डॉ रघुवीर चारण
इकीसवीं सदी में भारत ने पूरी दुनिया को एकजुटता का रास्ता दिखाया और अपनी विरासत को अधिकारिक रूप से विश्व में मान्यता मिली अग्रेंजी औपनिवाशिक् काल में योग और आयुर्वेद को हैय् दृष्टि से देखा जाता था आज उसी योग और आयुर्वेद की मुरीद पूरी दुनिया है प्रतिवर्ष 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है इसकी शुरुआत 2015 से हुई प्रधानमंत्री जी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ के 177 देशों के समर्थन के साथ वर्ष – 2014 में इसे अधिकारिक मान्यता मिली इस बार हम नौवां योग दिवस मनाएँगे ।
वर्ष 2023 में भारत जी-20 देशों का नेतृत्व कर रहा है इसलिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के नौवें संस्करण को विशेष रूप से मनाया जाएगा इस बार विश्व योग दिवस को वसुधैव कुटुम्बकम’ की थीम ( यानी एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य’ है ) पर मनाया जाएगा वैश्विक जन कल्याण के लिए योग अनमोल देन हैं विश्व योग दिवस -2023 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है योग को लेकर विभिन्न कार्य शालाओं और योगा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है आने वाले योग दिवस पर हमारे देश के गाँव – ढाणी से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक पूरी दुनिया योगमय होंगी योग के माध्यम से भारत ने पूरी दुनिया को संगठित होकर एकजुटता का संदेश दिया है।
योग का सामान्य भाषा में अर्थ होता है एकत्व या जोड़ना । स्वास्थ्य दृष्टिकोण से शरीर का शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन योग से संभव है स्वास्थ्य की समग्र परिभाषा योग में सम्मिलित हैं दुनिया बदलती जीवनशैली के कारण विभिन्न प्रकार की व्याधियों से ग्रसित है इन विकारों के शमन और स्वस्थ जीवनशैली प्रदान करने में योग ने नए आयाम स्थापित किए योग और सूर्य नमस्कार से लोगों की दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव दिखाई दिया।
वैश्विक महामारी कोरोना के समय दुनिया ने योग की महता को अच्छी तरह से समझा उस समय कोविड पॉजिटिव अल्प लक्षणों वाले मरीजों में मानसिक तनाव को कम करने में योग कारगर साबित हुआ साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्राणायाम का महत्वपूर्ण योगदान रहा इनमे कपालभांति, भस्त्रिका, भ्रामरी, और अनुलोम- विलोम शामिल है।
योग का इतिहास अति पुरातन है प्राचीन भारतीय वैदिक काल उपनिषदों और षडदर्शन में योग का वर्णन मिला इसके साथ बौद्ध, जैन, इसाई, इस्लाम और हिंदु धर्म में भी योग का उल्लेख मिलता है पाश्चात्य देशों में योग का प्रसार स्वामी विवेकानंद ने किया श्रीमद् भगवद् गीता में वर्णित “योग: कर्मसु कौशलम् “अर्थात – योग से ही कर्मों में कुशलता है। कर्म में कुशलता का अर्थ है, ऐसी मानसिक स्थिति में काम करना कि व्यक्ति कर्म एकदम अच्छे तरीके से करे और फल की चिंता में पड़कर खुद को व्यग्र न करे।
भारत में योग परंपरा को समृद्ध बनाने में निम्न योग गुरुओं का योगदान रहा योगसूत्र के रचियता महर्षि पतंजलि,अयंगर् योग के जन्मदाता बीके एस अयंगर महर्षि महेश योगी, तिरुमलाई कृष्णमाचार्य(आधुनिक योग के पिता),धीरेंद्र ब्रहमचारी, स्वामी रामदेव और श्रीश्री रविशंकर का योगदान अतुलनीय है इनकी बदोलत आज पूरी दुनिया में योग की गूंज है ऋषि मुनियों का सपना साकार होता दिखाई दे रहा योगगुरू भारत ने विश्व को योग जैसी अदभुत कला सिखाई योग एक कला और विज्ञान है जो एक अच्छी तरह से संतुलित और सार्थक जीवन को सक्षम बनाता है जो आपको चटाई के भीतर और बाहर स्रोत तक ले जाता है। महान भारतीय योग ऋषि, पतंजलि द्वारा संकलित योग सूत्र, योग पर एक अधिकार है जैसा कि हम जानते हैं। उन्होंने अभ्यास का गहराई से अध्ययन किया और इस विज्ञान को, जो हिमालयी योगियों तक सीमित था, आम लोगों के लिए सुलभ बनाया। उन्होंने पूरी प्रणाली को आठ अंगों में विभाजित किया, इस प्रकार इसे अष्टांग योग भी कहा जाता है ।
