मुमताज की निगाहें भारत को जू. एशिया कप में पदक जिता जू. महिला हॉकी विश्व कप में जगह दिलाने पर

  • मुमताज बोली जू. महिला हॉ$की एशिया कप मेरे लिए खुद को साबित करने का मौका
  • हर किसी की तरह मैं भी भारत के लिए पदक जीतना चाहती हूं
  • वंदना और रानी की जैसे अपने हॉकी कौशल को निखारना चाहती हूं

सत्येन्द्र पाल सिह

नई दिल्ली : भारत की नवोदित हॉकी स्ट्राइकर मुमताज खान ने अपने हॉकी कौशल और जीवट से बेहद गरीब परिवार से आकर सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम का सफर तय कर देश बेटियों में खुद पर भरोसा रख कर अपने लिए सपने बुनने के साथ उन्हें साकार करने का भरोसा भरा है। पांच बहनों और एक भाई सहित भरे पूरे लंबे परिवार की मंझली बेटी है मुमताज खान । मुमताज के पिता हफीज खान और मां केसर जहां लखनउ के तोपखाना बाजार में सड़क पर ठेले पर सब्जी बेच अपने परिवार की गुजर बसर करते हैं। मुमताज खान ने अब तक अपने प्रेरणादाई हॉकी सफर पर ‘हॉकी ते चर्चा’ पर खुलकर चर्चा की। तेज तर्रार स्ट्राइकर मुमताज खान को 2021-22 में एफआईएच राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर चुना गया और 2022 में उन्होंने हॉकी इंडिया का असुंता लाकरा उदीयमान खिलाड़ी का अवॉर्ड भी जीता।

भारत भले ही 2022 में पोशफस्ट्रूम (दक्षिण अफ्रीका ) में कांस्य पदक मैच इंग्लैंड से हाकर एफआईएच महिला जूनियर विश्व कप में कांसा जीतने से चूक गया लेकिन वहां मुमताज खान भारत के लिए सबसे ज्यादा आठ गोल दाग कुल दागने में तीसरे स्थान पर रहीं। वह भारत की 2018 में ब्यूनर्स आयर्स में यूथ ओलंपिक में रजत जीतने वाली टीम की भी अहम सदस्सा रहीं। मुमताज खान की निगाहें अब 2 जून से काकामिगहारा (जापान) में शुरू हो जूनियर महिला हॉकी एशिया कप, 2023 में पदक जिता भारत को एफआईएच जूनियर महिला विश्व कप में जगह दिलाने पर लगी हैं। मुमताज खान सहित भारत महिला हॉकी को जापान में जूनियर महिला एशिया कप में पदक जीत कर स्वदेश लौटने की उम्मीद है। मुमताज खान कहती हैं, ‘ हमारी टीम जूनियर महिला एशिया कप के लिए पिछले दो-तीन महीनों से जमकर अभ्यास कर रही है। हमारी निगाहें हमने जो कुछ भी अभ्यास किया उसे जूनियर महिला एशिया कप में अमली जामा वहां से पदक जीत स्वदेश लौटने पर हैं। अब सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रहने से मुझे टीम में ‘नायिकाओं’ की अहमियत मालूम पड़ गई। मैं बतौर फॉरवर्ड भारत की सीनियर टीम की वंदना कटारिया और रानी रामपाल जैसी तेज -तर्रार फॉरवर्ड के नक्शेकदम पर चल अपने हॉकी कौशल को उन जैसा निखारना चाहती हूं। मैं जानती हूं कि जूनियर महिला एशिया कप मेरे लिए खुद को साबित करने का मौका है। हर किसी तरह मैं भी भारत की नुमाइंदगी कर देश के लिए पदक जीतना चाहती हूं।’

….और मैंने हाथ में हॉकी स्टिक थाम ली
मुमताज अपने हॉकी सफर को बयां करती हुई कहती हैं, ‘मेरा हॉकी सफर भी स्कूल में शुरु हुआ।ज्यादातर माता-पिताओं की तरह मेरे माता-पिता ने भी मुझे यही सलाह दी कि मैं अपना ध्यान पढऩे लिखने पर लगाउ। मेरे माता-पिता भी चाहते थे कि मैं जिंदगी में कामयाब रहूं और वे खेल को पढ़ाई से ध्यान बंटाने वाला मानते थे और इसीलिए मैंने उनकी बात जरूर सुनी। फिर एक ऐसा मोड़ आया जब मैं अपनी सहलियों को खेलते और इसका लुत्फ देखा तो मैंने हाथ में हॉकी स्टिक हाथ में थाम ली।’

