रविवार दिल्ली नेटवर्क
वरिष्ठ पत्रकार, राम मनोहर लोहिया पत्रकारिता अवार्ड से सम्मानित, प्रो. नीलम महाजन सिंह, 1990 में बिट्टा कराटे का साक्षात्कार लेने वाली, पहली दूरदर्शन समाचार पत्रकार हैं। विवेक अग्निहोत्री आप नहीं! ‘कश्मीर फाइल्स’ में विवेक अग्निहोत्री ने ग़लत ब्यान दिया कि वहीं हैं जो ‘बिट्टा कराटे’ का नाम सामने लाये हैं! बिट्टा कराटे, उर्फ फारूक अहमद दार, जिसे उनके ‘उपनाम डी ग्युरे’ बिट्टा कराटे के नाम से जाना जाता है, एक कश्मीरी-अलगाववादी आतंकी था। वह वर्तमान में कश्मीर घाटी में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (आर) के अध्यक्ष हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें रिहा कर दिया है। भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर उग्रवाद और सीमा पार आतंकवाद के चरम के दौरान (1990) दूरदर्शन की वरिष्ठ समाचार संवाददाता, नीलम महाजन सिंह, कैमरा टीमों की दो इकाइयों के साथ श्रीनगर गईं। श्री गिरीश चंद्र सक्सेना, आईपीएस, जम्मू-कश्मी के माननीय राज्यपाल थे। श्री वेद मारवाह, आईपीएस; दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर, ‘गैरी साहब’ के सलाहकार थे। दूरदर्शन समाचार प्रभाग का कोई भी संवाददाता आतंकवाद के गढ़ में जाने को तैयार नहीं था, जहां कई आतंकवादीयों को जेल में बंद रखा था। आतंकवादी अज़हर मसूद (बाद में प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा इसे रिहा कर दिया गया था, जब इंडियन एयरलाइंस के विमान का काठमांडू में अपहरण कर लिया गया था) को भी यहीं जेल में डाल दिया गया था। नीलम महाजन सिंह; श्री जे. एन. सक्सेना, आई.पी.एस. जे-के पुलिस के महानिदेशक, कई पुलिस व सैन्य अधिकारी उस जेल में गए जहां बिट्टा कराटे और हनीफ बेग गिरफ्तार थे। नीलम महाजन सिंह ने निडर होकर बिट्टा कराटे उर्फ फारूक अहमद दार का इंटरव्यू लिया। नीलम ने हनीफ बेग का भी इंटरव्यू लिया था। दरअसल बिट्टा कराटे और हनीफ बेग ने अपने परिवार से जुड़ी कुछ बातें, नीलम से साझा की थीं, जिसकी जानकारी उन्होंने राज्यपाल गिरीश चंद्र सक्सेना को दी। रिकॉर्डिंग की संवेदनशीलता व टीम पर जीवन-खतरे को ध्यान में रखते हुए, भारतीय वायु सेना के विमान से दूरदर्शन टीम दिल्ली वापस आ गई। नीलम ने 7 मिनट का वीडियो जारी किया है, जिसे सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है। कश्मीर की सुदूर, अलग-थलग जेलों में बिट्टा कराटे का साक्षात्कार लेने वाली पहली टीवी पत्रकार, नीलम महाजन सिंह ने विवेक अग्निहोत्री को वास्तविकता समझाने का प्रयास किया है।