सोशल मीडिया का जाल

यशवर्धन

आजकल युवाओं में उभयनिष्ट (कॉमन) समस्या पाई जा रही है,की उन्हे टाइम नही मिलता।

आइए आपके समय को सुबह की पहली किरण सेदेखा जाए।

आप सुबह उठे आपने सबसे पहले अपना फोन चेक किया,किसी दोस्त या रिश्तेदार ने जन्मदिन/सालगिरह के स्टेटस लगा रखे थे।आपने उन्हे देखा अगर चिर परिचित हुआ तो आपने अपनी शुभकामनाएं उन्हे दी।

आजकल तो फोटो से शुभकामनाएं भेजी जा रही है,आपने उनके लिए एक फोटो वाला अच्छा बधाई या शुभकामनायुक्त संदेश भेजा,देखते ही देखते आपके सुबह के कीमती 30 से 60 मिनट का समय बर्बादचला गया।

ये थी शुरुआत आपकी सुबहकी, ठीक इसी प्रकार अन्य सोशल मीडिया एप्लीकेशन ने भी आपके समय पर कब्जा कर रखा है।
सोशल मीडिया पर आने वाली रील्स केवल 15 से 30 सेकंड की होती है,लेकिन ये 30 सेकंड कब आपके 1 घंटे में बदल जाते है,देखते ही देखते आपको पता तक नहीं चलता।

इन्हे इस प्रकार बनायाही गयाहै,ताकि आप अपना
कीमती वक्त इन्हे दे सके।

इन्हे बनाने के लिए कई रिसर्च और बड़े बड़े मनोवैज्ञानिकों को काम पर लगाया जाता है,ताकि लोगो को इनकी लत लग सके।ये सोशल मीडिया एप्प प्लेजर और पैन के सिद्धान्त तथा रिवार्ड और पनिशमेंट के सिद्धान्त पर कार्य करते है।

आपके द्वारा की गई पोस्ट फोटो आदि पर लाइक, कमेंट, फॉलोइंग आदि आपको रिवार्ड दिलवाते है,आपको लगता है आप एक स्टार या सेलिब्रिटी है,और इसी भ्रम में न जाने कितने युवक एवम युवतियां अपना कीमती समय बर्बाद करते रहते है।

इसके साथ ही इन्हे बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी स्वत:सीखने के कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का प्रयोग किया जाता है,ये प्रोग्राम आपकी पसंद-नापसंद , आपके खाने-पीने, घूमने फिरने आदि पर नजर रखता है,और आपकी पसंद नापसंद आदि को व्यवसायिक कंपनियों को बताता है,ताकि आपके पसंद के अनुरूप उत्पाद आपके सामने रख सके।

आपने देखा होगा आपने यदि किसी ऑनलाइन प्रोडक्ट को सर्च किया होगा तो उसके विज्ञापन आपके हर सोशल मीडिया अकाउंट विज्ञापन दिखने लगते है, आप न चाहते हुए भी उन्हे खरीदने के लिए मजबूर हो जाते है।

हमारा दिमाग सुखतथा दुख होने पर कुछ हार्मोन स्त्रावित करता है,जैसे:- सेराटोनिन डोपामिन आदि सुख या आनंद प्रदान करनेवाले हार्मोन है,कोर्टिसोल आदि दुख व निराशा प्रदान करने वाले हार्मोन होते है,सोशल मीडिया पर लाइक आदि से सेराटोनिन हार्मोन तथा पोस्ट न लाइक होने पर या किसी का मैसेज रिप्लाई आदि न आने पर कोर्टिसोल हार्मोन स्त्रावित होता है।

अरे! लोग मेरी पोस्ट क्यू नही लाइक कर रहे, अगली बार क्या अच्छा करूं आदि की चिंता व समय को व्यर्थ कर देते है। इन सोशल मीडिया की वजह से ने तो युवा सही से सो पा रहे न ही ध्यान केंद्रित कर पा रहे।

