चिरंजीवी भवः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत…

नीति गोपेन्द्र भट्ट 

राजस्थान के गाँधी के नाम से मशहूर अशोक गहलोत जब-जब भी प्रदेश में सरकार का नेतृत्व करने आते है, अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए पूरे देश का ध्यान आकर्षित करते है। विशेष कर जन स्वास्थ्य सेजुड़ी योजनाओं के लिए वे हमेशा चर्चित रहे है। इस बार प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए विधान सभा में सर्वसममित से “राइट टू हेल्थ “ क़ानून बना कर वे एक बार फिर देश भर में चर्चित हों रहें है। राइट टू हेल्थ क़ानूनपारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। हालाँकि इस क़ानून के बाद प्रदेश में डाक्टरों ने ज़बर्दस्तहड़ताल कर और सड़कों पर उतर कर मुख्यमंत्री और अधिकारियों की पेशानी पर परेशानी ला दी थी लेकिनदोनों पक्षों में सुलह होने से और हड़ताल समाप्त होने से राज्य सरकार ने राहत की साँस ली है। डाक्टरों कीहड़ताल में अनेक परेशानियों के बावजूद प्रदेश की जनता ने हड़ताल का समर्थन नही किया और कई दौर कीवार्ता के बाद यह गतिरोध टूटा है।उम्मीद है अब प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएँ पूर्व की भाँति पटरी पर आयेंगी।

इसके पूर्व गहलोत ने प्रदेश में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना लाकर अपार लोकप्रियता हासिल की औरइस योजना के तहत इस बार के बजट में स्वास्थ्य बीमा की राशि को दस लाख से बढ़ा कर 25 लाख रु करनेकी घोषणा कर गहलोत एक बार फिर से देश भर में चर्चित हुए है।

गहलोत ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने विभिन्न कार्यकालों में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन व्यापन करने वालेअंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति से लेकर आम व्यक्ति, वृद्धजनों, महिलाओं, बच्चों और पत्रकारों के सेहत की चिंताकी है। गहलोत ने गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों विशेष कर किडनी (गुर्दा), लीवर और घुटने का प्रत्यारोपण, ओपन हार्ट सर्जरी, विभिन्न प्रकार के कैंसर आदि के उपचार के लिए हमेशा सरकारी खजाना खोल कर रखा है।गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में सरकारी और निजी सभी अस्पतालों में गम्भीर बीमारियों से पीड़ित लोगोंके उपचार ऑपरेशन आदि का पूरा पैसा सरकारी ख़ज़ाने से दिलवाने के साथ ही मुख्यमंत्री निःशुल्क दवायोजना के तहत सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाइयों की शुरुआत करवा देश भर में वाहवाही लूटी थी।उनकी यह योजना देश- प्रदेश में काफी लोकप्रिय हुई थी।

इस बार एक कदम और आगे बढ़ाते हुए गहलोत, राज्य में स्वास्थ का अधिकार और मुख्यमंत्री चिरंजीवीस्वास्थ्य बीमा योजना लेकर आए है जिसमें प्रदेश के सभी नागरिकों को सरकारी और निजी सभी अस्पतालों मेंकेश लेस ईलाज और प्रति वर्ष पच्चीस लाख रु तक का बीमा कवर की सुविधा मिलेगी। विशेष कर निर्धन वर्गके लोगों के लिए बिल्कुल मुफ़्त और मध्यम एवं उच्य वर्ग के लिए मात्र 850 रु. मात्र के मामूली प्रीमियम शुल्कमें यह सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अपनी बजट घोषणा में गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्यबीमा योजना में अब राज्य के प्रत्येक परिवार को पच्चीस लाख रु का कैशलेस बीमा दिया जाएगा। इसमेंआर्थिक रूप से ग़रीबों को बिना किसी प्रीमियम के यह बीमा मिलेगा जबकि अन्य सभी परिवारों को योजना कालाभ लेने के लिए 850 रुपये का वार्षिक प्रीमियम देना होगा।

इस महत्वाकांक्षी योजना से जुड़ने के लिए आसान रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया है । आयुष्मान भारत महात्मा गाँधीराजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में लाभान्वित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सामाजिक आर्थिकजनगणना-2011 के लाभार्थियों को रजिस्ट्रेशन की जरुरत नहीं हैं। लाभार्थी के पास जन आधार कार्ड या नम्बरहोना ज़रूरी है।

किसी भी बीमा योजना से जुड़ने के लिए अमूमन उम्र सीमा भी कहीं न कहीं मायने रखती है लेकिन चिरंजीवीयोजना पूरे परिवार के लिए है। योजना में परिवार के सदस्यों की संख्या की पाबंदी नहीं है। उम्र की भी सीमानहीं होगी। हाल ही जन्में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी योजना के लाभार्थी होंगे। योजना में जुड़ने से पहले यदिकोई बीमारी से ग्रसित है, तो भी वह इस योजना का लाभ ले सकेगा।

राज्य के एक प्रतिनिधि ने बताया कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत आर्थिक रूप से कमज़ोरवर्ग के लोग ही स्वास्थ्य चिकित्सा का लाभ उठा सकते हैं। वहीं, राजस्थान सरकार की चिरंजीवी योजना मेंराज्य के सभी परिवार और सभी आयवर्ग को शामिल किया गया हैं। हालांकि भारत सरकार ने भी असामान्यबीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति को मंजूरी दी है, जिससे दुर्लभ बीमारियों के इलाज की लागत कम हुई हैं।राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के अंतर्गत ऐसी बीमारियों के इलाज के लिए 20 लाख रु. तक की वित्तीयसहायता का प्रावधान भी किया गया है। इस नीति के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता का लाभ केवलबीपीएल परिवारों तक ही सीमित नहीं रखा गया है,बल्कि इसका दायरा भी बढ़ा कर व्यापक किया गया है। यहलाभ करीब उन चालीस प्रतिशत आबादी तक भी पहुंचाया जाएगा, जो प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पात्रनहीं है।

हालांकि राजस्थान में लागू की जा रही चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना को लेकर प्रतिपक्ष की ओर से कतिपयटिप्पणियां की जा रहीं है लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि गहलोत सरकार की मंशा जन स्वास्थ्यके प्रति किसी भी प्रकार की भी कौताही नहीं बरतने की है। हां, केंद्र और राज्य सरकार की इन योजनाओं काक्रियान्वयन कैसे होगा? इसकी सफलता और असफलता उस पर ही निर्भर करेंगी। सरकारों को इन योजनाओंका अमल कराने पर सरकारी मशीनरी के साथ सख्ती से पेश आना होगा अन्यथा जनहित की यें योजनाएं भीअन्य अच्छी योजनाओं की तरह असफलता की भेंट चढ़ जाएगी।

गहलोत सरकार ने नई पहल चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के लिए कुछ प्रतिपक्ष के नेताओं ने भी वक्तव्य जारीकर योजना की प्रशंसा की हैं। साथ ही प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लख-लख बधाई देतेहुए आशीर्वाद दे रहीं है कि गहलोत जी आप चिरंजीवी भव:..

“राइट टू हेल्थ “ के साथ ही राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेन्शन योजना (ओपीएस) शहरी मनरेगा और पाँचसौ रु में गैस सिलेण्डर आदि योजनाओं के कारण भी पूरे देश में गहलोत के नाम की गूँज है और उनके विरोधीभी इन सभी योजनाओं के लिए मुक्त कंठ से उनकी तारीफ कर रहें हैं।