सीता राम शर्मा ‘चेतन’
जी 20 की बैठक के दौरान भारत और अमेरिका में प्रमुख अमेरिकन नेताओं के द्वारा रुस-युक्रेन युद्ध के प्रति भारत को गलत बयान देने के लिए उकसाना जारी है ! भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा एक मुलाकात के दौरान सार्वजनिक मंच पर युद्ध को लेकर रुसी राष्ट्रपति से कही गई बात, यह युद्ध का नहीं कूटनीति का समय है, का बार-बार जिक्र करना भारत-रुस मित्रता में खटास लाने वाली अमेरिकन बदनीयति की स्पष्ट कूटनीतिक चाल है ! अब जबकि जी 20 की अहम बैठक में आए अमेरिकन विदेश मंत्री का भी पूरा जोर रुस-युक्रेन युद्ध को लेकर भारतीय तटस्थता की विदेश नीति को तोड़ने, डिगाने पर है तो अब भारत को रुस-युक्रेन युद्ध को लेकर एक स्पष्ट नैतिक और कूटनीतिक बयान देने की जरूरत है । भारत को कहना चाहिए कि वह रुस-युक्रेन युद्ध को समाप्त करना चाहता है पर इसके लिए उनसे संबंधित सभी देशों को युद्ध की समाप्ति और वैश्विक शांति के लिए परिस्थितिजन्य प्रयास करने की जरूरत है । जब तक वे दोनों तरफ की चिंताओं और आशंकाओं को समझकर अपनी नीतियों और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन और विरोध में आवश्यक बदलाव नहीं लाएंगे, युद्ध विराम और समाप्ति संभव नहीं । युद्ध विराम और समाप्ति सिर्फ शांति की बातों से नहीं, शांति की जरुरी नीति नीयत और प्रयासों से ही संभव है । वैश्विक शांति के पक्षधर हर देश के साथ वैश्विक बिरादरी को यह बात बखूबी जानने और समझने की जरूरत है ! उसे पूरी स्पष्टता और दृढ़ता के साथ कहना चाहिए कि शांति की बात और उकसावे की कार्रवाई साथ-साथ करना वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए घोर अपराध, व्यर्थ और घातक है । जिससे विश्व के किसी भी जिम्मेवार देश को बचना चाहिए । गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह से कई प्रमुख अमेरिकन नेता और मंत्री अमेरिका और भारत में लगातार भारत की प्रशंसा करते हुए, उसे अपना वर्तमान और भविष्य का एक मुख्य सहयोगी बताते हुए इस बात का कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं कि भारत में आयोजित इस बैठक में आतिथ्य धर्म का निर्वाह करते हुए भारत रुस-युक्रेन युद्ध पर कोई ऐसी कोई प्रतिक्रिया या बयानबाजी करे जो रुस के विरुद्ध और उसके पक्ष में हो । उसके एक नेता ने तो बहुत खुलकर यह कह भी दिया कि भारत को रुस-युक्रेन युद्ध पर किसी एक पक्ष में खड़ा होना चाहिए । हालांकि इन उकसावे और दिखावे की अत्यधिक मित्रता और प्रभाव वाली बयानबाजी के बावजूद भारत ऐसी भूल या गलती नहीं करेगा, इसमें कतई संदेह नहीं है, पर अब भारत को चाहिए कि वह रुस-युक्रेन युद्ध पर ज्यादा स्पष्टता और चतुराई से इस युद्ध की वास्तविकता के साथ इसके संकट और समाधान पर अपनी राय रखे ।