दीपक कुमार त्यागी
देश व दुनिया में सांस्कृतिक विविधता, जैव विविधता, भौगोलिक, सामरिक, राजनीतिक व दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के प्रवेश द्वार के रूप से अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का जातीय हिंसा में अशांत होना किसी भी दृष्टिकोण से देश के लिए उचित नहीं है।
मणिपुर की राज्य सरकार व केन्द्र सरकार का यह दायित्व है कि वह देशहित में मणिपुर में जल्द शांति बहाली करके, फिर से मैतेई व नागा-कुकी समुदाय में आपस में विश्वास बहाली के लिए एक दूरगामी ठोस रणनीति बनाकर के जातीय विद्वेष को समाप्त करने के लिए धरातल पर तत्काल कार्य करें। जिसके लिए हाल ही में केन्द्रीय गृहमंत्री ‘अमित शाह’ ने अपने मणिपुर दौरे के दौरान ठोस पहल की शुरुआत की है।
भारत का सीमावर्ती पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलोमीटर का है और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी 2,855,794 है। यह राज्य अपनी विभिन्न विविधताओं को एक सूत्र में पिरोकर संजोकर रखने वाले एक बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है। मणिपुर की सीमाएं उत्तर में नागालैंड और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम राज्य के साथ पूर्व में म्यांमार देश से मिलती हैं, जो कि सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। लेकिन आज चिंताजनक बात यह है कि पिछले कुछ समय से मणिपुर अपने ही निवासियों के द्वारा लगाई गई जातीय अशांति की आग में रोजाना जल रहा है। यहां आपको याद दिला दें कि जब से मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मिला है, उसके बाद से ही आरक्षण समर्थकों व विरोधियों के बीच में राज्य में चौतरफा हंगामा बरपा हुआ है। आरक्षण मिलने के बाद जब 3 मई 2023 को नागा व कुकी आदिवासियों ने राज्य के दस पहाड़ी जिलों में एकजुटता मार्च निकाला कर मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध दर्ज कराया था, तो सूत्रों के अनुसार उस वक्त यह मार्च शांतिपूर्ण ढंग से लगभग संपन्न हो गया था, लेकिन कुछ अराजक तत्वों ने चुराचांदपुर में एंग्लो-कुकी युद्ध स्मारक के गेट के एक हिस्सों को जलाकर विरोध को आगजनी, तोड़फोड़ व हिंसा में बदलने का देशद्रोही कार्य कर ही दिया था।
जिसके चलते ही देखते ही देखते कुछ समय में ही अचानक से पूरा मणिपुर बड़े पैमाने पर हुई जातीय हिंसा की आग की चपेट में आकर बुरी तरह से झुलस गया है। राजधानी इंफाल सहित राज्य के अन्य विभिन्न हिस्सों में हुई आगजनी तोड़फोड़ व हिंसा की घटनाओं में लोगों की जान तक भी जाने लग गयी, जो जातीय हिंसा राज्य में अभी तक भी जारी है। हालांकि इस हिंसा को रोकने के लिए राज्य सरकार भी तुरंत ही हरकत में आ गयी थी और उसने राज्य में तत्काल कर्फ्यू लगाते हुए, हिंसाग्रस्त इलाकों में पुलिस, पैरा मिलिट्री फोर्स व सेना तक की तैनाती करने का कार्य किया था। राज्य में दंगाईयों को नियंत्रित करने के लिए उन्हें देखते ही गोली मारने तक के आदेश तक भी जारी कर दिये गये थे। वहीं किसी भी प्रकार की अफवाहों को रोकने के लिए राज्य में इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया था। बेहद तनावपूर्ण हालात पर स्वयं मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह निरंतर नज़र रखते हुए शासन प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे थे। वहीं केन्द्र सरकार भी पहले दिन से ही राज्य के हालात पर पल-पल नज़र रखे हुए हैं। लेकिन आज लगभग सवा महीने के बाद भी राज्य के हालात पूरी तरह से नहीं सुधरे हैं, इम्फाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-2) हाईवे पर आज भी हथियार बंद दंगाई कब्जा जमाएं अभी तक भी बैठे हुए हैं, गैस, तेल, दवाई व राशन जैसे आवश्यक वस्तुओं को आम जनमानस तक पहुंचाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती बना हुआ है, अभी भी एक दूसरे समुदाय के लोगों के जान-माल को उपद्रवियों के द्वारा चिन्हित करके निशाना बनाया जा रहा है। जिसके चलते सरकार निरंतर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं हाल ही में अफवाहों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने 15 जून तक इंटरनेट बंद करने के आदेश जारी कर दिये हैं।
लेकिन अफसोस मणिपुर में मई माह में भड़की इस जातीय हिंसा ने अब तक असमय 105 लोगों के अनमोल जीवन को लीलने का कार्य कर दिया है। हिंसा के चलते 50 हजार 650 से ज्यादा लोगों बेघर होकर सरकार के द्वारा बनाए 350 राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। स्थिति चीख चीखकर बता रही है कि अब तक राज्य सरकार मणिपुर के जातीय हिंसा वाले हालातों को पूरी तरह से नियंत्रित करने में विफल साबित हुई है। इस स्थिति को देख देश के गृहमंत्री ‘अमित शाह’ ने विवाद का समाधान करने की स्वयं कमान संभालने का कार्य किया और वह 29 मई से 1 जून तक के चार दिवसीय दौरे पर मणिपुर के दंगाग्रस्त क्षेत्रों में दौरा करने पहुंच गए। जहां पर गृहमंत्री ‘अमित शाह’ ने मणिपुर में शांति बहाली के लिए धरातल पर जाकर विभिन्न क्षेत्रों के दौरे करने के साथ-साथ पक्ष व विपक्ष के लोगों से मुलाकात करके उनके दर्द पर मरहम लगाने का कार्य किया। गृहमंत्री ने अपने इस दौरे के दौरान शासन-प्रशासन व सैन्य अधिकारियों के साथ जगह-जगह मौके पर जाकर हालात के जायज़ लेकर के शासन-प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक करके उन्हें जातीय दंगा को नियंत्रण करने, राहत व बचाव कार्य के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देने का कार्य किया।
गृहमंत्री ‘अमित शाह’ के मणिपुर चार दिवसीय दौरे के बाद एकबार फिर से वह राजनीतिक व मीडिया के गलियारों में चर्चा में हैं, क्योंकि गृहमंत्री के रूप में ‘अमित शाह’ का दंगाग्रस्त मणिपुर का यह दौरा किसी भी दंगाग्रस्त क्षेत्र में अब तक भारत के गृहमंत्री का सबसे लंबे समय तक का दौरा माना जा रहा है। मणिपुर के लोगों को भी गृहमंत्री ‘अमित शाह’ के दौरे से बहुत ज्यादा उम्मीद है कि गृहमंत्री की यात्रा के बाद अब जल्द ही राज्य में शांति लौट आएगी और आंतरिक सुरक्षा के मामले में एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे मणिपुर में फिर से जल्द ही जातीय हिंसा समाप्त होकर के अमन-चैन कायम होगा। आज हम सभी देशवासियों को पूरी उम्मीद है कि गृहमंत्री ‘अमित शाह’ के हस्तक्षेप के बाद मणिपुर राज्य से जल्द ही दंगे-फसाद की गंभीर चुनौतियों से परिपूर्ण काला बुरा दौर समाप्त होगा और मणिपुर राज्य फिर से अपनी सांस्कृतिक विविधता को संजोकर के विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर होकर नव भारत निर्माण में कारगर सहयोग करेगा।