अगर आप सोशल मीडिया न चलाए तो आपको बैचेनी सी लगने लगती है,क्युकी आपका दिमाग फील गुड हार्मोन स्त्रावित नही करता है।आपको लगता है सारी दुनिया से अलग हो गए है,आपको अकेलापन लगता है।

आजकल युवाओं में भी सोशल मीडिया ने तनाव तथा बैचेनी को बढ़ावा दिया है,युवा सेल्फी,लाइक, फॉलो और सोशल मीडिया पर ध्यान पाने के लिए अश्लील रिल्स से लगाकर असभ्य भाषा का प्रयोगकरते है,यहां ताकि साइबर बुलिंग तककेशिकार हो जाते है।यदि किसी व्यक्ति नेपोस्ट डाली अगर उस पर लाइक्स कम आते है तो उन्हें बैचेनी चिंता होने लगती है।आप सोशल मीडिया के धीरे धीरे आदि हो जाते है,कि सुबह से लेकर रात सोने तक आप कई बार अपना फोन चेक करते है,कही किसी का मैसेज या नोटिफिकेशन तो नहीआया।

नोटिफिकेशन को इस प्रकार बनाया गया है ताकि आप इनको देख कर बिना सोशल मीडिया चलाए रह नही पाएंगे।आपकी पोस्ट पर किसने रिप्लाई किया किसने लाइक किया,आपको मैसेज किसने किया पल– पल की जानकारी देना इनका काम है।

इसके साथ ही डिवाइसेज फोन टैबलेट आदि में एक ब्लू लाइट दीप–दीप करती हुई नजर आती है, इसका काम आपकी नींद को कम करना होता है, रिसर्च के अनुसार फोन एलईडी टीवी आदि से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी नींद के समय को कम करदेती है ताकि आप ज्यादा से ज्यादा इसका प्रयोग करे।

लोग दिन भर विडियोज रील देखने में समय व्यतीत करते है,इनवीडियो एवम रील का काम आपको अस्थाई प्रसन्नता देना होता है।दिमाग को बिना कुछ किए सिर्फ एक टच से प्लेजर(प्रसन्नता)मिल रही होती है, और आपके पास कई विकल्प आ जाते है, कभी आप मोटिवेशनल वीडियो देखेंगे,कभी आप हास्य वाले तो कभी जो आपका मन कहेगा।सच तो ये है,आप फील गुड के जाल में फस जायेंगे।

अक्सर समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलता रहता कोई युवा, बच्चा,व्यक्ति महिला,युवती आदि फोन चलाते गड्डेगिरगए या वाहनसे टकरा गए, किसी नेलाइक्स नमिलने पर आत्महत्या कीतो किसी के ऑनलाइन धोखा अथवा साइबर शोषण,नई उमर की किशोरियों के साथ अक्सर ऐसे घटनाएं होती रहती है,जिन्हे बहला फुसला कर उनकीप्राइवेट फोटोज विडियोज आदि का गलत प्रयोग किया गया होता है आए दिन इस तरह की घटनाएं सुनने को व पढ़ने को मिलती है।

युवा अपने पसंदीदा सेलिब्रिटी को फॉलो करते है साथ ही उनके जीवन में भी झाकना शुरू कर देते उनकी पसंद– नपसंद, उन्होंने कौन सी ड्रेस पहनी, क्या खाया,कहां घूम रहे इन सेलेब्रिटी को ये सब सोशल मीडिया पर दिखाने व ब्रांड दिखाने के लिए मोटीरकम मिलती है, लेकिन आज के युवा इन सबकी तुलना खुद जीवन से करते और उन्हे व्यर्थ का तनाव ही झेलना पड़ता है।वो भी उन सेलिब्रिटी जैसी ड्रेस जूते आदि लेना चाहते है,जिनके दाम बढ़ा चढ़ा कर बेचे जाते है।

