प्रो: नीलम महाजन सिंह
वैसे तो भारतीय विदेश नीति, लगभग सभी सरकारों में एकसमान निरंतर रहती है, परंतु डॉ: एस. जयशंकर, आईएफएस, विदेश मंत्री, पूर्व-सचिव – विदेश मंत्रालय व अमरीका में भारत के राजदूत, ने विदेश मंत्रालय को मुखर व दृष्टांत बनाया है। शायद डॉ: एस. जयशंकर के प्रयासों का यह नरेंद्र मोदी सरकार का एक मानक है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण पर नरेंद्र मोदी अमेरिका-भारत संबंधों को मज़बूत करने में सहायक हैं। बाइडेन – मोदी की अब से पहले छह बार मुलाकातें हो चुकी हैं, लेकिन इस दौरे की डिप्लोमैटिक और स्ट्रैटेजिक अहमियत ज़्यादा है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा पर पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण पर 21 से 24 जून तक अमेरिका पहुंचे। यह अमेरिका में उनकी पहली ‘राजकीय यात्रा’ है। यह एक दुर्लभ अवसर है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व फर्स्ट लेडी, जिल बाइडेन ने 22 जून को वाशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस में ऐतिहासिक ‘स्टेट डिनर’ में उनकी मेज़बानी की। अमेरिका में जब वहां के राष्ट्रपति दुनिया के किसी नेता को खुद आमंत्रित कर, खास तरीके से उनक वाईट हाउस में ऑफिशियल वेलकम करते हैं, तो उसे ‘स्टेट विज़िट’ कहा जाता है। ‘स्टेट विज़िट’ का तात्पर्य, ‘राजकीय यात्रा’ से है और यह मोदी की अमेरिका की पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा है। भले ही उन्होंने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले 9 वर्षों में कई बार वहां का दौरा किया है; बतौर प्रधानमंत्री 7 बाबार मोदी अमेरिका जा चुके हैं। विश्लेषकों ने नरेन्द्र मोदी की इस यात्रा को अन्य यात्राओं की तुलना में ज्यादा अहम दिया है। राजकीय यात्रा को दो देशों के मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की उच्चतम अभिव्यक्ति माना जाता है।
इस यात्रा के कुछ मानक इस प्रकार हैं। बड़े रक्षा सौदे, मेगा चिप फैक्ट्री, नए वीज़ा नियम आदि; पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत-अमेरिका वार्ता के 10 निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। कई सौदों व बड़ी घोषणाओं के साथ, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा से अपने संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के इच्छुक, दोनों देशों के लिए उपयोगी परिणाम मिले हैं। अमेरिकी कांग्रेस व व्हाइट हाउस के बाहर अपने भाषणों से देश और अमेरिका में, लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध करने के अलावा, पीएम मोदी ने कई हाई-प्रोफाइल बैठकें कीं, जो दोनों पक्षों द्वारा रक्षा, वीज़ा, व्यापार, अंतरिक्ष, सौर ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में बड़ी घोषणाओं के साथ संपन्न हुईं। बिडेन प्रशासन ने कहा है कि इससे भारतीयों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में रहना और काम करना आसान हो जाएगा।
विदेश विभाग जल्द ही घोषणा कर सकता है कि एच-1बी वीज़ा पर कुछ भारतीय कर्मचारी विदेश यात्रा किए बिना अमेरिका में उन वीज़ा को नवीनीकृत कर सकेंगें। आने वाले वर्षों में इसका विस्तार किया जा सकता है। दोनों पक्ष लोगों के बीच संबंधों व यात्राओं को बढ़ाने के लिए पारस्परिक आधार पर दोनों देशों में नए वाणिज्य दूतावास भी खोलेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका बेंगलुरु व अहमदाबाद में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलेगा। भारत इस साल सिएटेल में नया वाणिज्य दूतावास खोल रहा है व जल्द ही अमेरिका में दो और वाणिज्य दूतावासों की घोषणा करेगा। जनरल इलेक्ट्रिक GE की एयरोस्पेस इकाई ने घोषणा की है कि वह भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू विमानों, विशेष रूप से ‘तेजस’ को शक्ति देने के लिए संयुक्त रूप से, भारत में इंजन बनाने