अष्टांग के यह आठ अंग हैं- (1) यम (2)नियम (3)आसन (4) प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7) ध्यान (8)समाधि। उक्त आठ अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं। वर्तमान में योग के तीन ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान यम से नैतिकता का नियम से अनुशासन अर्थात जीवन में आदर्श आदतों का पालन करना आसन से शरीर में लचीलापन व मजबूती आती है प्राणायाम अर्थात प्राणो का विस्तार करना यह एक तरह का श्वसन व्यायाम है निरंतर अभ्यास बहुत शक्तिशाली हैं यह रक्त, श्वसन प्रणाली को भी शुद्ध करता है, फेफड़ों, दिमाग को मजबूत करता है प्रत्याहार से वापसी धारणा से एकाग्रता ध्यान से मन शांत और आनंद की अनुभुति प्राप्त होती हैं योग की अंतिम अवस्था समाधि अर्थात सांसारिक बंधनों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है इसको राजयोग भी कहा जाता है ।
योग आपके संपूर्ण फिटनेस स्तर में सुधार करके आपके शरीर की मुद्रा और लचीलेपन को भी बेहतर बनाता है। कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिमों को कम करने के लिए योगासनों का रोजाना अभ्यास करना फायदेमंद होता है रक्तचाप और हृदय गति को नियंत्रित रखने में मदद करता है।शरीर को आराम मिलता है आपके आत्मविश्वास में सुधार होता है।तनाव की समस्या कम होती है।शरीर के समन्वय में सुधार होता है।आपकी एकाग्रता में सुधार होता है।बेहतर नींद प्राप्त करने में मदद करता है। पाचन और डायबिटीज की समस्या से राहत दिला सकता है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है व्यक्ति को सम्पूर्ण स्वस्थता योग से मिलती हैं।
योग को विश्व में पहचान मिलने के साथ इस पर कई तरह शोध चल रहे है आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से योग की प्रमाणिकता सिद्ध हो रही है अब तक योग से जुड़े 12 हजार से ज्यादा शोध पत्र इंडेक्स्ड जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके पक्ष में वैज्ञानिक शोध-आधारित साक्ष्य भी हैं। क्लीनिकल ट्रायल, रैंडम कंट्रोल ट्रायल, व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण, मौलिक समीक्षा आदि के क्षेत्र में भारत के साथ-साथ अन्य देशों में व्यापक शोध किया गया है। हालही में हुए शोधों के अनुसार योग हृदय रोगियों में काफी लाभकारी है उच्च रक्तचाप को कम करने में कारगर साबित हुआ इसके साथ आनुवंशिक विकारों में व मेटाबोलिज्म से सम्बधित रोगों में विभिन्न योगा आसनों से लाभ मिला मानसिक विकारों के शमन में योग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ध्यान(मेडिटेशन) से मन को शांति और बौद्धिक क्षमताओं का विकास होता है ।
यदि आप अपनी दिनचर्या की शुरुआत योग से करते हैं तो आप सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर दुगुनी शक्ति से अपने कार्यों को कर सकते हो बस ध्यान रखना है की योग प्रोटोकॉल के अनुसार योग करें योग की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने अपने ग्लोबल एक्शन प्लान 2018 – 2030 में योग को शामिल किया इसमें शारीरिक क्रियाओं के साथ शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होगा |
योग से उतम् स्वास्थ्य के साथ ही रोजगार के कई अवसर पैदा हुए हैं इस योग दिवस संकल्प लें अपनी दिनचर्या योग से प्रारंभ करे स्वस्थ जीवनशैली और दीर्घायु के लिए योग आवश्यक है ||
(शोधार्थी चिकित्सा विज्ञान)