- मैं अपने हॉकी कौशल को अपनी ताकत मानता हूं
- टीमें स्ट्रक्चर से खेलती है, प्रतिद्वंद्वी किले को तोडऩे के लिए हॉकी कौशल बेहद जरूरी
- मनप्रीत के खेल का कायल, खुद को बतौर स्ट्राइकर मनदीप जैसा ढालना चाहता हूं
- बतौर स्ट्राइकर मुझे अपनी गोल स्कोरिंग बेहतर करनी है
- खुद को आगे सीनियर टीम में बराबर मौके के लिए तैयार रखना चाहता हूं
- मेरे सीनियर भारतीय टीम के लिए खेलने पर पापा खुशी से बोले यह हुई न बात
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : उत्तम सिंह बतौर स्ट्राइकर भारत को हाल ही में सलालाह (ओमान) में जूनियर पुरुष हॉकी एशिया कप जिता इस साल के आखिर में एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप के लिए क्वॉलिफाई करा सुर्खियों में हैं। २१ बरस के उत्तम सिंह के खेल में अपने प्रदेश उत्तर प्रदेश के ‘हॉकी कलाकारÓ मोहम्मद शाहिद की कलाकारी और अपने जमाने के बेहतरीन राइट आउट रामप्रकाश की तेजी की झलक नजर आती है। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के कर्मपुर के बाशिंदे उत्तम सिंह खुद गोल करने के साथ गोल करने के मौके और पेनल्टी कॉर्नर बनाना तो खूब जानते ही हैं उन्हें अपनी टीम के हर खिलाड़ी से बेहतरीन प्रदर्शन कराना भी आता है। उत्तम सिंह के पिता श्री कृष्णकांत सिंह ने कभी खुद भारतीय हॉकी टीम के लिए खेलने का सपना देखना था। मझौले किसान कृष्णकांत सिंह का पारिवारिक जिम्मेदारियों के भारत के लिए हॉकी खेलने का सपना पूरा नहीं हो सका। कृष्णकांत ऐसे में चाहते थे कि उनका बेटा उत्तम सिंह भारत के लिए सीनियर हॉकी टीम के लिए खेले। उत्तम सिंह भारत की जूनियर हॉकी टीम को एशिया कप जिताने के साथ सीनियर टीम के लिए खेल कर अपने पिता कृष्णकात सिंह का सपना पूरा कर चुके हैं।
उत्तम सिंह के भारतीय जूनियर टीम और फिर सीनियर टीम के सफर पर बेंगलुरू से उनसे फोन पर लंबी बातचीत हुई। उत्तम सिंह कहते हैं, ‘फिलहाल मेरा और हमारी भारतीय जूनियर टीम का ध्यान अब इस साल दिसंबर में मलयेशिया मे होने वाले एफआईएच जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप को जीतने पर है। इससे आगे की बाद में सोचेंगे। भारत के टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतने के बाद से हॉकी खिलाडिय़ों को नौकरियां भी खूब मिली हैं। फिलहाल मैं ओएनजीसी के लिए छात्रवृत्ति पर खेलता हूं और उपर वाले की कृपा रही तो इसमें पक्की नौकरी भी मिल जाएगी। मेरा अब तक का भारत की जूनियर हॉकी टीम के कप्तान और सीनियर टीम के लिए हॉकी खेलने के सफर अच्छा रहा। भारतीय हॉकी टीम के राष्टï्रीय शिविर में जगह पाने के लिए जरूर मुझे संघर्ष करना पड़ा। इसके बाद कौशल के साथ किस्मत ने भी साथ दिया। मैं पहले भारतीय जूनियर टीम और इसके बाद एशिया कप में सीनियर भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब रहा। मैं पूर्वांचल से हूं और हमारे यहां गाजीपुर, इलाहाबाद और बनारस सभी में हॉकी आज भी खूब खेली जाती है, खासतौर पर कलात्मक हॉकी। हॉकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद भी इलाहाबाद के थे और मोहम्मद शाहिद भाई जैसा हॉकी का कलाकार भी बनारस की धरती पर