संदीप ठाकुर
कर्नाटक में अगले महीने 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा
ने 58 नए चेहरे पर दांव लगाया है। इस कारण कई दिग्गज नेताओं के टिकट काट
दिए गए हैं या फिर उन्हें घर बैठने काे कह दिया गया है। येदियुरप्पा,
ईश्वरप्पा और शेट्टार ये तीनों भाजपा के स्तंभ हैं। लेकिन इन तीनों काे
भी टिकट नहीं दिया गया है। आखिर दिग्गजों के टिकट क्याें काट दिए गए ? यह
गणित किसी के समझ नहीं आ रहा है। बाहर से अधिक आलाकमान के इस फैसले काे
इसे लेकर पार्टी के अंदर चर्चा है।
पार्टी के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार। उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
तर्क और तकनीक की कसौटी पर कसे ताे यह बात किसी काे हजम नहीं हाे रही।
उनकी न तो उम्र 75 साल हुई है और न उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप लगा
है। फिर भी पार्टी की ओर से उनको कह दिया गया कि वे चुनाव न लड़ें। आमतौर
पर ऐसा नहीं होता है। बीएस येदियुरप्पा का चुनावी राजनीति से संन्यास
लेना समझ में आता है कि उनकी उम्र 80 साल के करीब हो गई है। केएस
ईश्वरप्पा को भी टिकट नहीं देने का कारण समझ में आता है कि उनकी उम्र 74
साल है और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसकी वजह से उनको मंत्री
पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन शेट्टार की उम्र अभी 67 साल है और वे
हर तरह से सक्रिय व सक्षम नेता हैं। शेट्टार कर्नाटक में सभी महत्वपूर्ण
पदों पर रहे हैं। वे मुख्यमंत्री रहे हैं, वे स्पीकर रहे हैं और नेता
विपक्ष रहे हैं। हुबली-धारवाड़ मध्य की जिस सीट से वे विधायक हैं वहां
उनकी बड़ी लोकप्रियता है। वे लिंगायत समुदाय से आते हैं, जो भाजपा का कोर
वोटर है। इसके बावजूद भाजपा ने उनकी टिकट काट दी। क्या पार्टी के
केंद्रीय नेतृत्व ने येदियुरप्पा सहित उनके बाद के सभी पुराने नेताओं को
एक झटके में घर बैठा देने की राजनीति की है ताकि अपने हिसाब से राज्य की
राजनीति का संचालन किया जाए? जानकारों का मानना है कि भाजपा काे यह दांव
कहीं उल्टा न पड़ जाए।
भाजपा 30 से 35 सीटों पर बगावत का सामना कर रही है। क्योंकि टिकट न मिलने
से नाराज कई नेता कांग्रेस में चले गए हैं। कुछ जाने की तैयारी कर रहे
हैं और कुछ निर्दलीय लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं। कद्दावर नेता पूर्व
मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। पूर्व उप
मुख्यमंत्रियों के एस ईश्वरप्पा और लक्ष्मण सावदी ने भी खुद काे राजनीति
से अलग कर लिया है। एन आर रमेश को टिकट न देने के बाद करीब 1,200 से
अधिक उनके समर्थकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया
है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक नेहरू ओलेकर ने भी विधानसभा चुनाव
में टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी छोड़ दी है।