मेरी कोच नीलम का मानना मैं भारत के लिए हॉकी खेल सकती हूं
मुमताज हॉकी खेलने के लिए दस किलोमीटर साइकिल चला कर केडी सिंह बाबू स्टेडियम , लखनउ आती। मुमताज की कोच नीलम ने यह सुनिश्चित किया कि उनके हॉकी सफर में कोई बाधा नहीं आए और उन्हें हॉकी खेलने के लिए सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं मिले। बतौर हॉकी स्ट्राइकर मुमताज सही जगह पर हों और गोल के सामने उनके निशाने अचूक रहे इसके लिए उनकी कोच नीलम उनके साथ मजबूती से हमेशा खड़ी रहीं। मुमताज बताती हैं, ‘ मेरे माता-पिता को आखिर जब यह मालूम पड़ गया कि मैंने स्कूल में हॉकी खेलनी तो शुरू में उन्हें अच्छा नहीं लगा लेकिन मैंने हॉकी खेलना नहीं छोड़ा। मुझे हॉकी से मोहब्बत हो गई थी। मेरा मकसद हॉकी के लिए रोजगार पाना था लेकिन मेरी कोच नीलम का हमेशा से मानना रहा कि मैं भारत के लिए हॉकी खेल सकती हूं। मेरे कोच के इस भरोसे ने कि मैं भारत के लिए खेल सकती हूं मुझे भारतीय जूनियर हॉकी टीम में स्थान बनाने को बराबर प्रेरित किया।

चोट से लगा कि मेरा हॉकी करियर खत्म हो गया
बदकिस्मती से 2019 में जब मुमताज के बाएं घुटने में चोट लगी तो तब वह लंबे समय हॉकी से दूर रही। मुमताज बताती हैं, ‘ घुटने की इस चोट ने मुझे कई आशंकाओं से घेर लिया और तब लगा कि मेरा हॉकी करियर खत्म हो गया है। इसके साथ मेरे माता-पिता ने मुझ पर हॉकी खेलना छोडऩे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। लोगों ने मेरे माता-पिता पर यह कह कर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि मैं कुछ ज्यादा ही उंचा उडऩे लगी हूं और यह अच्छा हुआ कि इस चोट से में वापस जमीन पर आ गई हूं और मैंने इससे सबक सीख लिया होगा। इस सब अनिश्चितता के बीच जब हॉकी इंडिया से मेरी चोट के इलाज के लिए आया खत एक उम्मीद की किरण के रूप में आया। हॉकी इंडिया ने इस खत में लिखा कि मैं सीनियर टीम के साथ रहूंगी और मेरा बेहतरीन सुविधाओं के साथ मेरा इलाज कराया जाएगा और मुझे फिट करने में फिजियोथेरिपस्ट मेरी बराबर मदद करेगा। इस मदद ने मुझे जल्द से भारतीय टीम के लिए खेलने के लिए प्रेरित किया।

जब मां बोली, मुमताज के रूप बेटी सैकड़ों बेटों के बराबर
मुमताज ने 2022 में पोशेफस्ट्रूम (दक्षिण अफ्रीका) मे होने वाले एफआईएच जूनियर महिला हॉकी टीम से पहले अपनी चोट से उबर कर भारतीय जूनियर टीम में शानदार वापसी कर सबसे ज्यादा आठ गोल किए। मुमताज बताती हैं, ‘ जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में मेरे प्रदर्शन से मेरे माता पिता बेहद खुश हुए। तब मेरी मां ने कहा कि हालांकि हमारे परिवार में एक बेटा है और लेकिन मुमताज के रूप में हमारी एक ऐेसी है जो कि सैकड़ों बेटों के बराबर है। अपनी मां के कहे ये शब्द मेरे दिल को छू गए।’

कभी नहीं सोचा था कि करियर के शुरू में अवार्ड जीतूंगी
जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के बाद मुमताज को लुसाने में 2022 में हीरो हॉकी 5 के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में चुना गया और वहां भी उन्होंने पांच गोल किए। 2022 के हॉकी इंडिया के असुंता लाकरा उदीयमान खिलाड़ी हॉकी अवार्ड के लिए चुने जाने पर मुमताज बताती हैं, ‘मैं कभी भी नहीं सोचा कि मैं अपने करियर के शुरू में अवार्ड जीतूंगी लेकिन मैने हमेशा टीम और अपने लिए बढिय़ा प्रदर्शन की उम्मीद हमेशा की। मैं जानती थी कि कि मुझे अपना खेल बेहतर करने पर और मेहनत करनी है और इसका किसी मोड़ पर इनाम जरूर मिलेगा।’