जन्मा। भारत की सीनियर हॉकी टीम के ललित उपाध्याय भी करमपुर से ही हैं ही राजकुमार पाल भी गाजीपुर के ही है। ललित और राज कुमार पाल की ताकत भी इनकी हॉकी स्किल यानी कौशल के साथ हॉकी की कलाकारी ही है। इतिहास गवाह है कि उत्तर प्रदेश से आने वाले ज्यादातर हॉकी खिलाडिय़ों की ताकत उनका हॉकी कौशल रहा है। मैं भी अपने हॉकी कौशल को अपनी ताकत मानता हूं और इसे निरंतर बेहतर करने की कोशिश करता हूं। मेरा मानना है कि आज की अंतर्राष्टï्रीय हॉकी में कामयाब होने के लिए बतौर खिलाड़ी अपने हॉकी कौशल का मौके के मुताबिक सही इस्तेमाल करना ही हॉकी खिलाड़ी की सबसे बड़ी ताकत है। अंतर्राष्टï्रीय हॉकी जब आज जब सभी टीमें ‘स्ट्रक्चरÓ से खेलती है तो प्रतिद्वंद्वी टीम के किले को तोडऩे के लिए हॉकी कौशल यानी स्किल बेहद जरूरी है। एक बनाम एक की स्थिति में प्रतिद्वंद्वी को छकाने के लिए हॉकी कौशल ही कामयाबी की कुंजी है। मैं भी सही वक्त पर अपने हॉकी कौशल का इस्तेमाल कर खुद को भारत की जूनियर टीम के साथ सीनियर टीम में भी स्थापित करना चाहता हूूं। मैं चूंकि अपनी टीम का प्रमुख स्ट्राइकर हूं इसलिए मेरे लिए अपने हॉकी कौशल को निरंतर निखारना बेहद जरूरी है। मैं इसके लिए प्रतिबद्ध हूं।’
वह बताते हैं, ‘ मैंने 2010 में हॉकी खेलनी शुरू की और शुरू में गाजीपुर में ही करमपुर में तेज बहादुर हॉकी अकेदमी में स्वर्गीय तेज बहादुर के मार्गदर्शन में हॉकी का शुरुआत पाठ पढऩे के बाद वहीं उन्हीं के मार्गदर्शन में अपने हॉकी कौशल को निखारा। तेज बहादुर सिंह हमारे इलाके के बड़े कारोबारी और बहुत सम्पन्न व्यक्ति थे लेकिन हॉकी को पूरी तरह समर्पित। तेज बहादुर अकेदमी में बतौर हॉकी खिलाड़ी हॉकी किट और जूते सब मिल जाते थे। मैं तीन भाईयों मेें सबसे छोटा हूं। मेरे पिता कृष्णकांत जी घर पर खेती करते हैं। खेती से खाने पीने लायक पर्याप्त हो जाता है। मुझे हॉकी खेलने के कारण खेलो इंडिया और ओएनजीसी से छात्रवृत्ति मिलती है। मैं फिलहाल बीए अंतिम वर्ष का छात्र हूं और मैं जल्द ही स्नातक हो जाउंगा। मैं भारतीय सीनियर टीम में सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह के खेल का कायल हूं। मुझे मनप्रीत का खेल सबसे ज्यादा पंसद। उनकी बेसिक्स और प्री स्क्रीनिंग यानी अगला पास किसे देना है या अगला विकल्प क्या इसकी समझ गजब की है। मुझे अभी अपनी फिटनेस पर मेहनत करनी है। बतौर स्ट्राइकर मुझे अपनी गोल स्कोरिंग खासतौर पर मैदानी गोल करने की क्षमता और निखारनी है। मैं अपने साथियों के लिए और बेहतर ढंग के लिए गेंद को बढ़ाने की क्षमता विकसित करना चाहता हूं। जहां तक मेरे आगे के लक्ष्य की बात है तो मेरा मानना है कि फिलहाल इस होने वाले एशियाई खेलों के लिए भारतीय सीनियर टीम का कोर ग्रुप तय है। हम जूनियर टीम के खिलाड़ी बहुत बढिय़ा खेलें तभी हमारे लिए सीनियर टीम में खेलने का कुछ मौका बन सकता है। बावजूद इसके मैं खुद को आगे सीनियर टीम में बराबर मौके के लिए तैयार रखना चाहता हूं। हमारी सीनियर भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच क्रेग फुल्टन से जूनियर एशिया कप में ओमान खेलने जाने से पहले बात हुई थी । फुल्टन सर