दीपक कुमार त्यागी
- “उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद का लाल लोगों के अनमोल जीवन को बचाने के लिए कर रहा है देश के चिकित्सा क्षेत्र में नित-नए कमाल”
- “भयावह कोरोना काल में जब दुनिया में लोग अपनी जान बचाने की खातिर घरों में बंद होकर बैठे थे उस वक्त ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ अपनी व परिजनों के जीवन की चिंता छोड़ देश के जांबाज योद्धा के रूप में इस भयावह महामारी से लड़ते हुए लोगों की अनमोल जान बचाने के लिए कार्य कर रहे थे”
- “‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ ने भारत में कोविड-19 की वैक्सीन के विकास में प्रधान अन्वेषक के रूप बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य किया है”
नई दिल्ली। चिकित्सा के क्षेत्र में अपने सेवा भाव और योग्यता के दम पर ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ देश व दुनिया की एक सम्मानित व चर्चित शख्सियत हैं। वह सेवा भाव के साथ ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के सिद्धांत पर अमल करते हुए आम व खास सभी वर्ग के लोगों को बेहतर इलाज कैसे मिले इसके लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। आज जब देश व पूरी दुनिया में सेवा की जगह चिकित्सा एक जबरदस्त लाभकारी व्यवसाय बन गया है, उस बेहद व्यवसायिक दौर में भी ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ अपने सिद्धांतों पर अड़िग रहकर भारत जैसे गरीब मुल्क में कैसे आम जनमानस को सस्ती व उच्च गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा मिले इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए दिन रात एक करके निरंतर धरातल पर कार्य कर रहे हैं। फिलहाल ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ देश व दुनिया के बेहद प्रतिष्ठित चिकित्सालय ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली’ यानी की एम्स (AIIMS) दिल्ली में वरिष्ठ महामारी रोग विशेषज्ञ के तौर पर अपनी सेवाएं आम जनमानस को दे रहे हैं। प्रोफेसर राय स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक उत्कृष्ट कार्य करने वाली विश्व की प्रसिद्ध संस्था ‘इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन’ (IPHA) के मौजूदा अध्यक्ष के दायित्व का भी निर्वहन कर रहे हैं। वह विश्व की प्रतिष्ठित ‘डब्ल्यूएचओ-साउथ ईस्ट एशिया जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के संपादक का दायित्व भी निभा रहे हैं।
उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि व शिक्षा की बात करें तो ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ का जन्म 22 अप्रैल 1964 को बलिया जनपद के सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के लीलकर गांव के बेहद सम्मानित व प्रतिष्ठित परिवार ‘बब्बन राय जी’ के यहां हुआ था, जो कि ब्लाक प्रमुख भी रहे थे। इनके पिता चंद्र भूषण राय ख्यातिप्राप्त इंजीनियर रहे हैं, इनकी स्वर्गीय माता सुशीला राय एक बेहद कुशल गृहणी थी। डॉक्टर राय के तीन भाई बहन हैं, इनके एक बड़ा भाई व छोटी बहन हैं, उनकी शादी ‘मितुल राय’ से हुई जो कि कुशल गृहणी के रूप मेंं पूरे परिवार की जिम्मेदारी निभाने का कार्य करती हैं। गांव की पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़े होने के चलते ही ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय राय’ ने सिकन्दरपुर के ‘गांधी इंटर कालेज’ से इंटर तक की शिक्षा प्राप्त की थी और सीपीएमटी की परीक्षा उच्च रैंक के साथ उत्तीर्ण करके उन्होंने कानपुर के प्रतिष्ठित ‘गणेश शंकर मेमोरियल मेडिकल कालेज’ से ‘एमबीबीएस’ की शिक्षा प्राप्त की थी। ‘डॉक्टर संजय कुमार राय’ ने कानपुर से एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण करने के बाद चिकित्सा क्षेत्र में उच्च शिक्षा हासिल करने के उद्देश्य से बनारस के विश्व प्रसिद्ध ‘चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), से सामुदायिक चिकित्सा में एमडी की शिक्षा पूरी करके चिकित्सा क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने का कार्य किया। जिसके पश्चात उन्होंने नई दिल्ली स्थित ‘मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज’ में एक चिकित्सक के रूप में कार्य करना शुरू किया। उसके बाद वह कुछ समय के लिए ‘गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, चंडीगढ़ में भी कार्यरत रहे। वर्ष 2003 में ‘डॉक्टर संजय कुमार राय’ की पेशेवर