गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमरीका की पहली ऐतिहासिक राजकीय यात्रा की उपलब्धियांबेमिसाल रही हैं। आने वाले समय में इसके अच्छे परिणाम सामने आने की उम्मीद है।
यात्रा के दौरान दोनों मुल्कों में रक्षा, अंतरिक्ष व व्यापार सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की खातिर कई प्रमुखउपलब्धियां हासिल की गई।साथ ही अरबों डॉलर के समझौते हुए हैं। यें करार भारत अमरीका दोस्ती के नएआयाम बनायेंगे।
एच-1बी वीसा : सबसे अहम फैसला एच-1बी वीसा को लेकर हुआ जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीयसमुदाय के साथ हुई मुलाक़ात में हर्षोल्लास और भारी करतल ध्वनि के मध्य उद्घोषित किया। अमेरिका अबऐसा एच-1बी वीसा पेश करने के लिए तैयार है, जिसे देश में रहकर ही रीन्यू किया जा सकेगा। यह एक अहमफ़ैसला है, जो अमेरिका में रहने वाले हज़ारों भारतीय पेशेवरों को अपने वर्क वीसा के नवीनीकरण के लिएविदेश यात्रा की परेशानी के बिना अपनी नौकरी जारी रखने में मदद करेगा।
बहुप्रतीक्षित एच-1बी वीसा गैर-अप्रवासी वीसा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को ऐसे विशेषव्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है, जिनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता कीआवश्यकता होती है. प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हज़ारों कर्मचारियों कोनियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर हैं.
रक्षा : भारत में होगा लड़ाकू जेट इंजनों का संयुक्त उत्पादन – एक ऐतिहासिक समझौते में जी ई एयरोस्पेस नेभारतीय वायुसेना के हल्के लड़ाकू विमानों एमके 2 तेजस’ के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजनों काउत्पादन करने के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते में भारत में जी ई एयरोस्पेस के एफ414 इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन शामिल है, और जीई एयरोस्पेस इसके लिए आवश्यक निर्यात अधिकार हासिल करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ काम कररही है. समझौता एल सी ए एमके 2 कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारतीय वायुसेना के लिए 99 इंजन बनानेकी जी ई एयरोस्पेस की पिछली प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगा.
हथियारबंद ड्रोन : भारत द्वारा जनरल एटॉमिक्स के एम क्यू -9 ‘रीपर’ हथियारबंद ड्रोन की खरीद पर मेगा डीलकी घोषणा हुई है। यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल हिन्द महासागर में, बल्कि चीन के साथ सीमा पर भीभारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को और मज़बूत करेगा. जनरल एटॉमिक्स के एम क्यू -9 ‘रीपर’ हथियारबंद ड्रोन 500 प्रतिशत अधिक पेलोड ले जा सकता है और पहले के एम क्यू -1 प्रीडेटर कीतुलना में इसमें नौ गुना ज़्यादा हॉर्सपॉवर है.
अंतरिक्ष : भारत और अमेरिका 2024 में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजनेके लिए सहयोग कर रहे हैं. भारत ने आर्टेमिस समझौते में शामिल होने का भी फैसला किया है, जो समानविचारधारा वाले देशों को नागरिक अंतरिक्ष अन्वेषण पर जोड़ता है, और नासा और इसरो 2024 मेंअंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं.
1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि में दरकिनार कर दिया गया आर्टेमिस समझौता ऐसे सिद्धांतों का गैर-बाध्यकारीसेट है, जिसे 21वीं सदी में नागरिक अंतरिक्ष अन्वेषण को निर्देशित करने और इस्तेमाल करने के लिए डिज़ाइनकिया गया है. यह 2025 तक मनुष्यों को चंद्रमा पर लौटा लाने का अमेरिकी नेतृत्व वाला मिशन है, जिसकाअंतिम लक्ष्य मंगल और उससे आगे अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करना है.
