मौजूदा मानसून सत्र संसद के नए भवन में हाेते हाेते क्याें नहीं हाे पाया ?

संदीप ठाकुर

मौजूदा मानसून सत्र संसद के नए भवन में हाेते हाेते क्याें नहीं हाे पाया
? कारण बेहद चौंकाने वाला है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि गत 6 जुलाई
काे दिल्ली में मूसलाधार बारिश हुई थी। बारिश ने न सिर्फ किए कराए पर
पानी फेर दिया बल्कि नए संसद भवन निर्माण में मौजूद खामियों की पाेल खाेल
कर रख दी। नया भवन मूसलाधार बारिश झेल नहीं पाया और भवन की छत लीक करने
लगी। पानी टपक कर भवन के अंदर जमा हाे गया । अधिकांश टॉयलेट जाम हाे गए।
नतीजतन माैजूदा मानसूत्र सत्र पुराने भवन में आयोजित करना पड़ रहा है। नए
भवन में सत्र क्याें नहीं हाे पाया के सवाल के जवाब में संसदीय सचिवालय
के अधिकारी कुछ भी कहना नहीं चाहते.। अब संसद का विंटर सेशन ही नए भवन
में आयोजित हाे पाएगा।

संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई से हुई है। ये सत्र 11 अगस्त तक
चलेगा। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें होनी हैं। 10
दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के नए भवन का
शिलान्यास रखा था। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही गत 28 मई को नए
संसद भवन का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद से ही यह कहा जा रहा था कि नया
भवन देश काे समर्पित किया जा चुका है। इसलिए मानसून सत्र वहीं आयोजित
हाेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क्योंकि गत 6 जुलाई काे राजधानी में जमकर
बरसात हुई थी । इस बरसात ने न सिर्फ दिल्ली के नालों की पाेल खाेल दी
बल्कि नए संसद भवन निर्माण में बरती गई लापरवाही काे भी उजागर कर दिया।
नए संसद भवन की छत चूने से बारिश का पानी भवन के अंदर भर गया। संसद भवन
निर्माण से जुड़ी एजेंसियों और इसके लिए जिम्मेदार महकमे में हड़कंप मच
गया। मालूम हाे कि नए संसद भवन का निर्माण सीपीडब्ल्यूडी की निगरानी में
एक निजी कंपनी से करवाया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि नए भवन काे
सचिवालय काे सौंपने की प्रक्रिया भी आज तक पूरी नहीं हाे पाई है। सूत्रों
का कहना है कि भवन की जिम्मेदारी लेने से लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों
ने यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि पहले भवन काे चुस्त दुरुस्त कराएं
तभी सचिवालय जिम्मेदारी लेगा। भवन काे टिप टॉप करने का काम जाेर शाेर से
जारी है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया गया है। इस
पूरे प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने की अनुमान है। नए संसद
भवन के निर्माण का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट ने जीता था। इसके लिए इसने
लार्सन एंड टूब्रो को पीछे छोड़ा था। कंपनी ने 861.9 करोड़ रुपये में इस
प्रोजेक्ट को पूरा करने की पेशकश की थी। नई संसद की डिजाइन गुजरात बेस्ड
एक आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिजाइन ने तैयार की है। इस बिल्डिंग के मुख्य
आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं। बिमल पटेल कई बड़ी इमारतों को डिजाइन कर चुके
हैं। उन्हें साल 2019 में आर्किटेक्ट क्षेत्र में असाधारण काम के लिए
पद्मश्री भी मिल चुका है। उन्होंने विश्वनाथ धाम काशी विश्वनाथ मंदिर,
गुजरात हाईकोर्ट बिल्डिंग, आईआईएम अहमदाबाद कैंपस, टाटा सीजीपीएल
टाउनशिप, साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और पंडित दीनदयाल
पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी सहित कई बड़ी बिल्डिंग डिजाइन की हैं। नए संसद
भवन में 888 सदस्य लोकसभा में बैठ सकते हैं। वहीं, राज्यसभा में 384
सदस्य बैठ सकते हैं। पुराना विशाल संसद भवन करीब छह एकड़ क्षेत्र में बना
है और यह दुनिया के विभिन्न देशों के सबसे विशिष्ट संसद भवनों में से एक
है। इस भवन की नींव 101 साल पहले रखी गई थी।