के लिए, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ एक समझौते को हस्ताक्षरित करेगा। अधिकारियों द्वारा ‘ऐतिहासिक और ट्रेलब्लेज़िंग’ कहे जाने वाले इस सौदे को दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत में F414 इंजन के सह-उत्पादन के ‘जीई – हाल’ सौदे के लिए अमेरिकी सरकार व विधायी अनुमोदन की आवश्यकता है। F414 इंजन की आपूर्ति अगले तीन वर्षों में अमेरिका से होने की उम्मीद है, जबकि ‘हाॅल’ इसके लिए भारत में उत्पादन सुविधा स्थापित करेगा। इस महीने की शुरुआत में, रॉयटर्स के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र ‘एमक्यू-9बी सीगार्जियन ड्रोन’ की खरीद को मंज़ूरी दी है। भारत जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाए गए 31 ड्रोन खरीदेगा, जिनकी कीमत 3 अरब डॉलर से कुछ अधिक है। संयुक्त ब्यान में कहा गया है कि एमक्यू-9बी को भारत में असेंबल किया जाएगा व अमेरिकी निर्माता ‘जनरल एटॉमिक्स’ भारत में नई सुविधा स्थापित करेगा। अमेरिकी सरकार के विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) कार्यक्रम के तहत, लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन – नौसेना के लिए 15 सीगार्जियन व सेना और आईएएफ के लिए आठ स्काईगार्जियन – के प्रस्तावित अधिग्रहण को, अंततः सुरक्षा पर भारतीय कैबिनेट समिति (सीसीएस) को अंतिम अनुबंध पर हस्ताक्षर होने से पहले मंज़ूरी देनी होगी। अमेरिकी मेमोरी चिप फर्म, ‘माइक्रोन टेक्नोलॉजी’ ने कहा है कि वह गुजरात में एक नए चिप असेंबली और टेस्ट प्लांट में 825 मिलियन डॉलर तक का निवेश करेगी, जो भारत में उसकी पहली फैक्ट्री होगी। माइक्रोन ने कहा कि केंद्र सरकार और गुजरात राज्य के समर्थन से संयंत्र में कुल निवेश 2.75 अरब डॉलर होगा। उसमें से 50% केंद्र से और 20% गुजरात राज्य से आएगा।
अमेरिकी सेमीकंडक्टर टूल निर्माता ‘एप्लाइड मटेरियल्स’ भारत में एक नए इंजीनियरिंग केंद्र में चार वर्षों में 400 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। संयुक्त राज्य अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि, कैथरीन ताई ने कहा कि दोनों देश विश्व व्यापार संगठन में छह लंबित विवादों को समाप्त करने पर सहमत हुए हैं। भारत भी प्रतिशोधी टैरिफ को हटाने पर सहमत हुआ, जो उसने अमेरिकी उत्पादों पर स्टील और एल्यूमीनियम पर अमेरिकी धारा 232 राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों के जवाब में लगाया था। भारत खनिज सुरक्षा साझेदारी (एमएसपी) में शामिल हो गया है। इससे ऊर्जा खनिज आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में साझेदारी होगी। भारत यूरोपीय संघ के अलावा 12 अन्य भागीदार देशों में शामिल होगा। भारत की एप्सिलॉन कार्बन लिमिटेड एक ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी, की घटक फैक्ट्री में 650 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी, जिसमें पांच वर्षों के दौरान 500 से अधिक कर्मचारियों को काम पर रखा जाएगा। भारतीय सौर पैनल निर्माता, विक्रम सोलर लिमिटेड द्वारा समर्थित एक नए उद्यम अमेरिकी सौर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में 1.5 बिलियन डॉलर तक का निवेश करेगा, जिसकी शुरुआत अगले साल कोलोराडो में एक कारखाने से होगी। नवगठित कंपनी, वीएसके एनर्जी एलएलसी, चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र के निर्माण में अमेरिका को मदद करेगी। अमेरिका के नेतृत्व वाले ‘आर्टेमिस समझौते’ में शामिल होने के भारत के फैसले के बाद, दोनों देशों ने इस साल मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक रूपरेखा और 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक मिशन की भी घोषणा की है। भारत और अमेरिका ने दोनों देशों में सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के बीच संयुक्त अनुसंधान की सुविधा के लिए एक संयुक्त ‘भारत-अमेरिका क्वांटम समन्वय तंत्र’ की स्थापना की है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) उन्नत वायरलेस और क्वांटम प्रौद्योगिकियों पर एक नई कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए हैं। पीएम मोदी ने व्हाइट हाउस में उनके लिए राजकीय रात्रिभोज की मेज़बानी के लिए जो बिडेन और प्रथम महिला, जिल बिडेन को धन्यवाद दिया है।