ने कहा कि आप भारतीय हॉकी टीम का भविष्य हो और इसी तरह मेहनत जारी रखो। मैं आपके खेल पर बराबर नजर रखूंगा। जहां तक हॉकी खिलाड़ी मेरे आदर्श की बात है कि मैं खुद को बतौर स्ट्राइकर सीनियर टीम के स्ट्राइकर मनदीप सिंह जैसा ढालना चाहता है और उन जैसी गोल करने की क्षमता विकसित करना चाहता हूं। मैं मनदीप की तरह चतुराई से गेंद को रिसीव करने में पारंगत होना चाहता हंू। मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे तेज बहादुर हॉकी अकादमी में हॉकी सीखने वाले भारतीय टीम के सीनियर स्ट्राइकर ललित उपाध्याय का मार्गदर्शन और सपोटर्स हॉस्टल के साथी राज कुमार पाल का बहुत मार्गदर्शन मिला। दोनों ने मेरी खूब हौसलाअफजाई की।’
उत्तम कहते हैं, ‘ हॉकी इंडिया के मुख्य चयनकर्ता और अपने जमाने के जाने माने राइट आउट रामप्रकाश (आरपी) सिंह भी पूर्वांचल से हैं। आरपी सर से जब भी मुलाकात हुई तो उनका हम सभी के लिए बस यही आग्रह है निरंतर मेहनत कर अपने हॉकी कौशल को और बेहतर करे। मैं मिजाज से मूलत: स्ट्राइकर ही हूं और लेकिन टीम की जरूरत के मुताबिक मसलन मध्यपंक्ति के किसी साथी खिलाड़ी को चोट लगने पर मैं मध्यपंक्ति में भारत की जूनियर और सीनियर टीम के लिए खेला हूं। आगे भी मैं भारतीय हॉकी के स्ट्राइकर की जिम्मेदारी निभाना चाहूंगा। जहां तक हमारी जूनियर हॉकी एशिया कप जीतने वाली टीम का सवाल है तो इसके सभी सदस्य इस साल के आखिरी में मलयेशिया में होने वाले एफआईएच जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप में खेलने के लिए उम्र के लिहाज से पात्र हैं। हमारी जूनियर टीम की ताकत एक इकाई के रूप में खेलना है। हमारी टीम सभी खिलाड़ी अपनी अपनी पॉजिशन पर अच्छे हैं। मेरे पापा का सपना था कि मैं भारत की सीनियर टीम के लिए खेलूं। 23 मई, 2022 मैंने सीनियर एशिया कप सें भारत की सीनियर टीम के लिए पाकिस्तान के खिलाफ खेल कर अपने पापा का सपना पूरा किया। जब से मैंने भारतीय जूनियर हॉकी टीम के लिए खेलना शुरू किया उससे वह खुश थे। मेरे पापा मुझसे बराबर यही कहते थे कि जूनियर टीम के बाद जब तुम सीनियर भारतीय टीम के लिए खेलोगे, मैं तभी समझूंगा कि तुमने कुछ हासिल किया। जब मेरा सीनियर एशिया कप के लिए भारतीय टीम में चयन हो गया इस बाबत पापा को फोन कर बताया तो तबवह बहुत खुश हुए। मेरे सीनियर भारतीय टीम के लिए खेलने पर पापा खुशी से बोले यह हुई न यह बात। मैं ारतीय जूनियर टीम को जोहोर कप और जूनियर एशिया कप जिताना अब तक की बड़ी उपलब्धि मानता हूं। हम जूनियर एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल फंस कर जीते लेकिन हमें इस बात की खुशी है कि पूरी टीम और खासतौर पर हमारे गोलरक्षक मोहित ने गजब की मुस्तैदी दिखाई। पाकिस्तान की जूूनियर एशिया कप में खेलने वाली टीम उसकी सीनियर टीम में खेलने वाले करीब आधा दर्जन खिलाड़ी थे। ऐसे पाकिस्तान के खिलाफ जब हमने फाइनल में 2-0 की बढ़त ले ली तब विष्णुकांत, शारदानंद, गोलरक्षक मोहित और हुंदल सभी ने यह तय किया किया पहले अपना घर बचाते हैं और ज्यादा आक्रमण की बाबत बात में सोचेंगे। हमारी यह रणनीति कारगर रही और हम जूनियर एशिया कप जीतने में कामयाब रहे।’