रावेल पुष्प
ऐसो,एसो,ऐसो हे बैशाख
तापस निश्वासबाये मुमुर्षूरे दाओ उड़ाए
बोछोरेर आबर्जना दूर होय जाक
मूछे जाक ग्लानि,घूचे जाक जरा
अग्नि स्नाने शुचि होक धरा!
कवि गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने जीवन का ऐसा कोई क्षण या ऋतु का ऐसा कोई समय नहीं जिसे अपनी कविताओं का विषय ना बनाया हो,इसी क्रम में नववर्ष यानि बैशाख के स्वागत में भी कवि गुरु ने ये काव्य रचना की।
बंगाल में तो खासतौर से ये कहावत ही प्रचलित है कि- बारोमासे तैरो पारबोन यानि 12 महीनों में 13 त्यौहार। वैसे इस कहावत से भी कहीं अधिक त्यौहार साल भर में मनाए जाते हैं । बंगाल का भद्र बंगाली वैसे चाहे किसी भी स्थिति में हो, लेकिन त्यौहार पूरी शिद्दत और उत्साह से मनाता है।
दक्षिण कोलकाता की प्रतिष्ठित प्रातः भ्रमणकारी संस्था मुक्त मंच ने भी स्थानीय प्रशांत सूर उद्यान के मुक्ताकाश और शीतल मंद समीर प्रवाहित करते हरे भरे वृक्षों की गोद में पोयला बैशाख का स्वागत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, गीतों और नृत्य से किया। सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ उल्लूक ध्वनि, शंख ध्वनि और दीप प्रज्वलित कर डॉ विश्वनाथ साधूखान और आर एस खानूजा महाशय ने किया । उसके पश्चात कार्यक्रम के संयोजक गौतम सेनगुप्ता ने अपने वक्तव्य में बताया कि लगभग दो वर्षों के कोरोना- काल में शारीरिक रूप से मिलकर कोई कार्यक्रम करना संभव नहीं हुआ, लेकिन आभासीय माध्यम से मानसिक खुराक की पूर्ति की जाती रही। उसके पश्चात एक विशेष गीत- आलेख की प्रस्तुति की गई, जिसमें पोयला बैशाख के स्वागत और सारी पृथ्वी के लिए सुख शांति की कामना करते हुए पाठ तथा संदर्भित गीतों की प्रस्तुति की गई और उसके साथ ही नृत्य भी प्रस्तुत किया गया। जिसमें भाग ले रहे थे- श्रीमती आरती घोष, सुप्ति सेनगुप्ता, अपर्णा चक्रवर्ती, नंदिनी चक्रवर्ती, शेफाली देब, लीना चक्रवर्ती, तृप्ति चक्रवर्ती, सुब्रत चक्रवर्ती, श्रेया चक्रवर्ती और अरात्रिका पाल।
टीवी कलाकार श्रीमती नन्दिनी लाहा के संचालन में हुए कार्यक्रम में गीत एवं काव्य आवृति प्रस्तुत कर रहे थे – श्री विश्वनाथ साधू खान,तपन गुहा तथा अनुपम दास।
इस मौके पर शिक्षा में अपना शानदार प्रदर्शन करने वाली श्रीमती डोना चक्रवर्ती और पूजा महापात्र को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में नान्टू गांगुली, सुनील कांत, आर एन अग्रवाल, अयोध्या प्रसाद बर्मन तथा अन्य सक्रिय रहे।
बांग्ला नववर्ष पोयला बैशाख के स्वागत में हुए इस बहुरंगी कार्यक्रम से प्रातः भ्रमणकारी लोगों में नई ऊर्जा का संचार हुआ।