सीता राम शर्मा ” चेतन “
भ्रष्टाचार मुक्त भारत ! नशामुक्त भारत ! आतंकवाद मुक्त भारत ! ये वर्तमान भारत में सर्वाधिक देखा, कहा, सुना, सोचा और पढ़ा जाने वाला स्वप्न, विचार, संकल्प और लेखन है । सबसे अच्छी बात यह है कि यह कैसे संभव होगा या हो सकता है इस पर सोचने, कहने, सुनने और लिखने पढ़ने के साथ कुछ ठोस और महत्वपूर्ण काम करने का प्रयास भी अब प्रारंभ हो चुका है । बावजूद इसके जरुरत इस बात की है कि देश की इन बड़ी और मुख्य समस्याओं पर जितना, जहां, जैसा और जिस स्तर तथा गति से सोचा या किया जा रहा है, क्या उनसे देश इन समस्याओं से सचमुच निजात पा लेगा ? यदि हाँ, तो उसकी समय सीमा क्या होगी ? जब तक इन दो सवालों के सही उत्तर और उसमें सुधार के ईमानदार और सफल प्रयास नहीं होंगे, ना सिर्फ सफलता संदिग्ध और आधी अधूरी रहेगी, उन सफलताओं के जरुरी, पूर्ण और दीर्घकालीन लाभ से भी देश वंचित रह जाएगा । गौरतलब है कि किसी भी बुराई के खात्में में किया गया अनावश्यक विलंब उसके स्वरुप और नुकसान के कई अन्य नये रूप और मार्ग प्रशस्त कर देता है ।
अब बात एक-एक करके सीधे तौर पर इन तीनों बड़ी समस्याओं पर । पिछले एक दशक के वर्तमान शासन में इन तीनों बड़ी समस्याओं की स्थिति में आए बदलाव, फैलाव और सुधार पर बात करते हुए यदि नशाखोरी की समस्या की बात करें तो यह पहले से ज्यादा विकराल और विस्तार की स्थिति में है । हालांकि देश के कुछ राज्यों में नशामुक्ति के नाम पर तंबाकु गुटखा पर प्रतिबंध लगाने और सिगरेट, शराब को लेकर जागरूकता फैलाने के कुछ प्रयास जरुर किए गए हैं, पर इस दौरान मानवीय स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक और हानिकारक नशा उत्पाद और उपयोग के रूप में ड्रग्स जैसे नशों की उपलब्धता का जिस तरह बेतहासा विस्तार हुआ और जारी है, वह अत्यंत चिंताजनक है । देश के गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों नशाखोरी की समस्या पर अत्यधिक चिंता का प्रदर्शन करते हुए 2047 तक देश को नशामुक्त करने की जो बात कही थी, वह निरंतर विकराल होती इस समस्या की वर्तमान स्थिति और उसके खिलाफ सरकारी प्रयासों को देखते हुए बेहद हास्यास्पद और चिंतनीय है । सच्चाई यह है कि पिछले कुछ वर्षों में ही देश के लाखों नये युवा बेहद खतरनाक नशों के चंगुल में फंसकर नशों की बुरी आदत का शिकार हो गए हैं और यह संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है । नशों को लेकर अध्ययन, सर्वेक्षण कर रहे तमाम लोगों और संस्थाओं के साथ नशों के शिकार मरीजों की चिकित्सा करने वाले किसी भी चिकित्सक से इस बड़ी और भयावह होती समस्या की वास्तविकता जानी समझी जा सकती है । सरकार को यह जानने समझने की जरूरत है कि इस विस्तार के मुख्य कारण क्या हैं ? सरकार बाहरी देशों से आने वाले ड्रग्स पर तो गंभीर और चौकस है पर इस सच्चाई से दूर है कि पिछले कुछ वर्षों में देश के भीतर ही इन मादक पदार्थों का उत्पादन और कारोबार बेतहाशा बढ़ गया है । बहुत संभव है कि कई बार बार्डर पर नशों की जो खेप पकड़ी जाती है, वह आयात नहीं निर्यात की जाने वाली खेप हो । कुल मिलाकर सार यह है कि नशामुक्त भारत या युवा की बात करना तब तक पूरी तरह बेईमानी होगी जब तक नशों के साथ उसके सौदागरों पर बहुत गंभीरतापूर्वक विचार और प्रहार नहीं किया जाए ।
बात भ्रष्टाचार मुक्त भारत की करें तो पिछले लगभग एक वर्ष में इस दिशा में होती जांच और कार्रवाईयों को देखते समझते हुए यह कहा जा सकता है कि निःसंदेह यह वर्तमान राष्ट्रीय राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में बड़े और सकारात्मक बदलाव का सबसे अहम दौर सिद्ध हो रहा है ! यदि हो रही इन जांचों और कार्रवाईयों में सख्ती, पारदर्शिता और उसके दायरे का संपूर्ण तथा हर संभव आवश्यक विस्तार होने के साथ इन तमाम जांचों और कार्रवाईयों को नतीजों तक पहुंचाने तथा हर एक दोषी अर्थात भ्रष्टाचारी को दंडित करने का सफल प्रयास होता है तो यह भारत