व्यवसाय : सेमीकंडक्टर विनिर्माण – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने केलिए अमेरिकी चिप-निर्माता माइक्रोन टेक्नोलॉजी को आमंत्रित किया, क्योंकि हमारा मुल्क इस प्रोडक्ट कीसप्लाई चेन के कई हिस्सों में फायदे दिलाता है. उन्होंने प्रक्रिया प्रौद्योगिकी और उन्नत पैकेजिंग क्षमताओं केविकास के लिए भारत में एप्लाइड मैटेरियल्स को भी आमंत्रित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने जनरल इलेक्ट्रिक कोभारत में विमानन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने के लिए भी आमंत्रित किया। इस समझौतेके तहत अमेरिकी सेमिकंडक्टर कंपनी को 1.34 अरब डॉलर के प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव का भी लाभ मिलेगा।
कूटनीति : दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका बेंगलुरू और अहमदाबाद मेंदो नए वाणिज्य दूतावास (कॉन्स्यूलेट) खोलेगा, जबकि भारत सिएटल में एक मिशन स्थापित करेगा।
भारतीय रेलवे ने किया अहम करार
भारतीय रेलवे ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए ।इसके अलावा क्लीन एनर्जी और ऊर्जा दक्षता समाधानों पर भी सहयोग की परिकल्पना की गई। वहीं मिशननेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए भारतीय रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने का प्रयासकिया गया है।
अर्टेमिस एकॉर्ड्स समझौता
इनके अलावा जिस सबसे खास समझौते पर मुहर लगी है,उनमें से एक ‘अर्टेमिस एकॉर्ड्स’ भी शामिल है। नासाऔर इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। इस समझौतेसे भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी हैं।
फाइटर जेट्स इंजन प्लांट
भारत में जी ई एयरोस्पेस कंपनी के इंजन मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को भी लगाया जाएगा। इसके बाद फाइटरजेट्स के इंजन भी भारत में ही बनने शुरू हो जाएंगे।इसमें भारत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जीईएयरोस्पेस की मदद करेगी। इससे भारतीय वायुसेना सशक्त होगी और उसकी ताकत भी बढ़ेगी।
इंडस-एक्स की शुरुआत
एक और बड़े करार की बात करें तो भारत और अमेरिका मिलकर यूएस-इंडिया डिफेंस एक्सीलेरेशनइकोसिस्टम शुरू करने पर सहमत हुए हैं. इस नेटवर्क में दोनों देशों की यूनिवर्सिटी, स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री औरथिंक टैंक्स शामिल होंगे. इस समझौते के जरिए संयुक्त रूप से रक्षा टेक्नोलॉजी संबंधी इनोवेशन देखने कोमिलेंगे।इसी क्रम में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस स्पेस फोर्स ने भारत के स्टार्टअप्स 114 ए आई औरथर्ड आई टेक के साथ समझौता किया है।
आईसीईटी की शुरुआत का ऐलान
भारत और अमेरिका दोनों के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भीहुआ है।इसके साथ ही इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) की शुरुआत भी कीगई है. हालांकि इसकी शुरुआत इस साल जनवरी में हो गई थी, लेकिन आधिकारिक घोषणा पीएम मोदी कीअमेरिका यात्रा के दौरान की गई है।
प्रीडेटर ड्रोन (एमक्यू-9 रीपर)
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाईडन ने जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीदपर एक मेगा डील का ऐलान भी किया है। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुतमहत्वपूर्ण है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षासुनिश्चित करेगी।करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे।
इन समझौतों के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 200 से अधिक अमेरिकी निर्मितविमान प्राप्त करने के लिए बोइंग के साथ ही एयर इंडिया के ऐतिहासिक समझौते का फिर से स्वागत किया।वहीं सुरक्षित और विश्वसनीय दूरसंचार, लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने और वैश्विक डिजिटल समावेशन कोसक्षम करने पर भी एकमत नजर आए. अमेरिका ने एआई पर वैश्विक साझेदारी के अध्यक्ष के रूप में भारत केनेतृत्व का भी समर्थन किया. दोनों नेताओं ने भारत में 10 अरब डॉलर के भारत डिजिटलीकरण फंड के माध्यमसे निवेश जारी रखने की गूगल की पहल की सराहना की। उल्लेखनीय है कि भारत में अपने एआई रिसर्च सेंटरके माध्यम से, गुगल 100 से अधिक भारतीय भाषाओं का समर्थन करने के लिए मॉडल बना रहा है।