अपराधियों को सजा दिलाने में एनआईए नंबर वन

इंद्र वशिष्ठ

आतंकी संगठन आईएसआईएस के सात आतंकियों को लखनऊ स्थित एनआईए की विशेष अदालत के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने 28 फरवरी को फांसी की सजा सुनाई है. एक आतंकी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. ये आतंकी हिंसात्मक जिहाद करने और देश में आतंकी हमले करने में शामिल थे आईएसआईएस के लिए आॅनलाइन युवाओं को बरगला कर कट्टरपंथी बना रहे थे.

7 को फांसी- आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, आसिफ इकबाल उर्फ रॉकी, मोहम्मद फैसल, मोहम्मद अजहर, गौस मोहम्मद खान और सैय्यद मीर हुसैन को मौत की सजा सुनाई गई है. मोहम्मद आतिफ उर्फ आतिफ इरानी को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
सैय्यद मीर हुसैन कन्नौज का और अन्य सभी कानपुर के निवासी हैं.

एनकाउंटर– इनका साथी सैफुल्लाह 7 मार्च 2017 को हाजी कॉलोनी लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था.

बम बनाए- आतंकियों ने अपने साथी मोहम्मद सैफुल्लाह के साथ मिलकर हाजी कॉलोनी, लखनऊ में अपना एक ठिकाना बनाया था. इन्होंने कुछ बम (आईईडी) बनाए और उनका टैस्ट किया. ये उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बम रखने में असफल रहे.

ट्रेन में बम विस्फोट- आतंकियों ने 7 मार्च 2017 को भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में बम विस्फोट किया था जिसमें दस लोग घायल हो गए.यह बम आतिफ,मोहम्मद दानिश, सैय्यद मीर हुसैन, मोहम्मद सैफुल्लाह ने बनाया था.

आईएसआईएस को बढ़ावा-
भारत में आईएसआईएस की विचारधारा का प्रचार और गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ये सभी एकजुट हुए थे.अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए मोहम्मद फैसल, गौस मोहम्मद खान, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश और मोहम्मद सैफुल्लाह ने रास्तों की खोज की. हिजरा (प्रवास) करने के लिए ये कोलकाता, सुन्दरबन, श्रीनगर, अमृतसर, वाघा बार्डर, बाड़मेर, जैसलमेर, मुंबई और कोझीकोड समेत देश के प्रमुख शहरों में गए थे. गौस मोहम्मद और आतिफ मुजफ्फर ने सुन्दरबन के माध्यम से बांग्लादेश जाने के लिए एक रास्ता पता किया.

कश्मीरी आतंकियों से मिले-
फैसल, आतिफ और सैफुल्लाह मार्च 2016 में कश्मीर में कुछ आतंकियों से मिले, जो पाकिस्तान जाने में मदद कर सकते थे. इनका इरादा पाकिस्तान से आईएसआईएस नियंत्रित सीरिया जाने का था.

देश को दहलाने का मंसूबा-
इन आतंकियों का उस्ताद एयरफोर्स से रिटायर गौस मोहम्मद है जबकि आतिफ इनका सरगना है. एनआईए के अनुसार आईएसआईएस के साहित्य को पढ़ पढ़ कर इस खुरासान मॉड्यूल का इरादा देश को आतंकी हमलों से दहलाने का था.

मंदिर पर हमले को तैयार दो भाई –
आईएसआईएस से संबंधित एक अन्य मामले में गुजरात में एनआईए की विशेष अदालत ने दो भाइयों को दस साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. वसीम आरिफ रामोदिया उर्फ निंजा फॉक्स और उसका भाई नईम आरिफ रामोदिया उर्फ एनडी फिरदौस नेहरू नगर रैया रोड राजकोट गुजरात के निवासी हैं.

सोशल मीडिया का इस्तेमाल-
ये दोनों आईएसआईएस के नाम पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, लोगों को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के लिए स्काइप और टेलिग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते थे. आईएसआईएस की विचारधारा की वकालत करने और उसका प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आॅनलाइन चैट और संदेश करते थे.इन्होंने हिंसा और आतंकवाद के कृत्यों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए सक्रिय आईएसआईएस गुर्गो के बीच आॅनलाइन चचार्ओं और बैठकों के आयोजन की व्यवस्था की, उनमें भाग लिया और सहायता की. हिन्दूओं की संपत्ति को जलाने की कोशिश- इन्होंने गैर मुस्लिमों के वाहनों और दुकानों को आग लगाने की कोशिश की थी. इन्होंने आईईडी बम बनाने का भी असफल प्रयास किया था.

मंदिर पर हमले की तैयारी-
अपने आॅनलाइन आईएसआईएस संचालकों के निर्देश पर दोनों आरोपी चोटिला मंदिर में लोन वुल्फ हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन हमले को अंजाम देने से पहले ही उन्हें पकड़ लिया गया.

सजा दर 93.69 फीसदी-
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि इन दोनों अदालती निर्णयों के साथ ही एनआईए के मामलों की सजा की दर 93.69 फीसदी हो गई है. वैज्ञानिक रूप से एकत्र किए गए ठोस सबूतों पर निर्भर, साक्ष्य आधारित जांच की परंपरा को जारी रखते हुए यह एनआईए का एक और मील का पत्थर है. एनआईए द्वारा की गई जांचों में निष्पक्षता और पारदर्शिता इस तथ्य से स्पष्ट हो जाती है कि वर्ष 2019 से 2022 ( 2 दिसंबर 2022 तक) के दौरान, अदालत द्वारा 67 मामलों में निर्णय दिया गया है, जिनमें से, 65 मामलों में दोषसिद्धि/ सजा हुई है और 02 मामलों में आरोपी को अदालत द्वारा बरी/दोष मुक्त किया गया हैं।