इसके अलावा अपने दोस्तो आदि के जीवन को देखना किस दोस्त ने कौन सी नई गाड़ी ली, किस दोस्तने कौन सा नया फोन लिया,किसने कैसे अपना जन्मदिन कैसे मनाया,इस सब को देखने पर तुलना करते हुए तनाव व खीझ का अनुभव करने लगते है।और अपने घर में माता–पिता से जिद करना व व्यर्थ का विवाद उत्पन्न की स्थिति आ जाती है।

सोशल मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज और तुरंत मिलने वाला ज्ञान अति हानिकारक है,किसी व्यक्ति विशेष के व्यक्तिगत जीवन तथा उसकी सुरक्षा के लिए भी हानिकारक होता है।कई बार फेक न्यूज तथा ज्यादा व्यूज लाइक पाने के लिए गलत तरीके से दृश्य वश्रव्य सामग्री को परोसा जाता है।अनपढ़ व्यक्तियों के साथ साथ पढ़े लिखे व्यक्ति भी इन्हे सच मन लेते है तथा यही मतभेद विवाद का कभी– कभी कारण भी बनते है।

आज से कुछ साल पीछे जाए तो लोग आपस में बाते करते थे,किसी समारोह, त्यौहार ट्रिप आदि को आनंद के साथ मनाते थे।छोटे बच्चे आपस में खेलते थे,किंतु आज बच्चो से लेकर बाद तक प्राय:कानो में हेडफोन,समारोह में सेल्फी लेना,तथा वीडियो बनाते दिखते है।न तो आज किसी को किसी से मतलब है,न ही किसी के पास समय क्युकी उनका समय सोशल मीडिया जैसी अस्वाभाविक दुनिया ने जकड़ रखा है।आजकल केवल मकसद शेयर लाइक कमेंट ही रह गया है।

इसके अलावा सोशल मीडियापरवीडियो से मिलने वाली गलत जानकारी भी लोगो के लिए कम तबाही का काम नहीं करती है।अक्सर लोग अपने व्यूज बढ़ाने के लिए गलत तरीके,व लोगो को भ्रामक जानकारी दे देते है।

सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलू
खैर ये तो थे सोशल मीडिया के नकारत्मक प्रभाव सोशल मीडिया के कुछ फायदे भी है,कम समय में वैश्विक स्तर की जानकारी प्रदान करवाना।

लोगो ने अपनी प्रतिभा को लोगो के सामने रखकर अच्छा मुकाम भी हासिल किया है।कई लोगो को न्याय भी दिलाया गया है,तो कई लोगो को रोजगारमिला।

कई लोग इन सोशल मीडिया से जानकारी लेकर बहुत कुछ सीख सकते है,जैसे गायन वादन ड्राइंग आदि।

इसके साथ ही सोशल मीडिया ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है,आप अच्छे से अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकते है,अपने कांसेप्ट को अच्छा कर सकते।अपना ज्ञान भी बढ़ा सकते है।

आइए अब जानते है कुछ उपाय जो आपकी सहायता करेंगे सोशल मीडिया एडिक्शन से तथा इसके दुष्प्रभाव से।
• सबसे पहले सुबह उठते ही फोन को न चलाए।
• फोन में अनचाहे नोटिफिकेशन बंद कर दे,ताकि ये आपको बाधित न कर सके।
• अपनी दिनचर्या को लिखे जो आपके लिए महत्वपूर्ण कार्य हो उन्हे पहले करे।
• सोने से पहले फोन अपने से इतना दूर रख दे,ताकि आपको आसानी से न मिले।
• सोशल मीडिया का प्रयोग केवल जागरूकता व अपनी सहायता के लिए करे।
• समय निर्धारण करे केवल इतना समय ही सोशल मीडिया आदि को देना है।
• अपने जीवन की तुलना अन्य सेलेब्रिटी व दोस्तो से न करे,सभी की पारिवारिक पृष्ठभूमि अलग अलग होती है।
• ध्यान करे,स्वाभाविक प्रसन्नता की ओर जाए।