीरक जयंती वर्ष में व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण औरकार्यकर्ता निर्माण को लक्षित कार्यक्रमों की जानकारी दी। उपाध्यक्ष एवं आज के कार्यक्रम के संयोजक राजेशसुराणा ने कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों, आदिवासी समुदाय से समागत नागरिकों एवं स्कूली बच्चोंका स्वागत किया।
शुभारम्भ समारोह की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ.कुसुम लुनिया ने बताया कि देशभर में 100 भी अधिक स्थानों परअणुव्रत अमृत रैली, संगोष्ठी और पत्रकार वार्ता आयोजित हो रही है। अणुविभा के महामंत्री भीखमचंद सुराणाने सभी का आभार व्यक्त किया।
प्रारम्भ में ऋषि दुगड़ ने अणुव्रत अमृत महोत्सव गीत का संगान किया। विद्यालय के विद्यार्थियों ने लघु नाटिकाद्वारा प्रस्तुति दी। अतिथियों को गुजराती में अणुव्रत आचार संहिता के फ्रेम भेट किये गये।
अणुविभा पदाधिकारियों ने अमृत महोत्सव पर प्रकाशित अणुव्रत पत्रिका का संयुक्तांक एवं अणुव्रत प्रबोधनप्रतियोगिता 2023 की सामग्री अणुव्रत अनुशास्ता को भेंट की तथा ईको फ्रेंडली फेस्टिवल के पोस्टर काविमोचन किया गया। आचार्य श्री ने मंगलकामना व्यक्त की कि अणुव्रत पत्रिका में प्रकाशित सामग्री जन-जनमें संयम की चेतना को जगाने में योगभूत बने। अणुव्रत से प्रभावित होकर क्षेत्रिय आदिवासियों समेत समागतअनेक व्यक्तियों ने जीवन की बेहतरी के लिए अणुव्रत अनुशास्ता से सामुहिक रूप से अणुव्रत संकल्पों कोस्वीकार किया।
इस अवसर पर अणुविभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रताप दुगड, उपाध्यक्ष निर्मल गोखरू, माला कात्रेला व विनोदकोठरी, सहमंत्री मनोज सिंघवी, संगठन मंत्री कुसुम लुनिया व राजेश चावत, प्रकाशन मंत्री देवेंद्र डागलिया, गुजरात प्रभारी अर्जुन मेड़तवाल, महाराष्ट्र प्रभारी रमेश धोका, तेलंगाना प्रभारी तिलोक सिपानी, नेपाल प्रभारीभरत चोरडिया, विभिन्न प्रकल्पों के प्रभारी रमेश पटावरी, सुरेश कोठारी, नीलम जैन, कमलेश नाहर, पायलचोरड़िया, अशोक चोरड़िया, रमेश डोडावाला, साधना कोठारी, संजय चोरड़िया, प्रणीता तलेसरा, सुभद्रालुणावत, सुरेश बागरेचा, सुरेश दक सहित देशभर से समागत अणुव्रत कार्यकर्ता उपस्थित थे।
हडाद गांव से पदयात्रा द्वारा खेरोज गांव पधारने से पूर्व अणुव्रत से संबंधित कार्यकर्ता एवं विद्यार्थिगण अणुव्रतरैली द्वारा शांतिदूत की अगवानी को तैयार थे। इस अणुव्रत अमृत रैली का शुभारम्भ अणुविभा अध्यक्ष श्रीअविनाश नाहर ने अणुव्रत झण्डा लहराकर किया। अणुव्रत दर्शन को मुखरित करती इस रैली में अणुव्रत आचारसंहिता के 11 नियमों की गुजराती में छपी तख्तियां विशेष आकर्षण पैदा कर रही थी। अणुव्रत गीत “संयममयजीवन हो “ संयम की चेतना जागृत कर रहा था। विधार्थियों द्वारा अणुव्रत के नारे अणुव्रत विचार को अनुगुंजित कर रहे थे।