शिशिर शुक्ला
हाल ही में उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार द्वारा पशुओं के संरक्षण एवं रोगों से उनके बचाव के उद्देश्य को लेकर शुरू की गई ‘पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना’ के क्रियान्वयन के तहत एक महत्वपूर्ण पहल को अंजाम दिया। मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा 201 करोड़ रुपए की लागत से 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट को उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के लिए रवाना किया गया। साथ ही साथ पशुधन हेतु रोगों के इलाज को सुगम व सुलभ बनाने हेतु टोल फ्री हेल्पलाइन-1962 सेवा का भी शुभारंभ किया गया। योगी सरकार की इस पहल के साथ ही उत्तर प्रदेश पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रयास को लेकर अपने आप में एक अनूठा उदाहरण बन गया है। एक आंकड़े के अनुसार भारत की लगभग 70 फ़ीसदी आबादी कृषि एवं पशुपालन पर आश्रित है, लिहाजा कहीं न कहीं देश की अर्थव्यवस्था में भी पशुपालन का एक अहम योगदान है। विश्व में गायों की कुल संख्या का लगभग 15 प्रतिशत भारत में मौजूद है, साथ ही भारत के पशुधन का सर्वाधिक प्रतिशत उत्तर प्रदेश में पाया जाता है। संभवतः यही कारण है कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर है और भारत इस मामले में पूरे विश्व में अव्वल दर्जा रखता है। वस्तुतः पशुपालन का व्यवसाय उन किसानों के लिए अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण है जो भूमिहीन अथवा लघु व सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं। जो किसान बड़े पशुओं जैसे गाय, भैंस इत्यादि को पालने में अक्षम हैं, वे भेड़, बकरी, मुर्गी इत्यादि छोटे पशुओं के माध्यम से अपना जीवनयापन करते हैं। भारत में भूमिहीन, लघु व सीमांत किसानों का प्रतिशत अच्छा खासा होने के कारण पशुपालन की जीविकोपार्जन में एक बड़ी भूमिका है। पशुओं में होने वाले रोग इतने प्रकार के एवं इतने गंभीर होते हैं कि तनिक भी लापरवाही अथवा चूक होने पर उन्हें जान से हाथ धोना पड़ जाता है। एन्थ्रेक्स, खुरपका, मुंहपका, पोंकनी, गलघोंटू, निमोनिया, चेचक, थनैला, गिल्टी, लंगड़ा बुखार आदि न जाने कितने ऐसे रोग हैं जो पालतू पशुओं को अपना शिकार बना लेते हैं। बेचारा जानवर बेजुबान होने के कारण अपनी पीड़ा को व्यक्त भी नहीं कर पाता और इस कारण ये सभी रोग उपचार के अभाव में पशुओं के लिए जानलेवा सिद्ध हो जाते हैं। नतीजा यह होता है कि बेचारे गरीब किसान को पशुधन से हाथ धोने के साथ-साथ अपनी आजीविका पर भी संकट का सामना करना पड़ जाता है।
गोवंश के संरक्षण हेतु योगी सरकार ने निस्संदेह अभूतपूर्व एवं उत्कृष्टतम प्रयास किया है। ‘पशु उपचार पशुपालक के द्वार’ योजना के माध्यम से पशुपालकों को यह सुविधा उपलब्ध रहेगी कि पशु के बीमार अथवा घायल होने की स्थिति में टोल फ्री नंबर 1962 पर सूचना देने पर एक घंटे के अंदर वेटरनरी यूनिट उसके दरवाजे पर पहुंच जाएगी। मोबाइल वेटरनरी यूनिट में चिकित्सक एवं औषधियों की व्यवस्था रहेगी जो रोगग्रस्त पशु को पूर्णतया निशुल्क उपचार प्रदान करेगी। निस्संदेह इस योजना के माध्यम से बीमार एवं किसी भी प्रकार से घायल हुए पशुओं को अस्पताल ले जाने के स्थान पर तुरंत एवं वहीं पर इलाज की सुविधा उपलब्ध रहेगी और नतीजतन रोगों के माध्यम से पशुओं की होने वाली मौतों की संख्या घटेगी। इसके साथ ही पशुओं के उपचार में आने वाले खर्च का बोझ गरीब पशुपालकों पर न पड़ने के कारण उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट के माध्यम से भी पशुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। हाल ही में छुट्टा पशुओं की समस्या एवं उनके कारण होने वाले नुकसान का मुद्दा एक गंभीर एवं कहीं न कहीं राजनीतिक मुद्दा बन गया है। योगी सरकार ने इस समस्या से निजात पाने के लिए 750 करोड़ रुपए के बजट की व्यवस्था की है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिले में एक मॉडल गौशाला, निराश्रित गोवंश के लिए नए आश्रयस्थलों का निर्माण, प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह भुगतान के साथ-साथ पशुओं के रोगों पर नियंत्रण पाने के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।
निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश सरकार बेजुबान की वेदना को मानवता के चक्षुओं से देखकर उसके निवारण के लिए ठोस व सक्रिय कदम उठाने वाली सरकार है। नवीन बजट के प्रावधानों के अमल में आने के उपरांत निश्चित रूप से आवारा पशुओं के कारण होने वाली क्षति की समस्या दूर होगी एवं साथ ही साथ पशुओं के रोगों पर काबू पाकर उन्हें स्वास्थ्य वरदान भी मिल सकेगा। पशुपालकों के पास स्वस्थ पशुओं का होना एवं आवारा पशुओं का गौशालाओं में आश्रय कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था की प्रगति में योगदान करेगा।