रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली : राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के हालिया अनशन प्रकरण से राजस्थान औरकांग्रेस की राजनीति में आए ज़बर्दस्त उबाल को शान्त करने और सम्मान जनक हल निकालने के लिए कांग्रेसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी के निर्देश पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रीकमल नाथ को संकट मोचक की भूमिका में उतारा गया है। बताते है कि इस मामले में कांग्रेस की राष्ट्रीयमहामंत्री प्रियंका गाँधी वाड्रा सबसे पहलें सक्रिय हुई थी।
हमने गुरुवार को इस स्तम्भ में इस बात का संकेत दिया था कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत औरसचिन पायलट के बीच मतभेदों को सुलझाने और मध्यस्थता के लिए किसी बड़े नेता की एंट्री हों रही है औरकमलनाथ को इस जटिल मामले में मध्यस्थता के लिए सक्रिय किया जा रहा है। कमलनाथ ने 2019 में भीपार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ दोनों नेताओं के मतभेदों को दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी।
वरिष्ठ नेता कमलनाथ को आगे करने के बाद कांग्रेस हाई कमान द्वारा राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंहरंधावा को फ़िलहाल अपने चीते की चाल को थामने का इशारा किया गया है। रंधावा द्वारा शुक्रवार को दिएबयान भी इस बात की पुष्टि करते हैं।
सूत्रों ने बताया कि राहुल गाँधी और खड़गे ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल से कहा कि पायलटप्रकरण में किसी फैसले पर पहुंचने से पहले वे सचिन पायलट से मिलें और उनका पक्ष भी सुनें।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी के कहने पर इस मामले मेंकमलनाथ ने पिछलें दो दिनों के सचिन पायलट सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात की है।अगले कुछ दिनों मेंमुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी नई दिल्ली बुलाया जा सकता है।
राहुल गाँधी का मानना है कि कर्नाटका के विधान सभा चुनावों के मध्य आए इस संकट का स्थाई हल जरुरी है। कर्नाटका पार्टी अध्यक्ष खड़गे का गृह प्रदेश है। कर्नाटका के बाद राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीस गढ़ में भीइस वर्ष के अन्त तक चुनाव होने हैं और उसके बाद लोकसभा आम चुनावों का बिगुल बजेगा। इस मध्य पार्टीको मोदी सरकार के विरुद्ध सभी विरोधी दलों को एक मंच में लाने का अहम कार्य भी करना है । राहुल गाँधीअशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों को पार्टी का ऐसेट कह चुके है। वे आगामी चुनावों में दोनों कीभूमिका को महत्वपूर्ण मानते है ।ऐसे में इस मामले का जितना जल्दी सुलटारा हो सके उतना ही पार्टी के हित मेंहोगा ताकि कांग्रेस को इस प्रकरण से और अधिक नुक़सान नहीं हों सकें।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल गाँधी द्वारा दी गई जिम्मेदारी को देखते हुए कमलनाथ ने गुरुवार को ही अपनाकाम शुरू कर दिया और पायलट और संगठन के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। सूत्रों केअनुसार उन्होंने हरियाणा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी मुलाकात की है ।
बताते है कि पायलट ने वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कथित मामलों मेंकार्रवाई की मांग को पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि पार्टी ने 2018 केचुनावों में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर किया थाऔर सरकार को कार्रवाई की जानी चाहिए।
लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत की देश भर में चर्चित जन कल्याणकारी योजनाओं का डंका बजने सेकांग्रेस पार्टी के पक्ष में बन रहें वातावरण के मध्य हाई कमान की हिदायत के बाद भी सचिन पायलट के अनशनपर बैठने से पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेता नाराज़ हुए और सचिन के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही कीमाँग ने जोर पकड़ा था।रंधावा ने तों यहाँ तक कह दिया कि राजस्थान को पंजाब नही बनने दिया जाएगा।
राजस्थान के इस विवाद को सुलझाने के लिए हाई कमान के निर्देश पर पिछलें दो दिनों में कांग्रेस नेताओं कीकई मेराथन बैठकें हुईं है । वेणुगोपाल और पार्टी के राजस्थान में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भीपार्टी अध्यक्ष खड़गे और राहुल गाँधी से अलग-अलग मुलाकाते की और उसके बाद रंधावा के मीडिया में तीखेबयान भी सामने आए थे।
खड़गे और राहुल के निर्देशों के बाद संगठन महामन्त्री वेणुगोपाल ने पार्टी के वरिष्ठ नेता कमल नाथ सेमुलाकात कर उन्हें मामले में हस्तक्षेप करने का सन्देश दिया। इसके बाद कमलनाथ के आवास पर वेणुगोपालऔर सचिन पायलट की बैठक हुई । हुड्डा से मिलने से पहले कमलनाथ ने वेणुगोपाल और रंधावा से भी अलग-अलग मुलाकात की।
इसके पहलें कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अनशन से जुड़ेप्रकरण को लेकर बुधवार कोपार्टी मुखिया खड़गे के साथ बैठक की थी। उन्होंने गुरुवार को भी पार्टी नेतृत्व केसाथ बैठक की ।साथ ही रंधावा ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी से भी इस विषय पर चर्चा की। उन्होंने वहगुरुवार को दो बार खड़गे से मिले। सूत्रों का कहना है कि पायलट से जुड़े प्रकरण पर आगे भी मंत्रणा जारी रहसकती है। रंधावा ने बुधवार को कहा था कि पायलट ने मुद्दा सही उठाया है, लेकिन उनका तरीका गलत था।उन्होंने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस से जुड़े पहले के कई घटनाक्रमों के संदर्भ में यह भी कहा था कि पहले कई बारकार्रवाई होनी चाहिए थी जो नहीं हुई, लेकिन अब अनुशासनहीनता को लेकर कार्रवाई होगी। उल्लेखनीय है किसचिन पायलट ने राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार केमामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार को जयपुर में एक दिन का अनशन किया था।
राजस्थान कांग्रेस में उठे इस राजनीतिक तूफ़ान को शान्त करने वरिष्ठ नेता कमलनाथ राष्ट्रीय राजधानीदिल्ली में संकटमोचन की भूमिका में नजर आ रहे हैं।हालांकि अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है।राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गहलोत-पायलट ग्रुपों की पुरानी अदावत को देखते हुए इसका आसानीसे हल निकलना इतना आसान नही है।इस बार सचिन पायलट आर पार की लड़ाई के मूड में दिखाई दे रहें हैजबकि अशोक गहलोत धीर-गंभीर और मर्यादित आचरण कर रहें हैं। गहलोत ने संकट की हर घड़ी में कांग्रेसऔर गाँधी परिवार के साथ चट्टान की तरह खड़े रह कर पार्टी में अपना कद बहुत ऊँचा कर दिया हैं।
ऐसे में राजधानी के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मध्य प्रदेश में अपनी ही सरकार को बचाने में असफ़लरहें और मतभेदों के चलते ज्योतियादित्य सिन्धिया जैसे युवा साथी को भाजपा में जाने से नहीं रोक पायेंकमलनाथ क्या सचिन प्रकरण में कांग्रेस के संकट मोचक बन पायेंगे?