अल्पसंख्यकों के सवाल पर पीएम मोदी का पलटवार रहा कि ”भारत में किसी भी अल्पसंख्यक जाती के साथ कोई भेदभाव नहीं है”।अमेरिकी कांग्रेस में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आतंकवाद के खिलाफ़ आह्वान किया। किसी देश के प्रमुख के निमंत्रण पर दूसरे देश के प्रमुख की औपचारिक यात्रा कर, नरेंद्र मोदी की यात्रा की तुलना में अधिक धूमधाम से स्वागत-समारोह किए जाते हैं। मोदी की अमेरिका यात्रा और भारत के बीच गहरी और करीबी साझेदारी की पुष्टि की गई है, जो अमेरिकियों और भारतीयों को एक साथ जोड़ता है। व्हाइट हाउस के ब्यान में कहा गया है कि, “यह यात्रा रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ाने’ के संकल्प के अलावा, मुक्त, खुले, समृद्ध और सुरक्षित हिंद-प्रशांत के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को मजबूत करेगी”। इस यात्रा के दौरान 72 घंटे में 10 राजकीय कार्यक्रम हुए। डिनर में, राजनयिक उपहारों का आदान-प्रदान हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति के
ब्लेयर हाउस, में नरेंद्र मोदी के ठहरने की व्यवस्था की गई। अंतत: वहां एक फ्लैग स्ट्रीट-लाइनिंग समारोह, लैंडिंग के बाद टरमैक में एक फ्लाइट-लाइन वेलकम और 21 तोपों की सलामी भी दी गई। राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में 7,000 से अधिक भारतीय-अमेरिकी उपस्थित थे। निष्कर्षार्थ पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की उच्चतम अभिव्यक्ति माना जा रहा है। अमेरिकी कूटनीति के मुताबिक राष्ट्रपति 4 साल में एक बार किसी भी देश के किसी एक नेता की मेज़बनी कर सकते हैं जो उनका पूरा कार्यकाल होता है और इस बार बाइडेन ने यह सम्मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है। पीएम नरेंद मोदी 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के निमंत्रण पर एक वर्किंग विज़िट पर थे। उसके बाद 2016 में उन्होंने तत्कालीन उपराष्ट्रपति, जो बाइडेन की मौजूदगी में वर्किंग लंच किया। 2017 में वह ऑफिशियल वर्किंग विजिट पर गए व 2019 में उन्हें ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था। पीएम मोदी की वाशिंगटन यात्रा भारतीय अमेरिकी मतदाताओं के लिए सांकेतिक महत्त्वपूर्ण संदेश है। वैसे अमरीकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने, भारत की अल्पसंख्यकों पर जातीय व सांस्कृतिक हमलों पर चिंता जतायी है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर, (जब वे सेनेटर थी तो इस मुद्दे को सेनेट में उठाया था)। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में प्रजातांत्रिक सरकार को स्थापित करने का आग्रह किया था। पीएम नरेंद मोदी ने कहा, “भारत में किसी भी रूप से भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है, लोकतंत्र हमारे डीएनए में है”। पीएम जवाहर लाल नेहरू को डॅवाइट आईज़नहोवर, पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को बिल क्लिंटन व पीएम मनमोहन सिंघ को जॉर्ज बुश ने राजकीय यात्रा पर आमंत्रित किया था। भारत की सक्षम विदेश नीति को कार्यान्वित करने में डॉ: एस. जयशंकर, आईएफएस, विदेश मंत्री व विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की कर्मठता का विशेष उल्लेख करना आवश्यक है। सभी राजनीतिक दलों को भारत की प्रभुता व प्रतिष्ठा के लिए एक ही आवाज़ में आगाज़ करना चाहिए।
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, अमेरिका-भारत इतिहास विशेषज्ञ)