को विकसित, श्रेष्ठ तथा शक्तिशाली बनाने का सबसे महत्वपूर्ण काम और कालखंड सिद्ध होगा । जिसका पूरा श्रेय वर्तमान मोदी सरकार को दिया जाएगा । हांलाकि भ्रष्टाचार को लेकर फिलहाल की जा रही तमाम कार्रवाईयों और बड़े-बड़े वादों तथा दावों के बावजूद इसके वास्तविक और जरुरी नतीजों अर्थात भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लक्ष्य तक पहुंचने की गुंजाइश के प्रतिशत का अनुमान शून्य ही कहा जा सकता है, क्योंकि इसकी जड़ कहें या बीज, वह राजनीतिक चंदा है, जिससे दूरी का प्रयास खुद को देश का सबसे अच्छा, सच्चा और ईमानदार बताता राजनीतिक दल भी करता दिखाई नहीं देता ।
बावजूद इसके वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान के तहत यदि सामने आए, आते और निकट भविष्य में इनसे जुड़ती नई-पुरानी कड़ियों के साथ सामने आने वाले संभावित भ्रष्टाचारियों पर जरुरी, ठोस, कठोर और न्यायसंगत कार्रवाई होती है तथा भ्रष्टाचारियों को उनके हिस्से का समुचित दंड दिया जाता है तो यह बड़ी उपलब्धि कही जाएगी । शेष यदि भ्रष्टाचार को लेकर केंद्र सरकार की ईमानदारी और असलियत का स्पष्ट रुख देखना समझना है तो वह 2024 लोकसभा चुनाव में ही बहुत हद तक साफ-साफ देख और समझ लिया जाएगा । देखना होगा कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक जंग की घोषणा करने वाली केंद्र सरकार 2024 चुनाव तक इसे कैसे, कितना और किस परिणाम तक पहुंचा पाती है ? भ्रष्टाचार को लेकर देश को बखूबी याद है 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के कहे गए वे शब्द कि मैंने भ्रष्टाचारियों को जेल के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया है, यदि जनता ने अवसर दिया तो अबकी बार वे जेल के भीतर होंगे । चार साल बीत गए, देश अब भी उसकी प्रतीक्षा कर रहा है ।
अब बात आतंकवाद की । यूं तो आतंकवाद आज विश्व की सबसे बड़ी और जटिल समस्या है । जिसका रोना रोते हुए, जिससे मुक्ति का झूठा और पाखंडी संकल्प लेते हुए, विश्व के कई बड़े और शक्तिशाली देश भी इसको पोषण देने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं । आतंकवाद की जड़ें अब कई छद्म रूपों और माध्यमों से निरंतर गहराई और मजबूती पा रही हैं । भारत में भी आतंकवाद अब महज पाक प्रायोजित और पोषित आतंकवाद तक सीमित नहीं रहा । कई राज्यों में तो यह समाजवाद, जातिवाद और लोकतंत्र के प्रहरियों के छद्म वेश तक में अपनी जड़ें जमा रहा है । जिस पर समय रहते यदि गंभीरतापूर्वक विचार, व्यवहार और प्रहार नहीं किया गया तो उसके भयावह परिणाम अगले कुछ दशकों में इस देश के समूचे तंत्र को तहस-नहस कर देंगे । ज्यादा विस्तार में ना जाते हुए फिलहाल उत्तर प्रदेश के मारे गए माफिया अतीक अहमद का आईएसआई कनेक्शन का खुलासा हो, पीएफआई की काली दास्तान हो या फिर पंजाब की असफल खालिस्तानी बगावत के साथ कई बार कई राज्य के नक्सलवादियों के आईएसआई से संबधों के खुलासे, सब यह जानने समझने के लिए काफी हैं कि आतंकवाद कई रुपों और षड्यंत्रों में देश में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है ।
इसलिए यदि आतंकवाद को महज पाक प्रायोजित आतंकवाद तक सीमित रख उस पर राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य लड़ाई लड़ी गई तो पाकिस्तान से भले हम क्षणिक और छोटी जीत हासिल कर लें, आतंकवाद से अपनी जरुरी लड़ाई हार जाएंगे । अतः भारत को आतंकवाद पर विश्व को वैश्विक चिंतन और संघर्ष के लिए तैयार करते हुए अपना पूरा ध्यान इस बात पर भी केंद्रित करना चाहिए कि वह देश के भीतर अलग-अलग रुपों और षड्यंत्रों के साथ जारी और भविष्य के संभावित हर तरह के आंतकवाद को समूल नष्ट करने पर अपना ध्यान केंद्रित करे । एक पूरा का पूरा ऐसा खुफिया और सैन्य तंत्र विकसित करे जो सिर्फ आतंकवाद मुक्त भारत को बनाने और बनाए रखने के लिए काम करे क्योंकि यह अकाट्य सत्य है कि आतंकवाद मुक्त विश्व की कल्पना निकट भविष्य में व्यर्थ है ।