- प्रशंसा ने जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जीतने के संकल्प को और मजबूत कर दिया
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत की पाकिस्तान को हाल ही में सलाला(ओमान) में जूनियर पुरुष हॉकी एशिया कप फाइनल में 2-1 से हरा खिताब जीत सीधे इस साल के आखिर में मलयेशिया में होने वाले एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप के लिए क्वॉलिफाई करने वाली टीम के उपकप्तान स्ट्राइकर बॉबी सिंह धामी की हॉकी यात्रा अभावों के बावजूद कामयाबी की एक प्रेरक कहानी है। बेशक इस बार बतौर स्ट्राइकर जूनियर एशिया कप में बॉबी सिंह धामी का प्रदर्शन भले ही औसत रहा लेकिन उन्होंने बावजूद कामयाबी की नहीं कहानी लिखने और भारत को 2016 के बाद फिर जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जीतने का सपना जरूर संजोया है।
बॉबी भी भारत की जूनियर टीम के कप्तान उत्तम सिंह की तरह बेहद कमजोर आर्थिक पृष्ठïभूमि से आते हैं। बावजूद इसके कप्तान उत्तम की तरह उपकप्तान बॉबी में नए सपने बुनने और अपने जीवट से उन्हें साकार करने का भरपूर आत्मविश्वास है। बॉबी सिंह धामी जब बमुश्किल दस बरस के रहे होंगे कि उनके ड्राइवर पिता का एक दुघर्टना में बुरी तरह चोट खा बैठे। तब तो गुजर-बसर मुश्किल हो गई। मजबूरन बॉबी धामी की मां ने उन्हें पूर्व राष्टï्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी रह चुके उनके मामा प्रकाश के पास कुमांउ के टनकपुर (उत्तराखंड) में भेजने का मुश्किल फैसला लिया। बेशक दस बरस के बालक का अपने माता-पिता से दूर अपने मामा के साथ अकेले रहना कोई आसान नहीं था। इससे बॉबी का इस मुहावरे पर यकीन हो गया कि ‘सब कुछ किसी न किसी वजह से होता है।’
बॉबी टनकपुर आने पर अपने मामा प्रकाश के साथ मैदान पर उस मैदान पर जाने लगे जहां बच्चे हॉकी खेलते हैं। बॉबी के पास हॉकी खेलने के कौशल के साथ जरूरी जीवट भी खूब था। बॉबी नैसर्गिक रूप से बेहतरीन स्ट्राइकर हैं और इसीलिए उन्होंने बतौर फारवर्ड अपनी एक अलग पहचान बना ली, जब बॉबी 16 बरस के हुए तो उनका चयन भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में बतौर हॉकी खिलाड़ी हो गया। बॉबजी ने बतौर नैसर्गिक स्ट्राइकर तेजी से अपनी एक अलग पहचान बना ली। बॉबी कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि अपने हॉकी करियर में मैं खासा भाग्यशाली रहा हंू।
2021 के भुवनेश्वर में हुए जूनियर एफआईएच पुरुष हाकी विश्व कप में मनिंदर सिंह के चोट कारण ही मुझे भारतीय एकादश में खेलने का मौका मिला। तब बॉबी को जूनियर भारतीय हॉकी टीम की एकादश में मौका तब के स्टार स्ट्राइकर मनिदर को लगी चोट के कारण ही मिला था। तब हम कांस्य पदक के लिए मैच में हार कर चौथे स्थान पर रहने से खासे निराश थे। इस हार ने हममें आने वाले दिनों में बेहतर प्रदर्शन का जज्बा भरा।’
बॉबी कहते हैं, चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को फाइनल में हरा हाल ही में जूनियर एशिया कप जीतने की बाबत यही कहूंगा कि हमारी जूनियर हॉकी टीम बड़ी उपलब्धि हासिल करने की ओर बढ़ रही है। हमने देखा कि सीनियर भारतीय पुरुष हॉकी टीम को टोक्यो ओलंपिक मेंं कांसा जीतने पर बहुत सम्मान मिला। इससे हम सभी बेहतर प्रदर्शन करने को प्रेरित हुए। हम जानते थे कि बड़ा टूर्नामेंट जीतने ये हमें उसी तरह की इज्जत मिलेगी और मिली भी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ में हमारी जूनियर हॉकी एशिया कप जीतने की उपलब्धि का उल्लेख किया। हमारी जूनियर हॉकी टीम पिछले कुछ हफ्तों से मिल रही इस प्रशंसा से अभिभूत हैं। इससे हमें मलयेशिया में जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जीतने के संकल्प को और मजबूत कर दिया है।’