- इस वर्ष माता का आगमन नौका तथा प्रस्थान डोली में होगा जो विशेष फलदायी हैं
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली : भारतीय वैदिक धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है ।एक वर्ष में तीन बड़ी नवरात्रि आती हैं जिसमें चेत्र नवरात्रि शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि शामिल है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है और घट स्थापना कीजाती है।
इस बार नवरात्रि का त्योहार 22 मार्च, बुधवार से शुरू होगा और इसका समापन 30 मार्च को होगा । वैदिकपंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि का आरंभ होता है । नवरात्रि के इसपर्व के समय 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना भी की जाती है । जब मातारानीनौका पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं तो यह उनके भक्तों के लिए अत्यन्त शुभ संकेत देने वाला होता है । चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च दिन बुधवार से हो रही है। ऐसे में इस साल मां दुर्गा का आगमन नौका पर होरहा है जब भी बुधवार से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां दुर्गा पृथ्वी पर नौका पर सवार होकर आती हैं ।ठीक इसी प्रकार देवी का प्रस्थान 30 मार्च 2023 को गुरुवार के दिन डोली में होगा। देवी भागवत में वर्णन हैकि दिन के अनुसार, मां दुर्गा की सवारी का निर्धारण होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र में शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय समेत अपने परिवारके साथ पृथ्वी लोक पर पधारती हैं । पृथ्वी लोक मातारानी का मायका है । वे यहां पर पूरी नवरात्रि रहती हैंऔर फिर दिन के अनुसार, अपनी सवारी पर विराजमान होकर प्रस्थान कर जाती हैं।
कैसे तय होती है मां दुर्गा की सवारी क्या है फल
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय निम्बाहेड़ा के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार नौकापर देवी माँ का आगमन विशेष रूप से शुभ कहा गया है, क्योंकि संस्कृत श्लोक “नौकायां सर्व सिद्धि स्यात्” केअनुसार नौका में माता जी विराजमान होकर आती हैं तो उस नवरात्रि अनुष्ठान जाप की सिद्धि तत्काल एवं कईगुना वृद्धि कारक होती है। डोली में बैठकर माता जी का प्रस्थान करना भी सुख और समृद्धि को बढ़ाने वालाहोता है । तिवारी बताते हैं कि देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि नवरात्रि के समय में दिन अनुसार मां दुर्गाके आगमन की सवारी क्या होती है, इसके बारे में भी श्लोक है कि
“शशि सूर्य गजारुढा शनि भौमै तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥“
इस श्लोक के अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से आरंभ हो तो माता हाथी पर विराजमान होकर आतीहैं। यदि वह दिन शनिवार या मंगलवार हो तो माता की सवारी घोड़ा होता है और शुक्रवार या गुरुवार हो तोमाता रानी डोली में आती हैं। बुधवार के दिन से यदि नवरात्रि शुरू हो रहे हों तो माता का आगमन नौका से होताहै। इसी प्रकार प्रस्थान का भी विचार किया गया है ।