शिशिर शुक्ला
शाम ढलने को थी। चुन्नीलाल बड़ी गंभीर मुद्रा में खड़े होकर अपने खेतों की ओर देखते हुए मन ही मन कुछ विचार कर रहे थे। वैसे तो चुन्नीलाल पड़ोस के शहर के एक स्कूल में क्लर्क थे लेकिन गांव में पैतृक जमीन व खेतपात होने के कारण वे गांव से ही प्रतिदिन आया जाया करते थे। हालांकि गांव में कोई समस्या नहीं थी और ज्यादातर मामलों में वह शहर से बेहतर ही था, लेकिन आखिरकार संगत का असर भी तो कुछ होता है.. एक रोज चुन्नी स्कूल में साथियों के साथ गपशप करने में मस्त थे कि अचानक किसी ने घर, मकान और प्रॉपर्टी की चर्चा छेड़ दी। एक साथी ने कहा कि, “मैंने तो बगल वाली कॉलोनी में पचास लाख का मकान बुक करा लिया है। आखिर कुछ स्टेटस भी तो होना चाहिए लाइफ में…”। बाकी लोगों ने भी उसके समर्थन में हामी भरी। बेचारे चुन्नी मन ही मन हीनभावना की गिरफ्त में आ गए। भला ऐसा हो भी क्यों ना, चुन्नी के पास जमीन भले ही ठीक-ठाक थी लेकिन रहते तो वे आखिर गांव में ही थे, और वो भी पुराने से टूटे फूटे घर में। अब दिन-रात चुन्नीलाल के दिमाग में एक ही कीड़ा रेंगता था, और वो था -अपना स्टेटस मेंटेन करने का। समस्या यह थी कि स्टेटस बनाने का पहला स्टेप था- शहर में फ्लैट कहने लायक आवास खरीदना और यह कदम बगैर पचास-साठ लाख से हाथ धोए केवल एक सपना देखने की तरह था। बेचारे चुन्नी!!! दिन में उनको साथियों की स्टेटस मेंटेनेंस पर होने वाली चर्चा नहीं जीने देती और शाम को घर आकर उसके बारे में सोच सोचकर वो खुद अपना जीना हराम कर लेते। आखिरकार चुन्नी ने इस समस्या को जड़ से खत्म करने का फैसला करते हुए पुरखों की खेतीबाड़ी को अपने स्टेटस पर कुर्बान करने का निर्णय ले लिया। धीरे-धीरे वक्त बीता और वह दिन आ गया जब चुन्नी अपने स्टेटस सिंबल अर्थात शहर की मशहूर नम्बर वन कॉलोनी में अपने नवसदन में प्रवेश कर गए। कुछ दिन तक तो उन्हें अपने गांव और खेतों की याद परेशान करती रही लेकिन जल्द ही स्टेटस के नशे में चुन्नी सब कुछ भूल गए।
चंद दिनों के बाद ही चुन्नी का स्टेटस एकदम बदल चुका था। जहां गांव के घर के बाहर कोई पहचान चिन्ह नहीं था, वहीं यहां एक सुंदर सुसज्जित नेम प्लेट लगी थी जिस पर लिखा था- सी. लाल, हेड क्लर्क। गांव के गंदे संदे गाय,बछड़ों की जगह एक विदेशी ब्रांड डॉगी चुन्नी के बेडरूम को सुशोभित कर रहा था। नीम, तुलसी और पीपल के पुराने पेड़ों की जगह आकर्षक गमले में लगे कुछ असली व कुछ नकली तथाकथित खूबसूरत पौधे चुन्नी के स्टेटस का उत्थान कर रहे थे। चुन्नीलाल अब राख लगी चूल्हे की मोटी रोटी छोड़कर शान से एलपीजी गैस के माध्यम से सिकी महीन रोटी का सेवन कर रहे थे और गाय के दूध की जगह अमूल और पराग ब्रांड हाई स्टेटस दूध का स्वाद चख रहे थे। खेतों से प्राप्त गेहूं और धान जिसमें चुन्नी को तमाम मेहनत करनी पड़ती थी, अब उसकी जगह चुन्नी पैकेट बंद हाई स्टेटस फ्लोर और राइस का सेवन करने लगे थे। सुबह-शाम की खुली हवा का स्थान अब एयर कंडीशनर की हाई-फाई कूल एयर ने ले लिया था। दरवाजे पर दिनभर आवाज लगाने का काम अब डोरबेल करने लगी थी। नीम की दातून करके गँवारूपन का परिचय देने वाली चुन्नी अब एक महंगे टूथपेस्ट और ब्रश की सहायता से दातों की सफाई करते थे। गांव के खुले मैदान में दौड़ने और दंड पेलने की जगह चुन्नीलाल हाई स्टेटस एयरकंडीशन जिम जॉइन कर चुके थे। सरकारी हैंडपंप के थर्ड क्लास जल की जगह चुन्नी डिब्बाबंद उच्चकोटि के मिनरल वाटर का सेवन करते थे। जहां शाम होते ही गांव में चुन्नीलाल केवल बनियान और गमछा लपेटकर जाहिलों की तरह यत्र तत्र घूम आते थे, अब बिना टीशर्ट और कैपरी के घर से बाहर कदम नहीं रखते थे। साइकिल की सवारी का गंवारपन अब हाईस्टेटस बाइक राइडिंग में तब्दील हो चुका था। कुल मिलाकर गांव और गँवारूपन छूट चुका था और चुन्नीलाल भी मिस्टर सी. लाल में तब्दील होकर हर तरह से अपना स्टेटस मेंटेन कर चुके थे।