ग्राहकों को मोबाइल नंबर देने के लिए बाध्य ना करें दुकानदार

दीपक कुमार त्यागी

  • भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय के आदेश के बाद सीटीआई ने जारी की एडवाइजरी
  • बड़ी कंपनियों और माॅल्स में आ रही थी ज्यादा शिकायतें
  • महिलाएं भी नंबर मिसयूज होने की कर रही थी शिकायत
  • जीएसटी में फोन नंबर लेने का कानून नहीं

दुकान या शोरूम पर बिलिंग के वक्त ग्राहकों से मोबाइल नंबर मांगा जाता है। बहुत से कस्टमर्स को ना चाहते हुए भी अपना पर्सनल नंबर साझा करना पड़ता है। बाद में इन नंबर पर कंपनियों के मैसेज, फोन कॉल आते हैं।

कई बार नंबर लीक हो जाते हैं, जिसमें अन्य लोग मैसेज या कॉल कर ग्राहक को परेशान करते हैं। ऐसी शिकायतें आने पर केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने खुदरा उद्योग और व्यापारिक संस्थाओं को सलाह दी है कि दुकानदारों को इस बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश दें कि यदि कोई ग्राहक सामान खरीदने के बाद बिल के लिए अपना मोबाइल नंबर नहीं देना चाहता तो सेल्स पर्सन को इस पर जोर नहीं देना चाहिए।

इस मुद्दे पर व्यापारी एवं उद्योग संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल
ने बयान जारी करके कहा है कि ऐसी समस्याएं आम तौर पर बड़ी कंपनियों, शॉरूम, फूट कोर्ट और मॉल्स में ज्यादा आती है। यहां ग्राहक को डिस्काउंट और प्रमोशन स्कीम देने के लिए कस्टमर का नंबर लिया जाता है , फोन नंबर के डेटा से पता चलता है कि कौन ग्राहक कितने का क्या माल खरीद रहा है?

इससे ग्राहक को उसी हिसाब से मैसेज भेजे जाते हैं। कोई नया माल आता है, तो उसकी जानकारी मोबाइल नंबर पर भेजी जाती है।

बृजेश गोयल ने कहा कि इसके मिसयूज की शिकायत भी आ रही है। खास तौर से महिला ग्राहकों और लड़कियों के नंबर किसी सिरफिरे को मिल जाते हैं, तो वो फोन करके, एसएमएस या वाट्सएप पर संपर्क करके परेशान करते हैं, सीटीआई ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की ओर से जारी एडवाइजरी पर संज्ञान लेते हुए व्यापारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है , सीटीआई का साथ में ये भी कहना है ही ऐसी दिक्कतें रिटेल मार्केट में नहीं होती हैं।

चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, मोरी गेट, कमला नगर, लक्ष्मी नगर, करोल बाग़, सदर बाजार, तिलक नगर, लाजपत नगर जैसे बाजारों में बगैर फोन नंबर लिए ग्राहकों को सामान मिल जाता है।

जीएसटी में भी ऐसा कानून नहीं है कि बगैर फोन नंबर के बिल जेनरेट नहीं होगा। ग्राहक की अपनी इच्छा होनी चाहिए कि वो कब और किसे अपना नंबर देना चाहता है या नहीं।