प्रभुनाथ शुक्ल
हाल में मुझे युवा लेखक कैलाश मांजू बिश्नोई का हालिया प्रकाशित उपन्यास ‘यूपीएससी वाला लव कलेक्टर साहिबा’ पढ़ने को मिला। बिश्नोई का यह पहला उपन्यास है। यह उपन्यास यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थीयों के जीवन संघर्ष का एक दस्तावेज है। उपन्यास का नायक गिरीश और नायिका एंजल हैं। दोनों यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी हैं। पूरे उपन्यास की कहानी को 19 अध्याय में बांटा गया है कुल 174 पृष्ठों का यह उपन्यास है।
उपन्यास की नायिका एंजल को एक दिन एक हिंदी अख़बार में नायक गिरीश का लेख पढ़ने को मिलता है। लेख को पढ़कर एंजल काफी प्रभावित होती है। बाद में अख़बार में छपे लेखक की मेलआईडी से लेखक को मेल करती है। उसी के जरिए नायक गिरीश और और उपन्यास की नायिका एंजल के बीच शुरू हुआ संवाद का सफऱ प्यार में बदल जाता है। फिर दोनों के मिलने मिलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। उपन्यास की शुरुआत ‘यूपीएससी से इश्क’ और समापन ‘लव मुकम्मल’ से होता है।
मांजू बिश्नोई का ‘कलेक्टर साहिबा’ उपन्यास बेहद सरल और सहज भाषा में लिखा गया है। उपन्यास के प्रत्येक भाग को पढ़ने के बाद पाठक की जिज्ञासा बढ़ती जाती है। यह उपन्यास पूरी तरह यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों पर केंद्रित है। क्योंकि लेखक खुद यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उपन्यास में वर्णित पात्र भले काल्पनिक हों, लेकिन पाठक को पढ़ने से ऐसा नहीं लगता है कि यह उपन्यास काल्पनिक है। ऐसा लगता है कि जैसे लेखक ने खुद इस कहानी को ओढ़ा, दसाया और बिछाया है।
कैलाश मांजू बिश्नोई राजस्थान के उदयपुर से हैं। उपन्यास में यूपीएससी अभ्यर्थीयों के सामने आने वाली दुश्वारियां, परीक्षा की चुनौतियां, असफलताएं और पारिवारिक चुनौतियां, मंसूरी के लबासना ट्रेनिंग सेंटर में होने वाले आम घटना क्रम को लेखक ने एक-एक कर पिरोया है। उपन्यास में नायक नायिका के नाम भले काल्पनिक हैं लेकिन आईएएस ट्रेनिंग से संबंधित अन्य स्थानों को यथावत रखा गया है। यूपीएससी तैयारी के दौरान अभ्यर्थियों को जिस समस्या एवं चुनौतियों से जूझना पड़ता है उन सभी स्थितियों का इस उपन्यास में उल्लेख किया गया है। उपन्यास को पढ़ने के बाद ऐसा नहीं लगता है कि यह काल्पनिक उपन्यास है। ऐसा लगता है जैसे लेखक खुद इस तरह के किरदार को जिया है।
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थीयों के लिए यह उपन्यास बड़ा सहभागी बन सकता है। परीक्षा की चुनौतियों को बड़ी आसानी से हल किया सकता है। उपन्यास में दी गई ‘मोटिवेशनल स्पीच’ को पढ़ने से ऐसा लगता है कि दुनिया की ऐसी कोई सफलता नहीं है जिसे कोई इंसान हासिल नहीं कर सकता। आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं ऐसे उम्मीदवारों के लिए यह उपन्यास प्रेरणादायक हो सकता है। क्योंकि ऐसे हताश अभ्यर्थियों को जो तमाम परिश्रम के बाद मुंह मोड़ना चाहते हैं उनके लिए यह मार्गदर्शक का काम करेगा।
यूपीएससी की परीक्षा और तमाम आने वाली उससे सम्बंधित समस्याओं एवं चुनौतियों को बेहतरीन ढंग से इस उपन्यास में पिरोया गया है। आईएएस की तैयारियां और आईएएस बनने के बाद लोगों में कितना बदलाव आ जाता है। ऐसे सफल अभ्यर्थी अपने को इतना महान क्यों समझने लगते हैं। वह असफल अभ्यर्थीयों से फासला क्यों बनाने लगते हैं। अपने साथी की फोनकाल तक नहीं उठाते जैसे तथ्यगत विषयों को लेखक ने बड़े बारीकी से उठाया है।सवाल उठाया है कि हर युवा का सपना आईएएस बनना ही क्यों रहता है। दूसरी सेवाओं की तरफ लोग क्यों नहीं जाना चाहते हैं। आखिर ऐसी क्या बात है।
उपन्यास का नायक गिरीश नायिका एंजल को अपनी मोटिवेशनल स्पीच से काफी प्रभावित करता है। गिरीश भी खुद आईएएस की तैयारी करता रहता है। मुलकात के बाद गिरीश और एंजल एक दूसरे के साथ हर मोड़ पर खड़े दिखते हैं। कभी एंजल आईएएस परीक्षा को लेकर जब हताश और निराश होती है तो गिरीश उसे मोटिवेशनल स्पीच के जरिए उसमें अजब सी लहर पैदा करता है। वह जयपुर से लेकर मंसूरी ट्रेनिंग तक उसका बराबर साथ देता है। मेल मुलाकातों के बाद एंजल और गिरीश काफी करीब आ जाते है। एंजल यूपीएससी की परीक्षा में सफल हो जाती है।मंसूरी में ट्रेनिंग के बाद उसे नियुक्ति भी मिल जाती है।लेकिन गिरीश परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और वह अपना रुख दूसरी तरफ करता है।
उपन्यास का नायक उसे बेइंतहा चाहने लगता है। वह एंजल से शादी करना चाहता है। लेकिन उसके अंडर एक डर है कि आईएएस अधिकारी बनने के बाद एंजल क्या उससे शादी करेगी। लेकिन उसे एंजल पर अटूट भरोसा है। एंजल के घर वाले भी उसके जिद्दी स्वभाव से परिचित हैं। गिरीश अपने और एंजल के प्यार के बारे में मां को सबकुछ बता देता है। लेकिन मां को भी आशंका है कि क्या एंजल इतनी बड़ी सफलता के बाद गिरीश से शादी करेगी।
उपन्यास की नायिका एंजल के पारिवारिक रिश्तेदार भी आईएएस अधिकारी से शादी का दबाव बनाते हैं, लेकिन वह तैयार नहीं होती है। क्योंकि वह गिरीश से मोहब्बत करती है। आखिरकार सारी बंदिशे को किनारे कर एंजल और गिरीश एक दूजे के हो जाते हैं। मंजू बिश्नोई का ‘यूपीएससी वाला लव कलेक्टर साहिबा’ एक बेहद उम्दा उपन्यास है। यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को एक बार जरूर इस उपन्यास का अध्ययन करना चाहिए। कोई भी व्यक्ति अगर इस उपन्यास को एक बार पढ़ लेगा यूपीएससी ही जीवन की हर चुनौतियों और मुश्किल परीक्षा में भी वह जरूर सफल होगा।
उपन्यास : यूपीएससी वाला लव कलेक्टर साहिबा
लेखक : कैलाश मांजू बिश्नोई
प्रकाशक : केबी राज प्रकाशन, राजस्थान
मूल्य :240
समीक्षक: प्रभुनाथ शुक्ल