जिंदगी में महत्वपूर्ण मोड़ आया और उनकी नियुक्ति देश के प्रतिष्ठित चिकित्सालय ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली’ (एम्स) में हो गयी। जहां उन्होंने रात-दिन एक करते हुए अपनी पूरी निष्ठा लगन मेहनत ईमानदारी सेवाभाव के दम पर एम्स के साथ-साथ देश दुनिया में मान-सम्मान-ख्याति प्राप्त करने का कार्य किया। आज के समय में वह अपनी मेहनत व लगन के दम पर एम्स में प्रोफेसर होने के साथ साथ ही ‘इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA) के अध्यक्ष की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका का भी सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे है और वह ‘राष्ट्रीय चिकित्सा संगठन’ (NMO) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
‘डॉक्टर संजय कुमार राय’ केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व नाको के कई बेहद महत्वपूर्ण तकनीकी संसाधन समूहों के सदस्य भी हैं। ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ भारत में ‘एचआईवी सेंटिनल निगरानी’ की निगरानी और समर्थन के लिए एम्स, नई दिल्ली में एनएसीओ नामित हैं और वह राष्ट्रीय एचआईवी निगरानी संस्थान के लिए भी अधिकृत व्यक्ति हैं। वह भारत सरकार, ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आईसीएमआर) और ‘इंटरनेशनल क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी नेटवर्क’
(आईएनसीएलईएन) द्वारा गठित कई तकनीकी व विशेषज्ञ समूहों के सदस्य हैं। उन्होंने समय-समय पर कई राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों जैसे कि विभिन्न गंभीर बीमारियों के टीकाकरण, संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, कोविड़-19 महामारी आदि को नियंत्रित करने में अपना बेहद अनमोल योगदान देकर लोगों के अनमोल जीवन को बचाते हुए स्वस्थ्य रखने का कार्य किया है। वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सरकार के लिए एचआईवी / एड्स परामर्श और यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) पर राष्ट्रीय प्रशिक्षक हैं। वह “नवजात और बाल रोगों के एकीकृत प्रबंधन (IMNCI)” के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षक भी हैं।
‘डॉक्टर राय’ भारत में मानव इन्फ्लूएंजा रोग के शोध में शामिल थे और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, अटलांटा और अलबामा विश्वविद्यालय, यूएसए के सहयोग से सबसे बड़े इन्फ्लूएंजा वैक्सीन प्रभावशीलता परीक्षण अध्ययन करने वाली शख्सियतों में से एक हैं।
‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ को 175 से अधिक बेहद महत्वपूर्ण प्रकाशनों का श्रेय प्राप्त है और वह कई प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के नियमित समीक्षक हैं। वह 40 से अधिक शोध परियोजनाओं में शामिल रहे हैं। उनको 20 से अधिक देशों में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है जिसके लिए उन्हें समय-समय पर विभिन्न यात्रा अनुदान प्राप्त हुए हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में ‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ आज देश व दुनिया में किसी पहचान के मोहताज नहीं है, उत्तर प्रदेश के साधन सुविधा विहीन दूरदराज इलाके में स्थित बलिया जनपद की बेहद ही कठिन परिस्थितियों से निकलकर के ‘डॉक्टर संजय कुमार राय’ ने देश व दुनिया के चिकित्सा क्षेत्र में अपनी योग्यता व मेहनत के दम पर अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाकर के अपने परिवार के साथ-साथ ही बलिया जनपद, उत्तर प्रदेश व देश का नाम दुनिया भर में रोशन करने का कार्य किया है। उन्होंने देश व दुनिया को दिखा दिया कि अगर व्यक्ति के मन में मेहनत करने का दृढ़ संकल्प व इच्छाशक्ति हो तो व्यक्ति विपरीत से भी विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेता है। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह बेहद ही मिलनसार व सरल इंसान हैं, वह निरंतर प्रयास करते हैं कि इंसान व इंसानियत की रक्षा के लिए हर संभव कार्य करते रहे, वह एक बेहद जनप्रिय समाजसेवी डॉक्टर के रूप में आम जनमानस के बीच बहुत ही लोकप्रिय हैं, देश के बेहद दूरदराज के इलाकों से दिल्ली में इलाज व बीमारी के निदान की उचित सलाह मिलने की उम्मीद लेकर आये लोग अक्सर उनके कार्यालय में इंतजार करते हुए मिलते हैं, वह कभी भी किसी को भी निराश नहीं करते हैं और अपनी तरफ से हर संभव मदद करने का प्रयास करते हैं।
‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ को ‘इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन’ के ‘डॉ जेई पार्क मेमोरियल ओरेशन’ सहित कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हैं, उन्हें IPHA की “फेलोशिप” से भी सम्मानित किया गया है।
हालांकि देखा जाए तो उनकी विशेष रुचि में विभिन्न बीमारियों के टीकाकरण, कोविड़-19, स्वास्थ्य प्रणाली कैसे बेहतर हो, क्षय रोग, इन्फ्लुएंजा, संचारी रोग आदि शामिल हैं। ‘डॉक्टर राय’ एम्स के पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क प्रोजेक्ट के लिए सीएमई कार्यक्रम” के लिए संकाय सदस्य भी रह चुके है़, जो कि भारत के तत्कालीन माननीय राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 2009 में शुरू की गई 35 अफ्रीकी देशों में प्रसारित एक स्वास्थ्य क्षेत्र की बेहद महत्वपूर्ण परियोजना थी।
‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ ने जिस वक्त देश में घातक कोविड-19 महामारी ने अपने पैर पसारे थे, चिकित्सा क्षेत्र के लिए उस बेहद कठिन दौर के दौरान उन्होंने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को बढ़ावा देते हुए, कोविड़-19 को खिलाफ जंग में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य किया है।
उन्होंने भयावह कोविड़ -19 महामारी के काल में उन्होंने ‘इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन’ के अध्यक्ष के रूप में देश के विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य संघों जैसे कि ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव ऑफ सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम), इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट (आईएई) से संबंधित प्रतिष्ठित सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ एक संयुक्त कोविड-19 टास्कफोर्स की स्थापना करने का साहसिक कार्य किया। आईपीएचए के इस संयुक्त कार्यबल का मुख्य उद्देश्य भारत में कोविड-19 की रोकथाम के संदर्भ में भारत सरकार को सलाह देने है। उन्होंने कोविड-19 के संदर्भ में प्रधान मंत्री सहित लगातार चार बयान तैयार किए गए और सरकार को भेजे गए। उनके द्वारा किये गया कार्य भारत में कोविड-19 को रोकने के लिए महामारी विज्ञान, नियंत्रण उपायों, टीकों के उपयोग आदि के बारे में जागरूकता पैदा करने में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुए थे। कोरोना महामारी के भयावह काल में ‘डॉक्टर राय’ ने प्रधान मंत्री के साथ बातचीत के दौरान महामारी के संदर्भ में महत्वपूर्ण इनपुट भी प्रदान करने का कार्य किया था। कोविड़-19 काल में ‘डॉक्टर राय’ ने इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट व सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनमानस के बीच महामारी के बारे में जागरूकता पैदा करने का कार्य निरंतर किया, आपदा काल में उन्होंने देश के आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों लोगों का मनोबल बढ़ाने का कार्य बेखौफ होकर किया, जिसके चलते ही वह चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े शख्स के नाते वह विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्मों में सबसे अधिक पहचाने जाने वाले महत्वपूर्ण चेहरों में से एक है। उन्होंने भारत में कोविड-19 के खिलाफ टीके के विकास में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एम्स, नई दिल्ली में वैक्सीन सुरक्षा (चरण 1 और 2), और प्रभावशीलता (चरण 3) परीक्षण के प्रधान अन्वेषक के रूप में उनके योगदान ने कोवैक्सीन (COVAXIN) को समय पर जारी करने में मदद की।
‘प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार राय’ की यही कार्यशैली उनके व्यक्तित्व को बेहद खास बनाती है, वैसे भी देखा जाए तो उनका व्यक्तित्व आज के युवाओं के लिए बेहद प्रेरणास्रोत है, युवाओं के साथ-साथ डॉक्टरों व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति को उनकी कार्यशैली व सेवाभाव से सीखना चाहिए। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में पढ़ रहे देश के दूरदराज के ग्रामीण अंचल के छात्रों को जीवन का सकारात्मक संदेश देने कार्य किया है, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को दिखा दिया है कि अगर व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़संकल्पित है तो वह विकट से विकट परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करके लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।