पल्लवी सिंह
आलेख लेखन एक सर्वांगपूर्ण सम्यक विचारों का एक संयुक्त भाव होता है। आलेख लेखन स्वयं लेखक की गहन समीक्षा और समझ का परिणाम होता है। यह सर्वांगीण विचारों का एक संयुक्त भाव है। भारत के प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिख रहे नृपेंद्र अभिषेक नृप और मोनिका राज द्वारा लिखित आलेख संग्रह “द गलिम्पसेस ऑफ़ कांटेम्परेरी एरा” अंग्रेजी माध्यम में समसामयिक मुद्दों पर लिखे गए आलेखों का संग्रह है। यह पुस्तक यूपीएससी और पीसीएस अभ्यर्थियों के लिए फायदेमंद के साथ – साथ दुनिया के विभिन्न मुद्दों पर जानकारी के इच्छुक पाठकों के लिए काफ़ी लाभदायक है।
आलेख, लेखन का एक भाग है जो किसी विशेष विषय पर आधारित विचारों, विचारों, तथ्यों, सुझावों और सिफारिशों की व्याख्या करता है। इस पुस्तक में देश-विदेश के विभिन्न लोकप्रिय मुद्दों यथा – पर्यावरण, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि को शामिल किया गया है।यह पुस्तक विशेषकर पाठकों की रुचि एवं समसामयिक ज्वलंत मुद्दों को ध्यान में रखकर लिखी गयी है। इसमें सम्मलित सभी आलेख वर्तमान समय के देश-दुनिया को जानने के लिए बहुत उपयोगी है।
महात्मा गांधी ने कहा है- ‘पृथ्वी हर किसी की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन हर किसी के लालच को नहीं’ आज भी प्रासंगिक है। विश्व में पर्यावरण का मुद्दा एक विकृत समस्या बन गया है। इसी मुद्दे को उठाते हुए और पर्यावरण संरक्षण का समाधान देते हुए “एनवायरनमेंट इज इन डेंजर” शीर्षक आलेख लिखा गया है। जल संरक्षण के लिए ”वाटर मैनेजमेंट इज एसेंशियल फॉर इंडियाज ब्राइट फ्यूचर” शीर्षक आलेख लिखा गया है। आलेख “ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी: एनर्जी ऑफ़ फ्यूचर” में ऊर्जा के भविष्य के बारे में दर्शाया गया है। इसमें लिखा गया है कि हाइड्रोजन आज अभूतपूर्व गति का आनंद ले रहा है। दुनिया को हाइड्रोजन को हमारे स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने का यह अनूठा मौका नहीं चूकना चाहिए।
इस पुस्तक के आलेखों में देश के आर्थिक मुद्दों से जुड़े विषयों पर भी लिखा गया है। जैव-अर्थव्यवस्था का वर्णन “ए की टू सस्टेनेबल इकॉनमी” शीर्षक आलेख में किया गया है। भारत ने जैव-अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय लक्ष्य निर्धारित किये हैं, जिसकी पूर्ति भविष्य में इसे समग्र अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग बना देगी। देश के स्थायी भविष्य की दिशा में बदलाव शुरू करने के लिए जैव-अर्थव्यवस्था रणनीतियाँ तैयार कर रही है तथा उसे कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके साथ ही “सिक्योर फ्यूचर ऑफ़ गीग वर्कर्स” शीर्षक आलेख में छोटे पैमाने के व्यवसायों के फायदे और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है। लेखक की पैनी नजर कृषि पर भी है। इसीलिए “आर्गेनिक फार्मिंग: फ्यूचर ऑफ़ एग्रीकल्चर” शीर्षक आलेख में कृषि के भविष्य का वर्णन किया गया है। जैविक खेती जो वर्तमान में प्रदूषित दुनिया के लिए वरदान साबित हो सकती है।
वर्तमान समय में एक और बड़ा मुद्दा जनसंख्या वृद्धि पर भी एक आलेख है “पापुलेशन एक्सप्लॉशन इज अ हिंडरेंस टू डेवलपमेंट” जिसमें हर पहलू पर विस्तार में प्रकाश डाला गया है। जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न भूख की समस्या का वर्णन “हंगर चैलेंजेस इन इंडिया एंड गवर्नमेंट एफ्फोर्ट्स” शीर्षक आलेख में किया गया है जबकि “क्राइसिस ऑफ़ वीमेन एम्प्लॉयमेंट इन इंडिया” शीर्षक आलेख में श्रम शक्ति में महिलाओं की कमी का वर्णन किया गया है।आजकल बच्चों के जीवन में कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं जिसके कारण बाल श्रम बढ़ रहा है। इस विषय पर “चाइल्ड लेबर: चैलेंजेस एंड सल्यूशन्स” शीर्षक लिखा गया है। “सुसाइड इज बिकमिंग अ ग्लोबल प्रॉब्लम” शीर्षक आलेख में उन लोगों के बारे में बताया गया है जो अपने जीवन में आने वाली समस्याओं के कारण लगातार आत्महत्या कर रहे हैं।
अपने लेखन-शैली और प्रभावपूर्ण शब्दों से यह पुस्तक बेहद सरल और रुचिकर मालूम पड़ती है। मुझे विश्वास है कि अंग्रेजी माध्यम से यूपीएससी और राज्य स्तरीय सिविल सेवा के अभ्यर्थियों के साथ -साथ आम पाठकों के लिए भी यह अत्यंत उपयोगी है।
समीक्षक : पल्लवी सिंह
पुस्तक: द गलिम्पसेस ऑफ़ कांटेम्परेरी एरा
लेखक: नृपेन्द्र अभिषेक नृप और मोनिका राज
प्रकाशन: कॉस्मिक इन्सेप्शन
मूल्य: 249 रुपये