राजस्थान में चुनाव से पूर्व और कितने जिंद निकलेंगे बोतल के बाहर ?

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : वैशाख माह में तपती धूप से तपते राजस्थान काराजनीतिक पारा भी दिनों दिन बहुत गर्म हों रहा है। एक से एकबढ़ कर चुनाव समीक्षाएँ और विश्लेषण सामने आने लगें है। जैसाकि हर चुनाव से पहलें राजनीतिक दलों के मध्य आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू होता है, प्रदेश में उसकी शुरुआत भी हो गई है। राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों को मुद्दा बना कर जयपुर में अपनी ही सरकार के विरोध में अनशन पर बैठने के बाद जयपुर से दिल्ली तक हुए आयें उबाल और घटनाक्रमों के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सूखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा की मौजूदगी में पार्टी के विधायकों का संभागवार फ़ीड बेक का तीन दिवसीय कार्यक्रम भी गुरुवार को सम्पन्न हो गया और उसके मध्य बुधवार को एक वर्कशाप भी आयोजित की गई जिसमें वर्तमान और पूर्व सभी विधायकों और सांसदों के अलावा पार्टी संगठन के प्रमुख लोगों को आमन्त्रित किया गया। पायलट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों पर मुख्यमंत्री गहलोत ने खुलासा किया कि इस बारे में बहुत पहलें ही कार्यवाही अमल में लाई जा चुकी है।

प्रभारी सूखजिंदर सिंह रंधावा पहलें दिन से ही यह बोल रहें है किजो पार्टी के विरुद्ध काम करेगा उसका पहला विरोधी मैं स्वयं हूँ।वे यह दावा भी कर रहे है कि पार्टी हाई कमान के निर्देश पर ही वेप्रदेश में इतनी कसरत कर रहें है और इस बार कोई ढोस औरसार्थक परिणाम निकाल कर ही रहेंगे।

इधर सचिन पायलट न तों फ़ीड बेक देने जयपुर आए और नहीं वर्कशॉप में ही भाग लिया जबकि मुख्य मंच पर उनकी नेम प्लेट लगी हुई थी।इस मध्य सचिन ने जयपुर और झुंझुनू जिले केविभिन्न स्थानों पर अपना अलग से शक्ति प्रदर्शन किया।

सचिन समर्थित विधायक फ़ीड बेक के दौरान भी अपने मिज़ाज का परिचय देने से नहीं चुके। इस दौरान गहलोत सरकार के मंत्रीप्रताप सिंह खाचरियावास और पूर्व मन्त्री डॉ रघु शर्मा ने पायलटके मुद्दे का समर्थन कर सभी को चौंकाया।

इस मध्य कर्नाटका चुनाव के लिए एआईसीसी द्वारा स्टार प्रचारकों की सूची में सचिन पायलट का नाम नही होने से क़यासों के बाज़ार गर्म हो गए लेकिन अगले ही दिन जालंधर उप चुनाव के स्टार प्रचारक की सूची में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सचिन पायलट का नाम भी होने से मामला कुछ शांत हुआ। उधर बीजेपी ने विशेष कर केंद्रीय जल शक्ति मन्त्री गजेन्द्र सिंहशेखावत ने विधायकों के फ़ीड बेक फ़ॉर्म में ईआरसीपी को मुद्दा बनाने के पोईंट को लेकर सवाल उठायें कि गहलोत सरकार की नियत में खोट है।शेखावत संजीवनी मामले में उनको गिरफ़्तार नही करने के सम्बन्ध में हाई कोर्ट से आए निर्णय पर भी बहुत मुखर हुए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी ने अपनी जनआक्रोश रेलियों और जन सम्पर्क अभियान को अनवरत जारी रखा हुआ है। उन्होंने इस मध्य मुख्यमंत्री के गृह नगर जौधपुर का दौरा भी किया।

इस मध्य केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और आरएलपी के संस्थापक सांसद हनुमान बेनीवाल ने सचिन पायलट को अपनी-अपनी पार्टियों में शामिल होने का खुला न्योता दे दिया ।राजनीतिक विश्लेषक यह कयास लगाने लगे है कि पायलट अब किसी वक्त कांग्रेस के अन्य युवा नेताओं की तरह पाला बदल सकते है।यह भी कहा जाने लगा कि अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे को मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर करने के लिए यह राजनीतिक मिलीभगत की साज़िश है।यह कयास भी लग रहें हैकि हनुमान बेनीवाल, अरविन्द केजरीवाल की पार्टी आप,भाजपा के डॉ किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस से सचिन पायलट बीटीपी तथा बीएसपी आदि पार्टियों के साथ मिल कर प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास कर के जाट-गुर्जर-मीणा – आदिवासियों-एससी-मुस्लिम और अन्य जातियों का एक मज़बूत गठबन्धन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे है।हालाँकि अब तक के इतिहास के अनुसार राजस्थान में तीसरा मोर्चा कभी सफल नही रहा हैं।

इधर जयपुर में एक होटल के निर्माण और उससे जुड़ी ज़मीन परराम प्रसाद मीणा को मकान नही बनाने देने का आरोप लगाते हुए मीणा द्वारा आत्महत्या करने से पूर्व इसकी वीड़ियों रिकॉर्डिंग कर गहलोत सरकार के मंत्री डॉ महेश जोशी और अन्य लोगों परगम्भीर आरोप लगाने तथा मृतक मीणा के शव के साथ भाजपा के वरिष्ठ अब तक नेता सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा के पिछलें कुछ दिनों से धरने पर बैठ जाने ने और धरना स्थल पर सचिन पायलट तथा कांग्रेस विधायक पूर्व डीजीपी हरीश मीणा के भी पहुँचने से प्रदेश का राजनीतिक माहौल और अधिक गर्मा गया है।

इसी प्रकार आरपीएससी के एक आदिवासी इलाक़े से आने वाले सदस्य बाबू लाल कटारा और उनके साथियों को एसओजी द्वारा पेपर लीक मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार करने से भी प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया है ।जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में अर्से बाद गहलोत के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट एसोसीशियन के अध्यक्ष वैभव गहलोत के प्रयासों से हुए आईपीएल क्रिकेट मैच से पहलें गहलोत सरकार के खेल मंत्री अशोक चान्दना द्वारा किया गया हंगामा से भी सभी अचरज में है।मुख्यमंत्री के बीच बचाव से मामला शान्त हुआ।

प्रदेश में नित नए इन धमाकों से लग रहा है कि आने वाले कुछमहिनें प्रदेश का राजनीतिक वातावरण और अधिक गर्मागर्म होनेवाला हैं।अब आगे यह देखना होगा कि राजस्थान में चुनाव से पूर्वऔर कितने नए नए जिंद बोतल के बाहर निकलेंगे और उनकाचुनाव परिणामों पर क्या असर होंगा?